शिक्षक दिवस - 5 सितंबर पर विशेष श्री अवध बिहारी " अवध" द्वारा एक अप्रतिम प्रयास देश के नवनिहालों को संस्कारित करने के लिए त्यागा ऐशोआराम
शिक्षक दिवस - 5 सितंबर पर विशेष
श्री अवध बिहारी " अवध" द्वारा एक अप्रतिम प्रयास
देश के नवनिहालों को संस्कारित करने के लिए त्यागा ऐशोआराम
अजीत कुशवाहा
अतिथि पत्रकार
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
सोनभद्र।प्रत्येक वर्ष 5 सितंबर को भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधा कृष्णन को सम्मान देते हुए उनके जन्म दिवस को हम सभी शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं । कहते हैं कि शिक्षा समाज की रीढ़ होती है। समाज को दिशा देने का कार्य सदैव से शिक्षक का रहा है और युगों - युगों से भारतीय मनीषियों ने समाज को सही दिशा देने के कार्य का समुचित निर्वहन किया है, पर लगता है कि आज का शिक्षक अपने कर्तव्य से विमुख होता जा रहा है। इस कठिन समय में भी एक शिक्षक अपने प्रयासों से देश के नौनिहालों मे दिन - रात संस्कारों की अलख जगाने मे लगा है। आइये आपका परिचय इससे कराते हैं -
छोटी सी आयु में ही सच्चरित्र, संयमी, कर्तव्यनिष्ठ, और सृजनात्मक सोच से ओत - प्रोत बहुमुखी प्रतिभा के धनी कविवर अवधबिहारी "अवध" के प्रयास और उपलब्धियों को जानकर अनायास ही दाँतों तले उँगलियाँ दबाने को विवश होना पड़ता है। दक्षिणांचल (उत्तर प्रदेश) के सर्वाधिक पिछड़े, अशिक्षित और आदिवासी बाहुल्य जनपद सोनभद्र के ग्राम चक-चपकी के निवासी श्री अवधबिहारी "अवध" को अपने विद्यार्थी जीवन में ही आभास हो गया था कि समाज में व्याप्त अन्धकार से मुक्ति का रास्ता केवल शिक्षा और जागरुकता से होकर जाता है, इसी कारण बचपन से ही अवध साथ पढ़ने वाले छात्रः - छात्राओं को उदाहरण सहित व्याख्या कर नैतिक शिक्षा के प्रति जाग्रत करने लगे थे।
अवध का रुझान शनै शनै समाजसेवा और समाजोत्थान की और हो गया। उम्र के जिस पड़ाव पर नवयुवक आगामी जीवन के हसीन सपनों में खोया रहता है, वहीं पर अवध को तो बस समाज की चिन्ता लगी रहती थी । समाज की सेवा के जुनून मे अवध कुछ ऐसा खोया कि उसे हर समय बस यही दिखाई देने लगा। अब कृषि जागरण, नवीन तकनीकों का प्रयोग, साहित्य सेवा, नैतिक शिक्षा, संस्कृतिक जागरण तथा आयुर्वेद का प्रचार प्रसार ही उनके जीवन का लक्ष्य बनकर रह गया। अपने नैतिक शिक्षा के व्याख्यानों से ज्ञानार्जन, सत्य, अहिंसा, प्रेम, क्षमा, दया, परोपकार और देश सेवा जैसे संस्कारों को जाग्रत करने के कारण छात्रः - छात्राओं के मध्य उनकी लोकप्रियता असीमित है। इनके व्यक्तिगत आचरण और व्याख्यानों की उदाहरणयुक्त शैली छात्रः - छात्राओं मे संस्कारों के प्रति जिज्ञासा को बढ़ाती है। इनकी शैली और लोकप्रियता का आलम यह है कि दूर - दूर तक के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के प्राचार्य तथा अध्यापकगण इनके श्रीमुख से व्याख्यान सुनने को लालायित रहते हैं। केवल छात्र वर्ग ही नहीं अपितु समाज का हर तबका इनसे अनुभव, जानकारी और प्रयासों से लाभान्वित होता रहता है।
अवध के उद्देश्यों के प्रति इनके समर्पण ने इन्हें ख्याति भी दिलायी है। आज इनका नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। इनके कार्यो के कारण ही देश - प्रदेश और स्थानीय स्तर पर कितने ही पुरस्कार, सम्मान, प्रशस्ति पत्र तथा भेंट इत्यादि से इन्हें सम्मानित और अलंकृत किया जा चुका है। इन्हीं विशेषताओं के कारण इस वर्ष अवध को राष्ट्रीय युवा उत्सव 2020 के आदर्श युवा (YOUTH IKON) के रूप में उत्तर प्रदेश के महामहिम राज्यपाल, उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी, तथा देश - प्रदेश के अनेकों गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में सम्मानित किया गया। साथ ही स्वामी विवेकानंद सम्मान, सोनरत्न अलंकरण, साहित्य सम्राट, साहित्य भूषण, साहित्य साधक, साहित्य गौरव और काव्यश्री जैसी अनेकों उपाधियों से इन्हें विभूषित किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त इनके विचार और दर्शन समय - समय पर आकाशवाणी पर प्रसारित और विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। इनके कृषि और पशु पालन सम्बंधी ज्ञान के कारण विभिन्न राष्ट्रीय कार्यशालाओं मे अनेकों बार पुरस्कृत भी किया जा चुका है।
देखा जाये तो कविवर अवधबिहारी "अवध" जी कोयले की खान मे हीरे के समान हैं। क्षेत्र के शोषितों और वंचितों की आवाज बनकर अवध ने सदैव उनके हित के लिये कार्य किया है। इनके जैसे व्यक्तित्व का उचित सम्मान ही शिक्षक दिवस पर देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधा कृष्णन को सच्ची श्रद्धांजली होगी।
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