मस्तिष्क पर असर, अनिद्रा और बहरेपन की बीमारी
मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव
कई घंटों तक हेडफोन और ईयरफोन का इस्तेमाल करने से न सिर्फ कानों को नुकसान पहुंच सकता है, बल्कि इससे मस्तिष्क पर भी नकारात्मक असर पड़ता सकता है।इसकी वजह यह है कि ईयरफोन से निकलने वाली चुंबकीय तरंगे मस्तिष्क की कोशिकाओं पर बुरा असर डालती हैं।ऐसे में ज्यादा देर तक इसका इस्तेमाल करने से सिर दर्द, अनिद्रा, कान दर्द और गर्दन के किसी हिस्से में दर्द का सामना करना पड़ सकता है।ईयरफोन में आने वाली सूक्ष्म ध्वनि भी स्पष्ट और तेज सुनाई देती है।अगर आप इसका इस्तेमाल करना ही चाहते हैं तो इसे कम से कम आवाज पर रखें।
साफ-सफाई का रखें ध्यान
आप जिस ईयरफोन का इस्तेमाल कर रहे होते हैं, उस पर बैक्टीरिया पनपने का खतरा भी रहता है।जब आप अपने कान में इसे लगाते हैं, तो इन बैक्टीरिया की वजह से कान में संक्रमण होने की आशंका भी बढ़ जाती है।ऐसे में अपने ईयरफोन की साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें।
शेयर न करें ईयरफोन
कई बार दोस्तों में ईयरफोन को भी शेयर कर लिया जाता है, मगर आपको इससे बचना चाहिए।क्योंकि इससे किसी अन्य का संक्रमण आपके कानों तक पहुंच कर आपको भी नुकसान पहुंचा सकता है।
कानों से कम सुनाई देना
अगर आप ईयरफोन का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, तो इससे आपके कानों की सुनने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है।सामान्य तौर पर कानों की सुनने की क्षमता 90 डेसिबल होती है, जो लगातार सुनने से धीरे-धीरे 40 से 50 डेसिबल तक कम हो जाती है।वहीं कुछ मामलों में यह बहरेपन का कारण भी बन सकता है।
ज्यादा देर न करें इस्तेमाल
अगर आप संगीत सुनने का शौक रखते हैं तो रोजाना संगीत सुनने के लिए ईयर फोन का इस्तेमाल करते होंगे।2 घंटे से अधिक समय तक अपने कानों में इसे न लगाएं। बीच-बीच में कानों को आराम दें।वरना लगातारइसके उपयोग की वजह से आपके कानों को क्षति पहुंच सकती है।
बचाव का तरीका
अगर आप सड़क पर चल रहे हैं या वाहन चला रहे हैं तो ईयरफोन के इस्तेमाल से बचें।इससे आप और अन्य लोग भी प्रभावित हो सकते हैं।आपको अपने काम की वजह से लगातार कई घंटों तक ईयरफोन का इस्तेमाल करना पड़ता होगा।तो एक घंटे के दौरान कई बार 5-10 मिनट का ब्रेक जरूर लें। इससे कानों को आराम मिलेगा।साथ ही इसके अलावा अच्छी क्वालिटी के ईयरफोन का ही इस्तेमाल करें।ईयरफोन लगाने से मल्टीपल फ्रिक्वैंसेस की टोन कान के पर्दे से टकराती हैं और टकराने के बाद वापस भी आ जाती हैं।ऐसे में कई सारी आवाजें कान के अंदर घूमती रहती हैं। इससे कानों की नसें कमजोर हो सकती हैं।
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