प्रणाम बापू ! बापू तो हमारा इम्युनिटी सिस्टम थे जिसकी आज देश को बहुत जरूरत हैं - फौज़िया अर्शी
फोटो :गूगल से साभार
विजय शुक्ल
लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया
दिल्ली। आज बापू दिवस हैं। और आज शायद बापू की कमी सबसे ज्यादा खाल रही होगी तो उन लोगो को जिन्होंने बापू को जरूरी समझा हैं उन नासमझ अंधभक्तो को जो राष्ट्रवाद की अफीम में अभी डिजिटल हो रहे हैं उनको तो नाथूराम गोडसे ही अच्छे लगेंगे। मेरी आपत्ति कोई गोडसे के अस्तित्व में होने या न अहोने से नहीं हैं और ना राष्ट्रभक्ति से हैं पर जिस तरह से आज राष्ट्रभक्ति की आड़ में बलात्कार का व्यापार चल रहा हैं इससे हैं। क्योकि मैं भी एक बेटी का बाप हूँ अपनी बहनो का भाई हूँ । जानता हूँ की बेटियां क्या मायने रखती हैं और बहनो की राखी का हमारी कलाई में क्या महत्व होता हैं? मैं कोई ब्राह्मण संगठन बनाकर, दलित सम्राट बनकर , मौर्य वंशज होने का दावा करके सरकार के लिए सत्ता की हनक के लिए समाज को अपने चंगुल में फंसाने वाला नहीं हूँ और ना ही सत्ता की चापलूसी को स्वीकारने के लिए बाध्य।
अगर सच में मोदी जी महात्मा हैं तो अपनी पार्टी के अंदर बलात्कारी , छेड़छाड़ करने वाले मौजूदा या पूर्व सांसद विधायक या कार्यकर्ता सबको बाहर निकाल उनको फांसी चढ़ाये और स्वच्छता अभियान की आड़ में विभिन्न विभागों में हजारो लाखो के बंटवारे के खेल को रोक दे। यकीन मानिये उनके इस कदम का मैं गुलाम बन जाऊंगा और मुझे लगेगा की सच में महात्मा ज़िंदा हैं।
बापू के होने पर उनके चरित्र पर रोजाना सवाल उठाये जाते हैं और सवाल उठाने वाले इन चरसी भंगेड़ी लोगो को इस बात का एहसास भी नहीं हैं कि बापू ने उनको क्या दिया हैं ? मुझे नहीं पता की देश को बंटवारे के पीछे बापू की गलती थी या बापू की ह्त्या के सहारे किसी गुजराती पटेल या नेहरू या जिन्ना की चमकती राजनीति थी या नाथूराम गोडसे ने सही या गलत किया वो जब हुआ जैसे हुआ लेकिन हुआ.
आज बापू ज़िंदा हैं काम से काम प्रणाम बापू जैसे गीत के माध्यम से हैं पर हैं। पूरी दुनिया ना सिर्फ बापू की ताकत को जानती व समझती हैं बल्कि उनकी सरल भाषा और उनके जन जुड़ाव की सोच को आगे भी साझा करना चाहती हैं। बापू को जिसने भी सूना था वो आज भी उनको महसूस करता हैं मैं भारत के कई दूर दराज के गाँवों में मौजूद बड़े बुजुर्गो की दास्ताँ से वाकिफ हूँ जिनपर राजनीतिक चश्मा कभी भी नहीं चढ़ सकता क्योकि उन्होंने बापू की बड़ाई के साथ साथ अटल बिहारी बाजपाई को भी अच्छा बनाने में गुरेज नहीं किया। पर आज बेऔलाद तानाशाह बनते हमारे नेता ना जाने बेटियों की लुटती इज्जत और उनकी आबरू पर कैसे तमाश बीन बने बैठे है।
बहरहाल आज बापू का दिन हैं और मेरा यह लेख हिसंक हो रहा हैं क्योकि बापू तो सबकी सुनते थे और सबके थे शायद गोडसे के भी उतने रहे होंगे। अब गोडसे को देश प्रेम ने ह्त्या के लिए उकसाया था या किसी और कारण ने पर जो हुआ वो शायद आजाद होने की कगार पर बैठे भारत का पहला आतंकी कदम था जिसका समर्थन कोई भी राष्ट्रभक्त देशभक्त करे तो उसको देशद्रोही की ही संज्ञा मिलनी चाहिए।
आज जब मैंने फौजिया आर्शी का गीत सुना तो लगा की सच में हमें राम राम की जगह प्रणाम बापू कहना चाहिए क्योकि इसकी जरूरत बहुत ज्यादा हैं आज। और उनसे बात चीत में उन्होंने मेरे सवाल का कि प्रणाम बापू की कल्पना आपने कैसे की पर जब कहा कि बापू आज की जरूरत हैं आज समाज की गिरते स्वास्थ्य के लिए मजबूत इम्मयूनिटी सिस्टम यानी बापू की सोच की बहुत जरूरत हैं। आज जिन पीढ़ियों को पता नहीं कि बापू थे क्या वो भी बापू को गाली देते हुए गोडसे को पूजते हैं जबकि उनको गोडसे के बारे में भी नहीं पता पर जब किसी बहन की अस्मिता हैं तो यह नौजवान सड़क पर मोमबत्ती लेकर खड़ा होता हैं आज उसकी सोच तो आजाद हैं वो अपनी बहन को बेटी को आजादी देता हैं पर समाज के इन वायरस को आजाद कैसे करेगा जब उसको बापू की सोच का अंदाजा यही नहीं हैं। शायद यह गीत लोगो को बता पाए की बापू ने उस समय बोला था कि जिस दिन घर की बेटिया बेबाक होकर अपनी बात रख पाएगी अकेले आजाद परिंदो की तरह निर्भय सांस ले पाएगी उसी दिन भारत आजाद हो जाएगा।
फौजिया अर्शी जैसे कई नेक सोच की वैक्सीन अभी इस देश में ज़िंदा हैं बस उनको जरूरत हैं सही समाज की जिनको बापू की इम्मयूनिटी सिस्टम वाली मजबूती दी जा सके।
फौज़िया अर्शी देश की जानी मानी गायिका , फिल्म निर्देशिका व निर्माता होने के साथ साथ एक नेक दिल सोच और उम्दा खयालो वाली भारत की बेटी हैं। जिनका मकसद लोगो के अंदर अच्छी आदतों का होने का एहसास दिलाना हैं। क्योकि मेरी तरह फौजिया अर्शी भी यह मानती हैं की बापू अच्छी आदतों की दुनिया थे और उनके विचार और आदर्श वाले रास्ते आज हमारा इम्म्यून सिस्टम हैं।
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