मंत्री का रास्ता रोकने वालों पर मामले दर्ज, नेता प्रतिपक्ष भडक़े कहा, प्रदेश में लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं रह गई
मंत्री का रास्ता रोकने वालों पर मामले दर्ज, नेता प्रतिपक्ष भडक़े कहा, प्रदेश में लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं रह गई
विवेक अग्रवाल
लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया
ऊना. ऊपरी हिमाचल के काजा में मंत्री का रास्ता रोकने पर करीब 200 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज होने पर नेता प्रतिपक्ष ने प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लिया है। मंगलवार को ऊना में पत्रकारवार्ता में मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में लोग यदि मंत्री को बिना मास्क आने की बात पूछते हैं तो क्या वे दोषी हो जाते हैं? उन्होंने कहा कि कोरोना काल की आड़ में प्रदेश में आपातकाल जैसी स्थिति हिमाचल की सरकार ने बना दी है। राजनीतिक इशारे पर लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए जा रहे हैं। मुकेश ने कहा कि इस मामले में अगर विपक्ष अधिकारियों से कुछ जानना चाहता तो उन्हें सूचना नहीं दी जाती। उन्होंने बताया कि इस मामले में संबंधित एसपी को फोन किया था, लेकिन उन्होंने मीटिंग में व्यस्त होने और बाद में स्वयं फोन करने की बात कही थी, लेकिन एसपी साहब ने दोबारा फोन नहीं किया। उन्होंने कहा कि इस मामले में महिलाओं और कर्मचारियों और अन्य करीब 200 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज करना सरकार की हताशा को दिखाता है। महिलाओं के विरोध की कहानी की बैक ग्राउंड में मामला बीआरओ की सडक़ का है। यह सभी जानते हैं। जो सडक़ बीआरओ ने बनानी थी, मंत्री ने उसे पीडब्ल्यूडी को दिलवा दिया है। वहां लोगों को काम मिलना था और लोग इसीका विरोध कर रहे थे। यह पेंडमिक एक्ट की आड़ में आपातकाल वातावरण बना दिया गया है हिमाचल प्रदेश में। सरकार की नीति है कि जो भी रास्ते में आएगा उसे क्रश करेंगे, लेकिन ऐसा होने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ट्रइाबल इलाके की महिलाओं का सम्मान होना चाहिए, उनके खिलाफ दर्ज किए गए मामले वापस होने चाहिए। इतना ही नहीं कोरोना काल के अंदर जितने भी मामले दर्ज किए गए हैं, यह सभी मामले वापस होने चाहिए। इसके अलावा जितने वाहन जब्त किए गए हैं ये भी रिलीज होने चाहिए।
ेनेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री इस मामले में हस्तक्षेप करें और जितने भी मामले दर्ज किए गए हैं, उन्हें वापस लिया जाए।
गैर हिमाचलियों को गले लगाने की नीति
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार की हालत ये है कि अगर किसी ने हिमाचल में आना है तो 14 दिन क्वारंटाइन होगा, लेकिन अगर किसी बाहरी लोगों ने आना है तो उसके लिए कोई रोक टोक नहीं है। उन्होंने कहा कि गैर हिमाचलियों को गले लगाने की नीति सीएम की शुरू से है। उन्होंने कहा कि हमने पहले कहा था कि बाहर से लोगों को लाया जाए तब नहीं लाए, लेकिन जब बाहरी राज्यों में फंसे लोग कोरोना से पीडि़त हो गए तब लेकर आए। आज बार्डर पूरी तरह खोल दिए गए हैं। टूरिस्ट को बुलाया जा रहा है, लेकिन इससे पहले न तो होटल वालों से कोई बात की और न विपक्ष को ही बताया गया। सरकार यही कहती है कि जो केंद्र से आदेश हैं उन्हीं का पालन कर रहे हैं। मुकेश ने कहा कि यदि प्रदेश को यूनियन टेरिटरी की तरह ही चलाना है तो इसे यूटी ही क्यों नहीं बना दिया जाता। उन्होंने सरकार से कहा कि ऐसे मामलों में केंद्र के हर आदेश के आगे नतमस्तक हो रहे हैं, यह ठीक नहीं है। हिमाचल सरकार ऐसे फैसलों को रिव्यू करे। अब भी पूरे विवेक से फैसला लें और पूरे हिमाचलवासियों को अपने फैसलों से अवगत करवाएं।
कोरोना काल में सरकार का ट्रांसफर पर जोर
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कोरोना काल में सरकार ने तबादलों पर जोर दे रखा है। स्वयं सीएम ने अपने सुरक्षा अधिकारी ही बदल दिए। शिक्षा विभाग में तीन हजार ट्रांसफर होने की सूचना है। कहीं बीडीओ, तो कहीं एचपीएस और कहीं एचएएस के तबादले किए जा रहे हैं। मुकेश ने कहा कि बाकी तो आपने बदल दिए, अब तो आपने प्रिंसिपल सेक्रेटरी बदल दिया। उन्होंने कहा कि हम सरकार से यही कहना चाहते हैं कि कोरोना काल है विवेक से फैसला लो, आपके पास पहले ही मंत्री नहीं है। लंगड़ी सरकार है। स्वास्थ्य विभाग के यदि मंत्री होते तो ये घोटाले होने ही नहीं थे। फूड एंड सप्लाई के मंत्री का पद खाली हुआ तो उसे आपने अपने पास रख लिया। गड़बड़ी तब होती है जब महकमे में मंत्री नहीं होता। पावर सप्लाई का महकमे से मंत्री हटे तो वह महकमा भी अपने पास रख लिया, एक्साइज और टूरिज्म पहले ही आपके पास है। मुकेश ने कहा कि सरकार के मंत्री कह रहे हैं कि कांग्रेस में भारी फूट है। ये मंत्री अपनी भाजपा पार्टी का ही बता दें कि इनकी पार्टी में क्या है? अध्यक्ष आप बना नहीं पा रहे, राज्यसभा का
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