प्रदेश में ग्राम सभाएं ना होने से रुके लोगों के जरूरी काम
फाइल फोटो
- अक्टूबर माह की ग्राम सभा में मनरेगा शेल्फ से विकास कार्यों का खाका होता है तैयार।
- प्रत्येक पंचायत में 50 लाख से एक करोड़ रूपये तक के विकास कार्यों की बनती है योजनाएं।
- बीपीएल परिवारों की समीक्षा और चयन प्रक्रिया भी लटकी है अधर में।
परसराम भारती
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
तीर्थन घाटी गुशैनी, बंजार। विश्व्यापी कोरोना महामारी के चलते पुरे प्रदेश में पिछले करीब सात माह से पंचायतों में ग्राम सभाएं नहीं हो पा रही है जिस कारण लोगों को ग्राम पंचायत के माध्यम से होने वाले कई कार्यो से महरूम होना पड़ रहा है। इसी साल अप्रैल माह में बीपीएल परिवारों की समीक्षा और चयन के लिए ग्रामसभा होनी थी जो नहीं हो सकी है।जिसमें गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले पात्र लोगों का चयन और अपात्र लोगों की छंटनी होनी थी। बीपीएल सूची से अपात्र लोगों को हटाने का मामला आए दिनों पुरे प्रदेश में सुर्खियों में रहता है लेकिन इस साल अप्रैल माह में ग्रामसभा ना होने से बीपीएल सूची मे नए लोगों को नहीं जोड़ा गया ना ही पुराने अपात्र लोगों को हटाया गया।
बीपीएल से अपात्र लोगों को कैसे हटाया जाए पात्र लोगों को कैसे लाभ दिया जाए इस बारे अभी तक सरकार की ओर से कोई स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं आए हैं।
इसी प्रकार पुरे प्रदेश में अक्टूबर माह की ग्राम सभा में मनरेगा का शेल्फ तैयार किया जाता है जिसमें गांव के विकास कार्यों का खाका तैयार करके योजनाएं बनाई जाती है। इसमें मनरेगा के तहत सार्वजनिक कार्यों और व्यक्तिगत कार्यों के लाभार्थियों का चयन किया जाता है लेकिन ग्रामसभा ना होने से इस पर भी संशय बरकरार है। ग्रामसभा ना होने के कारण लोगों के परिवार विभाजन, गृह निर्माण हेतु लाभार्थियों का चयन, इमारती लकड़ी हेतु (टी o डी o)के लिए आवेदन, विभिन्न प्रकार के प्रस्तावों के माध्यम से मांग पत्र तथा कई प्रकार के अनापत्ति प्रमाण पत्र इत्यादि सभी काम जनवरी महीने से लंबित पड़े हुए हैं। जिस कारण ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
लोगों का कहना है कि अगर संसद और विधानसभा के सत्र चल सकते हैं तो प्रदेश में ग्राम सभायें क्यों नहीं हो सकती है।
जिला कुल्लू उप प्रधान संघ बंजार खंड के महासचिव और ग्राम पंचायत शिल्ही के युवा उप -प्रधान मोहर सिंह ठाकुर ने माँग की है कि प्रदेश सरकार को जल्द ग्राम सभाओं के आयोजन पर लगी रोक को हटा देनी चाहिए ताकि प्रदेश में विकास का पहिया रफ्तार पकड़ सके। इनका कहना है कि सरकार को यह भी स्पष्ट कर देना चाहिए कि बीपीएल परिवारों से अपात्र लोगों को कैसे हटाया जाए और पात्र लोगों को कैसे राहत प्रदान की जाए। लोगों का कहना है कि चुने हुए प्रतिनिधियों को जन सरोकार से जुड़े हुए इस मुद्दे को सरकार के समक्ष प्रमुखता से उठाना चाहिए।
जिला कुल्लू की पंचायत विकास अधिकारी विमला भट्टी का कहना है कि अभी तक ग्राम सभाएं करना प्रतिबंधित है। लेकिन उम्मीद है कि सरकार शीघ्र ही अधिसूचना जारी करके इस रोक को हटा सकती है।
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