सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

राफेल पर सीएजी ने तो सवाल उठा ही दिया


पंकज चतुर्वेदी
नई दिल्ली .राफेल विमान की खरीद पर उठ रहे विवादों को भले ही सुप्रीम कोर्ट, चुनावी परिणामों और अन्य कई गोपनीय कारकों ने टाला लगा दिया हो, लेकिन भारत के भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक(सीएजी ) द्वारा तैयार और  संसद के मानसून स्तर के अंतिम दिन  प्रस्तुत की गयी रिपोर्ट में स सौदे में फ़्रांस की कम्पनी के प्रति पक्षपात के प्रमाण तो सामने आ ही गए हैं .
 डिफेंस ऑफसेट पर जारी की गई सी ए जी  रिपोर्ट में कहा गया है कि 36 राफेल लड़ाकू विमान की डील के ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट की शुरुआत में (सितंबर 2015) यह प्रस्ताव था कि डीआरडीओ को हाई टेक्नॉलजी देकर वेंडर अपना 30 प्रतिशत ऑफसेट पूरा करेगा. लेकिन अभी तक टेक्नॉलजी ट्रांसफर सुनिश्चित  नहीं हुआ है. डीआरडीओ को यह टेक्नॉलजी स्वदेशी तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के लिए इंजन (कावेरी) विकसित करने के लिए चाहिए थी. अभी तक वेंडर ने ट्रांसफर ऑफ टेक्नॉलजी पर सहमती  नहीं दी है.
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ऑफसेट पॉलिसी से मनमाफिक नतीजे नहीं निकल रहे हैं इसलिए मंत्रालय को पॉलिसी और इसे लागू करने के तरीकों की समीक्षा करने की जरूरत है. जहां पर दिक्कत आ रही है उसकी पहचान कर उसका समाधान ढूंढने की जरूरत है.
दसॉ एविएशन , फ़्रांस ने राफेल जेट बनाए हैं और एम बी डी ए  ने इसमें मिसाइल सिस्टम लगाए हैं. संसद में पेश रिपोर्ट में कैग ने कहा कि कोई ऐसा केस नहीं मिला है जिसमें कोई विदेशी वेंडर बड़ी टेक्नॉलजी भारत को दे रहा हो. 29 जुलाई को भारत को 5 राफेल विमान मिले हैं. फ्रांस के साथ 36 विमानों की डील 59 हजार करोड़ रुपये में की गई थी. भारत की ऑफसेट पॉलिसी के मुताबिक विदेशी एंटिटी को अनुबंध का 30 प्रतिशत भारत में रिसर्च या उपकरणों में खर्च करना होता है. यह हर 300 करोड़ के ज्यादा के इंपोर्ट पर लागू होता है.
इसके लिए निशुल्क  टेक्नॉलजी ट्रांसफर और भारत के प्रोडक्ट को खरीदा भी जा सकता है. ऑडिटर ने कहा कि वेंडर अपने ऑफसेट कमिटमेंट को पूरा करने में नाकाम रहा है. कैग ने कहा कि रक्षा मंत्रालय को अपनी नीतियों की समीक्षा करने की जरूरत है.
कैग ने आगे कहा कि 2005 से 18 तक विदेशी कंपनियों के साथ 48 अनुबंध साइन किए गए थे जो कि कुल 66,427 करोड़ के थे. दिसंबर 2018 तक 19,223 करोड़ के ऑफसेट ट्रांसफर होना था लेकिन केवल 11,223 करोड़ का ही ट्रांसफर किया गया. यह वादे का केवल 59 प्रतिशत है.
