मैं जीने के लिए अपने माता पिता का ऋणी हूँ, पर जीवन को आकार देने के लिए अपने गुरु का : पीयूष पण्डित
व्योमेंद्र सिंह
लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया
लखनऊ।गुरु पूर्णिमा पर स्वर्ण भारत परिवार ने ई विलेज कुंडा में आयोजित पूजन के दौरान पीयूष पण्डित ने कहा कि गुरु शिष्य परंपरा प्राचीन भारतीय विधाओं की संरक्षक है। भारतीय मनीषियोें ने शिष्यों के माध्यम से ज्ञान की धरोहर को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया है।
यज्ञ विज्ञान आयुर्वेद, योग विज्ञान, ज्योतिष विज्ञान, संगीत, संस्कार परंपरा की विभिन्न उपासना पद्धतियां गुरू शिष्य के माध्यम से ही जनमानस तक पहुंचती हैं। अखंड जाप के अलावा हवन पूजन हुआ और दिन भर भंडारा का दौर जारी रहा।
इस दौरान संतोष पांडेय , अजिता सिंह, वन्दना शुक्ला,नीरज शुक्ल, धीरज शुक्कन भगवती प्रसाद, पुष्पेंद्र कृष्ण, रमाकांत गुप्ता, सुमन शर्मा, पुष्पा गुप्ता, बिटटो धुरिया, शिवप्रसाद, राकेश आदि मौजूद रहे। कुंडा स्थित माइल्स अहेड स्कूल में पूजन में वैदिक मंत्रों से गुरु पूजन किया गया।
इस दौरान प्रधानाचार्य पंकज श्रीवास्तव, संजय दीक्षित, राकेश शुक्ला, अनीता, अनूप तिवारी, संजय पांडे, मनीष, अनिल, संजीव, आरती, नीलम आदि मौजूद रहे।
प्रदेश अध्यक्ष अजिता सिंह आचार्य ने कहा कि मां पिता व गुरु जो कहें उसे सुनें अपनी बुद्धि के अनुसार कार्य करें।कार्यक्रम संचालन करते हुए संदीप पांडेय ने कहा गुरू की महिमा अनंत है। प्रवक्ता संतोष पांडेय ने कहा समर्थ गुरु रामदास ने शिवाजी को, चाणक्य ने चद्रंगुप्त मौर्य को श्रेष्ठ महान कुशल शासक बनाया। जिन्होंने देश की धारा को ही बदल दिया। इस मौके पर जितेंद्र सिंह ने भी विचार व्यक्त किए। गुरू पूर्णिमा के मौके पर ई विलेज स्थित नमः मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना किया गया जिसमें 40 लोगों की संख्या में भक्तों ने भाग लिया।
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