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उच्च शिक्षा के लिए संस्कृति विवि ने किए हैं बेहतर इंतजाम, कोराना से उपजी चुनौतियों का डटकर कर रहे सामनाःसचिन गुप्ता

उच्च शिक्षा के लिए संस्कृति विवि ने किए हैं बेहतर इंतजाम,कोराना से उपजी चुनौतियों का डटकर कर रहे सामनाःसचिन गुप्ता



संस्कृति विश्वविद्यालय के चेयरमैन सचिन गुप्ता


रिटायर्ड लेफ्टिनेंट बच्चू सिंह 


लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया 


मथुरा। कहते है जहाँ  चाह वहाँ राह. यह कहावत संस्कृति विश्वविद्यालय के चेयरमैन सचिन गुप्ता की आत्म विश्वास से भरी शिक्षा की अलग अलग आयाम स्थापत्य की मुहिम  में साफ़ झलकती है।  जहा एक ओर पूरी कायनात कोरोना के कहर से कैद में हैं वही सचिन गुप्ता के नेतृत्व में विश्विद्यालय शिक्षा को नए नए माध्यमों से ना सिर्फ सुचारु रूप से संचालित कर रहा है बल्कि उसको तरास भी रहा है।  शिक्षा को व्यवसाय ना समझ संस्कृति उद्भव का एकमात्र निमित्त मानने वाले सचिन गुप्ता से हमारे साथी रिटायर्ड लेफ्टिनेंट बच्चू सिंह ने ख़ास मुलाक़ात की। प्रस्तुत हैं संस्कृति विवि के चेयरमैन सचिन गुप्ता से हुई विस्तृत बातचीत के अंश-


आप दिल्ली से हैं, आपने इस क्षेत्र में ही विश्वविद्यालय बनाने के बारे में क्यों सोचा?


देखिए दिल्ली में बहुत भागम-भाग है, जमीन मिलना भी कठिन था। लेकिन इससे परे यह सोच थी कि कहीं ऐसी जगह युनिवर्सिटी बनाई जाय जहां उच्च शिक्षा के ऐसे केंद्र की ज्यादा जरूरत ज्यादा हो, जहां विश्व स्तरीय शिक्षा मिल सके। हमको लगा ब्रज क्षेत्र ऐसा है जहां शांति का माहौल है, आसपास के बच्चे प्रतिभावान हैं, उनको आगे पढ़ने और संस्कारवान बनने का अवसर मिलना चाहिए। 2016 में हमने संस्कृति विवि की स्थापना की है। हमें आज अपनी टीम के प्रयासों से इस बात को लेकर संतोष है कि हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।



आज बहुत सारी यूनिवर्सिटी हैं, ऐसी क्या वजह हो सकती हैं कि बच्चे संस्कृति युनिवर्सिटी में ही प्रवेश ले?


हम कभी यह नहीं कहते कि हमारी ही युनिवर्सिटी सर्वश्रेष्ठ है, लेकिन हमारी यह सोच जरूर है कि हमारे विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा का ऐसा सेटअप हो जो छात्रों को कहीं नहीं मिले। हमारे यहां लगभग 50 कोर्सेज हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि हमारा देश आत्मनिर्भर बने। हमारी कोशिश भी यही है कि बच्चे अपना रोजगार खड़ा करें। इसके लिए हमने अपने यहां इंटरप्रिन्योरशिप सेल भी बनाया है। हमारे यहां डिजाइन सेंटर, स्टार्टअप और डिजायन सेंटर और यहां इन्क्युबेशन सेंटर है, जो आसपास कहीं नहीं है। इसके माध्यम से छात्र अपने प्रोजेक्ट को मूर्त रूप दे सकते हैं। हमारी कोशिश है कि बच्चे रोजगार स्वयं का खड़ा करें और अन्य लोगों को रोजगार दे सकें। इसके लिए विश्वविद्यालय स्तर से भी विद्यार्थियों को फंडिंग करने का निर्णय लिया है। हमने विश्व के नामी-गिरामी विवि से एमओयू किए हैं, जिनके माध्यम से ज्ञान और कौशल की विश्वस्तरीय शिक्षा विद्यार्थी हासिल कर सकें। हमारा विवि क्वालिटी बेस शिक्षा दे रहा है। हमारी कोशिश है कि विद्यार्थी जब अपनी पढ़ाई 50 प्रतिशत पूरा करे तभी उसके हाथ में रोजगार के अवसर हों। कोर्स पूरा करे तो उसके हाथ में नौकरी के दो अवसर हों। इसके लिए हमने अपग्रेड कंपनी से टाईअप किया है। हमारे विवि के बी.टेक और एमबीए के बच्चों के पास कम से कम नौकरी के लिए इंटरव्यू के पांच और 10 मौके होंगे। हम चाहते हैं कि अभिभावक इस बात को लेकर पूर्ण रूप से संतुष्ट हों कि उन्होंने जो बच्चे की पढ़ाई पर खर्च किया है वह व्यर्थ नहीं गया है। वे ये महसूस करें कि जब बच्चे ने यहां प्रवेश लिया था और जब उसने पढ़ाई पूरी की तो उसमें कितना बड़ा सकारात्मक बदलाव आया है।


आप कहते हैं कि विदेश में भी आपके यहां पढ़ने वाले छात्रों को जाने और अध्ययन करने का मौका मिलेगा?


