गणेश वैद
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
हरिद्वार। एक ओर कोरोना संक्रमण लगातार अपने पैर पसारता जा रहा है दूसरी ओर लोगो की लापरवाही इस महामारी को एक बड़ी आपदा ना बना दे उसके लिए उत्तराखंड सरकार को सम्पूर्ण लाकडाऊन जैसे कठोर कदम उठाने ही होंगे।
बुधवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने जब अपने मंत्रिमंडल के साथ कोरोना की स्थिति पर समीक्षा बैठक बुलाई थी तो लग रहा था कि वह सम्पूर्ण लाकडाऊन जैसा फैसला ले सकते है ,परन्तु
उन्होंने बैठक में केवल कोरोना कर्फ्यू की गाइडलाइन पर आंशिक संशोधन के साथ बैठक की औपचारिकता पूर्ण की।
प्रदेश के मुखिया के तौर पर उन्को सम्पूर्ण अधिकार है कि वह प्रदेश व प्रदेशवासियों के हित में सभी आवश्यक ऐतिहातन कदम उठाए फिर चाहे सम्पूर्ण लाकडाऊन ही क्यों ना करना पड़े।
कोरोना संक्रमण की चैन तोड़ने के लिए सबसे अच्छा व एकमात्र उपाय इस वक़्त लाकडाऊन ही है,क्योंकि जिस प्रकार की तस्वीरे बाजारों व सड़कों पर देखी जा रही है उससे इसकी चैन को तोड़ना बेहद जरूरी हो चला है । जब अधिकांश व्यवसाय ठप्प पड़ा ही है तो आवश्यक वस्तुओं को छूट के बहाने आंशिक रूप से ही सही बाजारों,दफ्तरों और सड़कों पर भीड़ और चहल पहल ने कर्फ्यू के मायने ही बदल दिए । सवाल ये है कि अगर कर्फ्यू ऐसा ही हो तो फिर सम्पूर्ण लाकडाऊन ही क्यों ना कर दिया जाए।
अब ये सरकार को सोचना होगा कि वह सम्पूर्ण लाकडाऊन को कब व किन परिस्थितियों में लागू करती है ,क्योंकि अधिकांश व्यापार तो वैसे भी बंद ही पड़े है और यदि कुछ दिन का सम्पूर्ण लाकडाऊन लगाने से हालात काबू में आ सकते हो तो बिना वक्त गंवाए इस पर प्रदेश सरकार को गंभीरता से फैसला लेना ही होगा ।
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