विक्रेता कंपनी इस आफसेट दायित्व को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, भारतीय कंपनी को निशुलक प्रोद्योगिकी का हस्तांतरण कर या फिर भारत में बने उत्पादों को खरीद कर पूरा कर सकती है. आफसेट यानी सौदे की एक निश्चित राशि की भरपाई अथवा समायोजन भारत में ही किया जायेगा. लेखा परीक्षक ने कहा कि हालांकि, विक्रेता अपनी ऑफसेट प्रतिबद्धताओं को निभाने में विफल रहे, लेकिन उन्हें दंडित करने का कोई प्रभावी उपाय नहीं है. कैग ने कहा, ‘यदि विक्रेता द्वारा ऑफसेट दायित्वों को पूरा नहीं किया जाये, विशेष रूप से जब मुख्य खरीद की अनुबंध अवधि समाप्त हो जाती है, तो ऐसे में विक्रेता को सीधा लाभ होता है.’
कैग ने कहा कि चूंकि ऑफसेट नीति के वांछित परिणाम नहीं मिले हैं, इसलिये रक्षा मंत्रालय को नीति व इसके कार्यान्वयन की समीक्षा करने की आवश्यकता है.
मंत्रालय को विदेशी आपूर्तिकर्ताओं के साथ-साथ भारतीय उद्योग को ऑफसेट का लाभ उठाने से रोकने वाली बाधाओं की पहचान करने तथा इन बाधाओं को दूर करने के लिये समाधान खोजने की जरूरत है. कैग ने कहा कि 2005 से मार्च 2018 तक विदेशी विक्रेताओं के साथ कुल 66,427 करोड़ रुपये के 48 ऑफसेट अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए थे. इनमें से दिसंबर 2018 तक विक्रेताओं द्वारा 19,223 करोड़ रुपये के ऑफसेट दायित्वों का निर्वहन किया जाना चाहिये था, लेकिन उनके द्वारा दी गयी राशि केवल 11,396 करोड़ रुपये है, जो कि प्रतिबद्धता का केवल 59 प्रतिशत है.
रिपोर्ट में कहा गया, ‘इसके अलावा, विक्रेताओं द्वारा प्रस्तुत किये गये इन ऑफसेट दावों में से केवल 48 प्रतिशत (5,457 करोड़ रुपये) ही मंत्रालय के द्वारा स्वीकार किए गये. बाकी को मोटे तौर पर खारिज कर दिया गया क्योंकि वे अनुबंध की शर्तों और रक्षा खरीद प्रक्रिया के अनुरूप नहीं थे. कैग ने कहा कि लगभग 55,000 करोड़ रुपये की शेष ऑफसेट प्रतिबद्धताएं 2024 तक पूरी होने वाली हैं. उसने कहा, ‘विदेशी विक्रेताओं ने लगभग 1,300 करोड़ रुपये प्रति वर्ष की दर से ऑफसेट प्रतिबद्धताओं को पूरा किया है. इस स्थिति को देखते हुए, विक्रेताओं के द्वारा अगले छह वर्ष में 55 हजार करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता को पूरा कर पाना एक बड़ी चुनौती है.’
यह रिपोर्ट विस्तार से पढ़ें तो स्वदेशी की हवा निकलती सामने दिखती है, प्रतिरक्षा में भारतीय कम्पनियों के भविष्य की कोई संभावना नहीं दिखती और सबसे बड़ी बात , जो यूं पी ए शासन में समझौता था- तकनीक को भारतीय सरकारी कम्पनी को देने का-- वह तो पूरा हुआ ही नहीं- वैसे भी नए अनुबंध में तकनीकी का हस्तात्न्तार्ण सरकारी नहीं "मित्र_कम्पनी" (?)को किया जाना है. जनादेश से साभार 


