- लौंगी भुइँया ने कुदाल से बीस साल में पांच किलोमीटर लम्बी चार फ़ीट चौड़ी और तीन फ़ीट गहरी नहर अकेले ही खोद डाली
गौरी
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
गया . जिंदगी के बीस साल समाज सेवा करके लौंगी भुइंया ने तथाकथित पंजीकृत गैर सरकारी संस्थाओं को चुनौती दे डाला है.लौंगी ने होनहार वीरवान का होत चिकने पात कहावत काे चरितार्थ करने की शुरूआत अगस्त 2001में किया.लगातार बीस साल हाथ में कुदाल,खंती व टांगी लेकर पईन बनाना शुरू कर दिया. आज लौंगी 70 साल का हो गया है. न सरकार और न ही पंचायत के मुखिया के द्वारा इस जुनूनी लौंगी भुइंया के सम्मानित किया गया है.
सुबह में उठकर नित्य क्रियाक्रम करने मैदान में जाते थे.वहां देखा कि एक बहुत जल स्त्रोत है,जहां मवेशी पानी पीने जाते हैं.अनपढ़ पर दिमाग वाले व्यक्ति की तरह योजना बना डाली.अगर यहां से पईन की खुदाई करके खेत तक पानी ले जाया जाए. तो लोगों को खेती करने लायक पटवन मिल जाएगा.
गया जिला के इमामगंज व बांकेबाजार प्रखंड की सीमा पर जंगल में बसे है कोठीलवा गांव में महादलित मुसहर समुदाय के लोग. यहीं पर रहते हैं लौंगी भुइंया.बात 2001 की है. उस दौरान कोठीलवा गांव में खेतों तक पानी नहीं पहुंच पाता था. जिसके कारण लोग खेती छोड़कर शहर की ओर पलायन करने लगे. यह बात गांव के लौंगी भुइंया को अच्छी नहीं लगी. उन्हें यह देखकर बुरा लगता था कि पेट की खातिर गांव के युवा अपने पत्नी और बच्चों को छोड़कर परदेस कमाने जा रहे हैं. यह देख लौंगी भुइंया ने अपने गांव के लोगों के लिए कुछ करने की ठानी .हाथ में कुदाल,खंती व टांगी लेकर निकल पड़ना.
कोठीलवा गांव के लोगों की गरीबी दूर करने के लिए लौंगी भुइयां ने पांच किलोमीटर लंबी पईन(नहर) खोद डाला. लौंगी कहते हैं कि वे अकेले हाथ में कुदाल, खंती व टांगी लेकर निकल पड़ते थे.जब खुदाई शुरू की तब लोगों ने उनका मजाक उड़ाया. लोग पागल कहने लगे. लेकिन उन्होंने इसकी परवाह नहीं की.20 साल में इन्होंने पांच किलोमीटर लंबी, चार फीट चौड़ी व तीन फीट गहरी पईन की खुदाई कर डाली.पईन बनाकर लौंगी ने किसानों के खेतों तक पानी पहुंचा दिया.
वह 20 साल तक कड़ी मेहनत करके पहाड़ी रास्ते को समतल कर दिया और पांच किलोमीटर लंबी पईन बना डाली.सभी लौंगी भुइयां की हिम्मत की मिसाल दे रहे हैं और उनका सम्मान किया जा रहा है.भुइयां ने 20 सालों की मेहनत से पांच किलोमीटर लंबी पईन बना डाली ताकि बारिश का पानी पहाड़ी से गांव के खेतों में पहुंच सके, इससे, ग्रामीणों को काफी फायदा होगा.इस तरह के कारनामा करके लौंगी भुइंया ने ‘माउंनटेन मैन’ दशरथ मांझी की याद ताजी कर दी.दशरथ मांझी ने पत्नी प्रेम में पहाड़ के सीने को चीरकर राह बना डाला.आज भी शोहरत लूटते हैं.
बताया जाता है कि लौंगी ने कोठीलवा गांव में पईन बनाने के अगले ही दिन अगस्त 2001से अकेले पईन की खुदाई बंगेठा सगवाही जंगल से शुरू कर दी. जलछाजन विभाग के अधिकारियों ने पईन से आने वाले पानी को जमा करने के लिए एक बड़ा सा मेड़ बना दिया है.इसका नाम लौंगी आहर रखा गया है. मुखिया विशुनपत सिंह भोक्ता कहते हैं कि लौंगी और काम के लिए सरकारी मदद मांग कर रहे हैं. हम इसकी व्यवस्था करने पर विचार कर रहे हैं.
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