संघर्ष में यौन हिंसा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती है : पीयूष पण्डित
अनुराग मिश्रा
लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया
लखनऊ। ई विलेज कुंडा मे स्वर्ण भारत परिवार के राष्ट्रीय कार्यालय में बैठक के में महिलाओं के साथ हो रही यौन हिंसा मानसिक साथ ही साथ यह शारीरिक चोट का भी कारण बन रही है, इसमें यौन और प्रजनन स्वास्थ्य की समस्याओं के तात्कालिक और दीर्घकालिक दोनों तरह के परिणामों के जोखिम भी जुड़े हुए हैं इस विषय पर ऑनलाइन जागरूकता अभियान चलाया गया जिसमें होस्ट की भूमिका में स्वर्ण भारत से अजिता सिंह, सीमा सिंह जयपुर से पूनम खनगरावत वंदना शुक्ला लखनऊ से बंदना शर्मा मथुरा से अंजू पण्डित प्रतापगढ़ से अपने अपने सुझाव स्वर्ण भारत परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष को सौपे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक शोध के अनुसार दुनिया भर में हर तीन में से एक से ज्यादा महिला को शारीरिक या यौन हिंसा का शिकार होना पड़ा है.
संघर्ष में यौन हिंसा उन्मूलन के लिए अन्तर्राष्ट्रीय दिवस 19 जून को दुनिया भर में मनाया जाता है, ताकि दुनिया भर में यौन हिंसा से पीड़ितों औरसुरक्षित लोगों और उन सभी लोगों के लिए, जिन्होंने इन अपराधों के उन्मूलन के लिए साहसपूर्वक अपना जीवन समर्पित कर दिया और अपना जीवन खो दिया, उनका सम्मान किया जा सके और उन्हें श्रद्धांजलि दी जा सके
वर्ष 2020 में इस दिवस का मुख्य विषय (Theme)-“The Plight and Rights of Children Born of War” है।
यह दिवस संघर्ष से संबंधित यौन हिंसा (बलात्कार, जबरन वेश्यावृत्ति, जबरन गर्भपात, इत्यादि) का अंत करने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 19 जून, 2015 को इस दिवस को मनाने की घोषणा की थी। स्वर्ण भारत हर साल आज के दिन पीड़ित महिलाओं को के लिए विशेष आयोजन करता है। साथ ही महिलाओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर कई कार्य किये जाते हैं ।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें