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ओबरा परियोजना हॉस्पिटल मे ना तो अच्छे डॉक्टर हैै ,ना ही सर्जन और ना ही साजो सामान, प्रशासन के संज्ञान मे सब कुछ, पर मिला है आश्वासन

ओबरा परियोजना हॉस्पिटल मे ना तो अच्छे डॉक्टर हैै ,ना ही सर्जन और ना ही साजो सामान, प्रशासन के संज्ञान मे सब कुछ, पर मिला है आश्वासन


 

त्रिरत्न शुक्लेश

लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया

 

ओबरा, सोनभद्र।कहते है कि भाजपा के निशाने पर हमेशा रहने वाले और सत्तर साल तक देश को भाजपाई आरोपो के हिसाब से नरक बनाने वाले और भाजपाई पप्पू यानी राहुल गाँधी के परदादा और देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरु चाचा ने सोनभद्र के विकास का सपना भारत के स्विट्ज़रलैंड के रूप मे देखा था और तत्कालीन स्थानीय नेताओ कमलापति त्रिपाठी की मदद से इसको रिहन्द बाँध निर्माण से लेकर एशिया के सबसे पहले बिजली उत्पादन का सपना ओबरा की इस परियोजना को रूस के साथ मिलकर पूरा किया था। जो आज और मजबूत हुई है उत्पादन के साथ साथ कमाई मे भी। ओबरा खनिज क्षेत्रो के बीच इसी परियोजना के कारण बसी ऐसी आबादी है जो आज कई अमीर नामचीन लोगो की जन्म और कर्म स्थली है। यहां व्यवसायी , राजनेता, समाजसेवी और ज्ञानी प्रबुद्ध पत्रकार है तो वसूली माफिया और शासन- प्रशासन भी।  सब कुछ तो है इस ओबरा मे संघ की शाखा से लेकर समाजवादी युवा वाहिनी, लोहिया खेमा और कुछ इन्दिरा गाँधी या नेहरु के समर्थक हां अगर कमजोर हुए है तो कॉमरेड पर है कुछ दिलो मे जिन्दा और कभी कभी बस झटके लेते है किसी बड़ी घटना पर।

मुस्तैद पुलिसिया टोली भी है तो अब नयी नयी तहसील बनी इस ओबरा मे नयी व्यवसायिक गतिविधियाँ भी आयेगी। हाथी अब दूर शायद जंगलो मे घूमता होगा कही पर समय अपना अपना दल आगे बढ़ाने का है। जल पुरुष भी है यहां तो टैंकर वाले समाजसेवी भी सब है पर अगर नही है तो वो है ओबरा परियोजना हॉस्पिटल मे डॉक्टर, सर्जन और साजो सामान। जो हैं बस वो नब्ज पकड़ कर अपने डॉक्टर धर्म का पालन करते हुए इलाज करने का प्रयास करने वाले कर्मचारी, नर्स और डॉक्टर और बाद मे मजबूरी मे मरीजो की जान बचाने के लिये रिफर करने को मजबूर इस हॉस्पिटल का प्रशासन। इसका जिम्मा इसी बड़े बिजली घर का है पर इसके आला कमान और आंका प्रशासन कुम्भकर्णी नीद मे है जागेगे या नही यह क्या पता? 

 

आज इसी हॉस्पिटल के दर्द को आपके दिल से बाहर निकालकर इसकी गूँज दिल्ली तक पहुँचाने की एक छोटी सी कोशिश की है हमारे साथी त्रिरत्न शुक्लेश ने और रामशंकर अग्रहरि की सोच ने।

 


 

परियोजना हॉस्पिटल ओबरा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ पी के सिंह से लोकल न्यूज आफ इंडिया संवाददाता त्रिरत्न शुक्लेश से वार्तालाप कुछ ऐसा रहा::


  • परियोजना हॉस्पिटल में डॉक्टरों की व्यवस्था के संबंध में पूछने पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ पी के सिंह ने बताया कि यहां गंभीर रोगों के इलाज हेतु डॉक्टर नहीं है सर्जन नहीं है अच्छे-अच्छे उपकरणों का अभाव है  ।


 



  • उन्होंने बताया कि सामान्य रोगों के इलाज हेतु सामान दवाइयां उपलब्ध है गंभीर रोगी के आने पर हॉस्पिटल में  व्यवस्था नहीं है उसे तत्काल बाहर रिफर कर दिया जाता है  ।


 



  • डॉक्टरों की उचित व्यवस्था कराए जाने के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि हमने कई बार प्रशासन को अवगत कराया है प्रशासन ने समस्या को दूर करने हेतु आश्वासन दे रखा है  ।


 



  • अन्य डॉक्टरों के बारे में हमने जब जानकारी लिया तो देखा डॉ मधुबाला, डॉ रीना ,डॉ अमित, डॉ मिथिलेश, डॉ रवि ,अपने -अपने कक्ष में मरीजों को देख रहे थे  ।


 



  • कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बारे में पूछा गया तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ पी के सिंह ने बताया कि परियोजना हॉस्पिटल में साफ-सफाई व रोगियों के लिए, मास्क तथा सैनिटाइजर व साबुन से हाथ धोकर चिकित्सक से तथा सोशल डिस्टेंस बनाकर रहने की सलाह अपने -अपने स्टाफ व कर्मचारियों से करवाया जा रहा है और सब को उचित सलाह भी दिया जा रहा है


 

आपको बता दें कि  इस परियोजना से जुड़े जल ताप विद्युत गृह और राखी पुल के आगे गांव कर्री ,चंचलिया,गोठानी ,फफराकुंड, कड़िया ,जुर्रा ,कर्मसार, परसोई,  मिर्चाधूरी आदि जहां  बुनियादी चिकित्सा सुविधा का अत्यंत अभाव है। लोग कई किलोमीटर पैदल चलकर  आते हैं आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के लोग भी इस पर निर्भर है ऐसे हॉस्पिटल में कब स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की नियुक्ति होती है और कब अन्य सुविधाएं अस्सी से नब्बे के दशक जैसी होगी यह भी एक यक्ष प्रश्न ही है।

 

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