देखिए हमारी तो यह कोशिश रहती है कि विदेशी बच्चे हमारे यहां शिक्षा ग्रहण करने आएं। हमारे यहां कई देशों के विद्यार्थी पढ़ भी रहे हैं। हमारे यहां सात से आठ देशों के छात्र पढ़ने आते हैं। अभी हमने विश्व के 20 देशों की बड़ी युनिवर्सिटी से टाईअप किया है, जिसमें अमेरिका, रूस, मलेशिया, फिलीपींस देश शामिल हैं। अलग-अलग टापिक पर इनसे टाईअप हुआ है। हमारे यहां के बच्चे वहां पढ़ने जा सकेंगे, हमारी और उनकी फैकल्टी का आदान-प्रदान होगा। कुल मिलाकर सोच यह है कि हमारे यहां के विद्यार्थियों का ग्लोबल एक्सपोजर हो, उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ज्ञान और कौशल हासिल करने के अवसर मिलेंगे। असल में टेक्नोलाजी बहुत तेजी बदल रही है, हम चाहते कि हमारे यहां के बच्चे इस लायक बने जो बदलती हुई टेक्नोलाजी अच्छे से ग्रहण कर सकें।


वर्तमान दौर को देखते हुए आप किस तरह से बच्चों के अध्ययन और रोजगार के अवसरों को
उपलब्ध कराएंगे?


कोराना महामारी उच्च शिक्षा के लिए भी चुनौती बनी हुई है। हमारे विश्वविद्यालय ने इस चुनौती को स्वीकार किया है। हमने आन लाइन एक्जाम कराए हैं, जिनमें 97 प्रतिशत विद्यार्थियों ने भाग लिया। हमने बच्चों की आनलाऩ क्लासेज के लिए अपग्रेड का स्वदेशी प्लेटफार्म हायर किया है। इसके माध्यम से बहुत तेज गति से सभी आन लाइन क्रियाओं को बहुत तेजी से इस्तेमाल किया जा सकता है। सारे लेक्चर रिकार्डेड रहेंगे बच्चे इसको अपनी सुविधा के अनुसार सुन सकता है। हर स्तर कि रिपोर्ट बनाई जा सकेगी। बच्चों से फैकल्टी सीधे इंटरेक्ट कर सकेंगी। बच्चे अपनी समस्याओं को फैकल्टी से सीधे इंटरेक्ट कर हल कर सकेंगे।


आपकी युनिवर्सिटी इस क्षेत्र में शिक्षा के अलावा स्वेच्छा से और कौन से दायित्वों का निर्वाह कर रहे हैं?


मैं आपको बताना चाहता हूं कि संस्कृति विवि जिस सोच और मूल्यों को लेकर स्थापित किया गया है, उनमें से एक महत्वपूर्ण सोच यह है कि हम हमेशा यह सोचते हैं कि समाज के साथ हर मुसीबत में खड़ा होना हमारा दायित्व है। हमारे परिवार विशेषकर मेरे पिता के दिल्ली में टेक्निया के नाम से अनेक शिक्षण संस्थान हैं। हमारे हर शिक्षण संस्थान के साथ एक दिव्यांग स्कूल भी है। इन स्कूलों में दिव्यांग बच्चों को अपने पैरों पर खड़े होने के लिए तैयार किया जाता है। इनकी शिक्षा, भरण-पोषण, मनोरंजन, भोजन, स्कूल तक लाना-ले जाना यह सभी हमारे शिक्षण संस्थान अपने खर्चे पर करते हैं। संस्कृति विवि भी दिव्यांग स्कूल चलाता है। आसपास के क्षेत्र में जाकर हम स्वयं बच्चों का परीक्षण करते हैं और चयन करते हैं। इसके अलावा जब कोराना महामारी शुरू हुई तो संस्कृति आयुर्वेद और यूनानी कालेज के चिकित्सकों ने गरीबों, मजदूरों में जाकर स्वच्छता और सावधानियों को लेकर जनजागरूकता अभियान चलाया। लोगों को मास्क और काढ़ा वितरित किया। विश्वविद्यालय ने राजमार्ग से गुजरने वाले विस्थापित मजदूरों को भोजन, स्वच्छ पेय जल भी वितरित किया। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री सहायता कोष में सभी शिक्षकों, कर्मचारियों की ओर से विवि प्रशासन की ओर से सहयोग किया। प्रशासन की अपील पर आगे बढ़ कर 300 बेड का चिकित्सालय दिया, जिसे प्रशासन ने एल-वन सेंटर बनाया। जहां से आज भी मरीज ठीक होकर घर जा रहे हैं। उनको विवि की ओर से काढ़ा भी बांटा जा रहा है।


आपके परिवार में अन्य व्यापार होते हैं, आपने शिक्षा के क्षेत्र में जाने का निर्णय कैसे लिया?


वैसे यह बात सही है कि हमारे परिवार में अन्य तरह के व्यवसाय भी हैं, लेकिन मेरे पिता श्री आरके गुप्ता ने टेक्निया नाम दिल्ली में शिक्षण संस्थान स्थापित किए हैं। मेरे पिता मेरे मार्गदर्शक हैं, उनकी प्रेरणा से ही मैं शिक्षा के क्षेत्र में आया हूं और कुछ नया व उल्लेखनीय काम करने का इरादा है। बड़े भाई श्री राजेश गुप्ता जो विवि के प्रति कुलाधिपति भी हैं, हमेशा मुझे उत्साहित करते रहते हैं।सही बताऊं तो मुझे हमारे देश के प्रधानमंत्री रहे, स्वर्गीय एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन ने बहुत प्रभावित किया। वे हमारे विवि भी आए और मैं भी उनके साथ काफी समय रहा। मैं उसी सोच का अनुसरण करना चाहता हूं और देश को आगे ले जाने में सहयोग के रास्ते तलाशता रहता हूं।  


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