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

महीनों से गायब सहायक अध्यापिका रहीं गणतंत्र दिवस पर अनुपस्थित,अवैतनिक छुट्टी के कारण सैकड़ों बच्चों का भविष्य अधर में।

  जयचंद लोकल न्यूज़ ऑफ इंडिया सोनभद्र/म्योरपुर/लीलाडेवा   शिक्षा क्षेत्र म्योरपुर के  अंतर्गत ग्राम पंचायत लीलाडेवा के कम्पोजिट विद्यालय लीलाडेवा में सहायक अध्यापिका रानी जायसवाल विगत जनवरी 2021से तैनात हैँ और प्रायः अनुपस्थित चल रही है।इस प्रकरण में खण्ड शिक्षा अधिकारी महोदय म्योरपुर श्री विश्वजीत जी से जानकारी ली गयी तो उन्होंने बताया कि सहायक अध्यापिका रानी जायसवाल अनुपस्थित चल रही हैँ अवैतनिक अवकाश पर है, उनका कोई वेतन नही बन रहा है। उधर ग्राम प्रधान व ग्रामीणों द्वारा दिनांक 27/12/2023 को ब्लॉक प्रमुख म्योरपुर व श्रीमान जिलाधिकारी महोदय सोनभद्र को लिखित प्रार्थना पत्र देने बावत जब ब्लॉक प्रमुख श्री मानसिंह गोड़ जी से जानकारी ली गयी तो उन्होंने बताया कि प्रार्थना पत्र पर कार्यवाही हो रही है श्रीमान मुख्य विकास अधिकारी महोदय  सोनभद्र  को मामले से अवगत करा दिया गया है।424 गरीब आदिवासी  छात्र- छात्राओं वाले   कम्पोजिट विद्यालय लीलाडेवा में महज 6 अध्यापक,अध्यापिका हैँ।विद्यालय में बच्चों की संख्या ज्यादा और अध्यापक कम रहने से बच्चों का पठन - पाठन सुचारु रूप से नहीं हो पा रही है जिससे गरी

खण्ड शिक्षा अधिकारी की लापरवाही से शिक्षा व्यवस्था बेपटरी,निर्माणाधीन विद्यालय भवन चढ़े भ्र्ष्टाचार की भेंट

  जयचंद लोकल न्यूज़ ऑफ इंडिया बीजपुर/सोनभद्र  प्रदेश सरकार की जनकल्याणकारी और महत्वकांक्षी निपुण भारत लक्ष्य और डीबीटी योजना म्योरपुर ब्लॉक में सुचारु रूप से चलती नजर नहीं आ रही है।योजना को शत प्रतिशत अंजाम तक पहुंचाने की जिम्मेदारी खण्ड शिक्षा अधिकारी म्योरपुर को शौपी गयी है लेकिन बीईओ की उदासीनता और लापरवाह कार्यशैली से ना बच्चे निपुण हो रहे हैँ और ना ही डीबीटी योजना का धन अभिभावकों तक पहुंच रहा है।बताया जा रहा है कि खण्ड शिक्षा अधिकारी म्योरपुर भवन निर्माण कराने वाले शिक्षकों और भगोड़े को प्रशिक्षण और बोर्ड परीक्षा ड्यूटी के नाम पर संरक्षण देने में ही अपना पुरा ध्यान लगा रखे हैँ।ऐसे में विद्यालयों में पठन पाठन का माहौल खत्म हो गया है।        शुक्रवार को म्योरपुर ब्लॉक के जरहा,किरबिल,सागोबाँध और म्योरपुर न्याय पंचायत के विभिन्न गांव में पहुँचे भाजपा के प्रतिनिधि  मंडल को ग्रामीणों ने बताया कि शिक्षक विद्यालय नहीं आते हैँ तो विद्यालय के बच्चे निपुण कैसे होंगे।         मण्डल अध्यक्ष मोहरलाल खरवार को ग्रामीणों ने बताया कि  बच्चों को किताबें पढ़ने नहीं आती   लेकिन खण्ड शिक्षा अधिकारी के दबा

प्रधानमंत्री मोदी जी के कार्यक्रम में जा रही बस पलटी 24 यात्री घायल

  मिठाई लाल यादव लोकल न्यूज़ ऑफ़ इंडिया मध्य प्रदेश:  मध्य प्रदेश शहडोल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में शामिल होने जा रही यात्री बस शनिवार सुबह पलट गई हादसे में 24 लोग घायल हुए हैं घायलों को जिले के स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करवाया गया है बस डिंडोरी जिले के धनवा सागर से शहडोल आ रही थी अनूपपुर जिले के पथरूआ घाट में मोड़ पर अनियंत्रित होकर पलट गई बस में लगभग 30 यात्री सवार थे डिंडोरी कलेक्टर विकास मिश्रा ने बताया कि बस मैं सवार सभी लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए शहडोल जा रहे थे