- क्षेत्र के कई बुद्धिजीवी लोगों और समाजसेवियों ने लिया हिस्सा, सालभर चलेंगे कार्यक्रम
- पर्यावरण, स्थानीय आजीविका व समुदाय के अधिकारों और तीर्थन नदी के संरक्षण पर हुई चर्चा
- क्षेत्र के संरक्षण और समग्र विकास के लिए दिले राम शबाब के पदचिन्हों पर चलने की जरूरत- सुरेन्द्र परमार
लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया
तीर्थन घाटी गुशैनी बंजार। जिला कुल्लू उपमण्डल बंजार के खुंदन होटल ब्लूशिप में हिमालयन नीति अभियान संस्था द्वारा दिले राम शबाब जन्म शताब्दी वर्ष समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में हिमालयन नीति अभियान संस्था, सहारा संस्था, सेव लाहुल स्पिति सोसाइटी, जीभी वैली टुरिज्म डेवलोपमेन्ट एसोसिएशन के अलावा क्षेत्र के कई गण मान्य वुद्धिजीबी लोगों और नवनिर्वाचित ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया है।
हिमालयन नीति अभियान संस्था के निदेशक सन्दीप मिन्हास ने बतलाया कि इस आज 2 फरवरी 2021 को दिले राम शबाब के जन्म शताब्दी वर्ष को पर्यावरण संरक्षण, स्थानीय आजीविका, संसाधनों पर समुदायों के अधिकारों और तीर्थन नदी के संरक्षण के रूप में मनाया जा रहा है। इन्होंने बतलाया कि इस पर सालभर तक कार्यक्रम चलते रहेंगे और 2 फरवरी 2022 को बड़े पैमाने पर एक उत्सव के रूप में स्वर्गीय दिले राम शबाब की जन्म शताब्दी बनाई जाएगी।
स्वर्गीय दिले राम शबाब के व्यक्तित्व से अधिकतर लोग भली-भांति परिचित हैं।
दिले राम शबाब के जीवन में कई आयाम रहे है। उन्हें एक अधिकारी के रूप में, एक साहित्यकार, एक विचारक, एक राजनीतिज्ञ, एक पर्यावरण संरक्षणवादी तथा एक नदी-रक्षक योद्धा के रूप में जाना जाता रहेगा।
उनके जीवन की और भी कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ रही हैं जिसमे ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क का दर्जा देना , स्थानीय लोगों के हक हकुकों के लिए आवाज बुलंद करना, तीर्थन नदी का संरक्षण, ट्राउट मछली के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में प्रयास, पर्यावरण-पर्यटन, स्थानीय आजीविका के साधनों को बेहतर बनाने की पहल सराहनीय रही है।
दिले राम शबाब ने विधायक रहते हुए तीर्थन नदी की जल धारा लारजी से लेकर बताड़ तक 40 किलोमीटर में ट्राउट मछली के शिकार पर सरकार से तीन साल के लिये प्रतिबन्ध लगाया था जिसका नतीजा बहुत ही सकारात्मक रहा है और आज इसी वजह से ट्राउट मछली के लिए तीर्थन घाटी देश विदेश में विख्यात है।
इस कार्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण, स्थानीय आजीविका, प्राकृतिक संसाधनों पर समुदायों के प्रभाव और अधिकारों, पर्यटन के आयामों और स्थानीय लोगों की भूमिका आदि विषयों पर चर्चा परिचर्चा की गई। इस दौरान जेएनयू से सेवानिवृत्त प्रोफेसर एवं साहित्यकार डॉक्टर बरयाम, सेवानिवृत प्रोफेसर एवं साहित्यकार डॉक्टर सुरत ठाकुर, सेवानिवृत पुलिस अफसर एवं सेव लाहौल सोसाइटी के निदेशक प्रेम चन्द कटोच, समाजसेवी दलीप सिंह ठाकुर, हिमालयन नीति अभियान संस्था के निदेशक गुमान सिंह, सहारा संस्था के निदेशक राजेन्द्र चौहान, जीभी वैली टूरिस्म एसोसिएशन के प्रधान ललित कुमार, लाहौल पर्यटन संघ से विक्रम, राजु भारती और सुरेन्द्र परमार ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों के समक्ष अपने अपने विचार रखे। और कार्यक्रम में पूरे वर्ष किए जाने वाली गतिविधियों की रूपरेखा तैयार की गई।
सेवानिवृत्त प्रिंसिपल एवं समाजसेवी सुरेन्द्र परमार का कहना है कि शबाब एक सोच का नाम था जिनकी सोच बहुत ही दूरदर्शी रही है। इनका मानना है कि दिले राम शबाब द्वारा घाटी के विकास के लिए किए कार्यो को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। आज क्षेत्र संरक्षण और विकास के लिए उनके पद चिन्हों पर चलने की जरूरत है।
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