प.विनय शर्मा
हरिद्वार। गोवर्धन पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ ने आज दंडी स्वामियों के साथ गंगा स्नान किया।
विदित हो की आज कुम्भ का दुर्लभ संयोग है। हरिद्वार में कुम्भ 2010 के बाद 11 वर्ष पश्चात हो रहा है। शिवरात्रि एवं सोमवती अमावस्या के उपरांत यह कुम्भ का तीसरा शाही स्नान है। इस अवसर पर गोवर्धन पुरी पीठधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ ने सैकड़ों दंडी स्वामियों के साथ गंगा में स्नान किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा की कुंभनगरी में आज मेष संक्रांति पर शाही स्नान व बैसाखी का पर्व स्नान के लिए दुर्लभ संयोग लेकर आया है। उन्होंने कहा की कुम्भ की परंपरा पौराणिक है तथा सदियों से शंकराचार्यों, संतों महात्माओं के सानिध्य में कुम्भ मेले होते आये हैं। स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ ने कहा की कुंभ मेले और कुंभ घट को साधारण पर्व या मात्र शाही स्नान पर्व न मानें। इस कुंभ में अनादि त्रिदेवों, सप्त समुद्रों और चारों वेदों का निवास है। कुंभ महापर्व के प्रतीक कुंभ घट में पृथ्वी और आकाश भी समाए हुए हैं। कुंभ कलश का घट स्वरूप पवित्रता और अनंत मांगल्य का प्रतीक है। ऋग्वेद में कुंभ की महिमा लिखी है। वेद के अनुसार कुंभ के मुख में विष्णु, कंठ में रुद्र, मूल में ब्रह्मा, मध्य भाग में मातृकागण, कुक्षी में सप्त समुद्र और सप्तद्वीप एवं पृथ्वी आकाश समाए हैं। ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद अपने समस्त अवयवों के साथ कुंभ में निवास करते हैं। इस कारण गंगा तट पर स्नान का बड़ा फल मिलता है उन्होंने इस अवसर पर प्राणिमात्र के कल्याण की कामना की तथा कहा की शीघ्र ही विश्व कोरोना जैसी माहमारी से मुक्त हो ।
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