विजय शुक्ल
लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया
दिल्ली। वैसे तो ताली थाली और दिया जलाने वाली आम जनता जिसमे सब शामिल रहे थे अपने पीएम के साथ क्योकि उनको लगता था कि मंदिर की रार वो या कश्मीर की ३७० वाली चिंघाड़ मोदी जी ने सब निपटा दिया। कही अदालत के जरिये तो कही बिल के जरिये। कुछ को पसंद आया कुछ को नहीं भी भाया पर सबने साथ दिया। समय भी सही था कोरोना की कैद में इस तरह की एक दो कैद और सही। अब अगर कश्मीर के लोगो की बात करेंगे तो उनका दर्द तो वही जाने और उन्होंने ही झेला हैं सो हम यहां बैठकर उनके दर्द की टींस कत्तई नहीं महसूस कर सकते बाकी लोग करते हैं तो यह उनकी कला हैं।
बहरहाल नागरिकता बिल के निपटारे के बाद मानो सरकार ने ठान लिया हो कि अब वो सब कुछ निपटा देंगे क्योकि अगर लोगो की माने तो ना मकान बचा हैं और ना दुकान। पर मीडिया वालो की माने तो सब चंगा हैं जबकि हर तरफ पंगा ही पंगा हैं। बहरहाल आज किसान बिल पर चारो तरफ शहादत से लेकर अन्नत्याग जैसा कार्यक्रम चल रहा हैं और टीवी पर सरकारी एजेंडे को सेट करती डिबेट्स भी। अब रही बात किसानो की तो वो मस्त होकर बैठ गए हैं बॉर्डर पर। रोटी , पिज़्ज़ा और पकौड़े वाले लंगरों की भरमार सी हैं चारो तरफ। पहले दूर रहने वाले राजनेता , अधिकारी और किसान नेता अब मजबूर होकर इस कारवाँ का हिस्सा बन रहे हैं क्योकि अन्नदाता तो राजा हैं दिल का। उसके मन की बात सबको भाती हैं क्योकि वो हम सबको खिलाता हैं दाम भी लेता हैं पर उतना नहीं जितना आलू टिक्की वाला बर्गर बेचने वाला चार्ज करता हैं।
अब जब युवा से लेकर किसान धीरे धीरे आंदोलन का अख्तियार कर चुका हैं और रोजाना इसमें लोगो का हुजूम जुड़ता जा रहा हैं तो यकीन मानिये सरकार की भृकुटि तनना तय ही हैं। और दूसरी तरफ सरकार के एक से बढ़कर एक सहयोगी किसान आंदोलन को समर्थन देने और लंगर की फोटो शेयर कर यह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि वो अब किसान हैं हालांकि वो एक एजेंडे और मिशन के साथ जुड़े हैं किसानो को गुमराह करने के लिए। ऐसे कईयों को तो अब किसान पहचान भी रहे हैं और उनका इलाज भी शुरू हो चुका हैं।
ज़रा सोचिये खर पतवार की पहचान करने वाला किसान इन बहुरूपियों को भला ना पहचान पायेगा और जब एक बार उसका दिल और दिमाग यह ठान चुका की बिल को ख़त्म करवाना हैं तो यह तो आसान सा काम हैं बंजर में फसल उगाने से भी आसान।
अब सवाल यह हैं कि आखिर सरकार क्या करे ? मोदी जी को किसान शायद बहुत प्यार करते हैं चीनी मिल मालिकों को रुपया बांटने के बावजूद भी और फसलों के सही दाम ना मिलने के बाद भी। पर मोदी जी अच्छे नेता हैं सबके चहेते भी हैं देश का हित चाहते हैं तो शायद किसानो के मन सुन सकते होंगे और अगर उनको इनकी बात सुनाई दे गयी तो यकीन मानिये किसानो के मन की बात मोदी जी आने वाले रविवार को बोलते हुए इस बिल को वापस लेलेगे।
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