शिक्षक नहीं बंधुआ मजदूर और दास प्रथा वाली फीलिंग आती है, अँग्रेजो की सरकार शायद ऐसे ही रही होगी। अब हम तो खतरे में हैं ही लगता हैं अब सरकार भी खतरे में हैं - शीतल दहलान , जिला अध्यक्ष , महिला शिक्षक संघ , सोनभद्र
1671 शिक्षकों की मौत का आकड़ा चुनाव के दौरान का हैं। बड़ा अजब गजब हैं यह मंत्री के तीन मौत का आकड़ा। यह शर्म की बात हैं। मौत पर मजाक करना दुखद हैं. बाकी डिपार्टमेंट के लोगो की तो वैक्सीनेशन तक करवाई गयी पर शिक्षकों को तो बस मौत के बाजार में उतार दिया गया - इकरार हुसैन, ब्लॉक अध्यक्ष , म्योरपुर, सोनभद्र , प्राथमिक शिक्षक संघ
विजय शुक्ल
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
दिल्ली। मीडिया से दो गज की सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर रखने की हिदायत देने वाले रामराज में सब कुछ ठीक ठाक हैं क्योंकि अब गंगा में गश्त लगाती पुलिस हैं लाशो को बेवजह वहाँ भटकने से रोकने में। क्योकि लड़ाई तो सारी मुर्दा लोगो को लेकर ही हैं यूपी में। तो अब यूपी के बेसिक शिक्षा मंत्री जिन्होंने लाशो की गणित में विशारद की होगी शायद का विवादित बयान उसी की एक बानगी हैं। जिनके हिसाब से चुनाव में कुल शिक्षकों में सिर्फ तीन की मौत हुई हैं। गणित में विशारद इसलिए कि यह आर्यभट्ट के बाद दुनिया के पहले ग्यानी मंत्री हैं जिन्होंने १६०० बराबर तीन का प्रमेय सिद्ध किया हैं बाकी किसी के बाप की औकात नहीं हैं कि यह आकड़ा सिद्ध कर दे। गाँव में कहावत हैं बहुत पहुंची हुई और शायद वो सबको पता हैं कि ऐसे लोग ना तीन में ना तेरह में।
शिक्षकों को मौत के मुहाने से लेकर सड़ी हुई ट्रको में चुनावी संदूक ढुलवाता यह विभाग उनकी मौत के बाद उनका मजाक उड़ा रहा हैं और उनके परिवार वालो के जख्मो के ऊपर मानो नमक छिड़क रहा हैं। यह सब मौत के सौदागर हैं और इनकी गणित शायद आने वाले समय में शिक्षकों के लिए एक अच्छा नजीर साबित हो। क्योकि अब यह खोज तो इन्होने कर ही दी हैं। शिक्षक संघो ने चिल्लाचिल्लाकर इनको गिनती सुनाई , पत्र भेजकर और ज्ञापन देकर पढ़ने के लिए भेजा नाम पता और नम्बर के साथ पर मजाल हैं कि इनको कोई फर्क पड़ा हो क्योकि यह जिस जिले के प्रभारी हैं और जहा से एक बाकायदा इनकी बार बार की आवाजाही पर इनकी खुशामद में पेशगी की कई कहानिया सोनभद्र की गली कूचे में फैली हुई हैं उसी जिले में लगभग दर्जन भर से ऊपर लोग चुनावी युद्ध में शहीद हुए हैं। वो अलग बात हैं कि कोई चुनाव की ट्रेनिंग लेकर रास्ते में रोड एक्सीडेंट में मर गया तो वो इन महान मंत्री की आकड़े वाली लेजर बुक का हिस्सा कैसे बनेगा ?
महिला शिक्षक संघ की सोनभद्र की जिलाध्यक्ष का कहना हैं कि चुनाव ड्यूटी पर ना पहुंच पाने वालों शिक्षकों की लिस्ट जारी करना तो सरकार को खूब याद रहा। पर ड्यूटी के दौरान संक्रमित होकर मृत शिक्षकों की गिनती सरकार के समझ नहीं आ रही। चुनाव प्रशिक्षण से लेकर मतगणना के बीच ड्यूटी से संक्रमित होने के कारण जान गवा चुके सैकड़ों शिक्षक की मृत्यु को सरकार मानने को तैयार नही,जबकि हमारे दिवंगत शिक्षक के परिजनों के पास कोरोना संक्रमण के आवश्यक कागज हैं ,उसके बाद भी सरकार अनदेखी कर रही हैं। महिला शिक्षक संघ इसकी निंदा करता हैं।
अब क्या हमारे मंत्री यह चाहते हैं कि हम सब अब अपनी मौत पर हुए इस मजाक के बाद इ पाठशाला , मिशन प्रेरणा टाइप के एनजीओ वाले इनके कामो में हम सपोर्ट कर पाएंगे। शायद नहीं।
वही प्राथमिक शिक्षक संघ के म्योरपुर ब्लॉक अध्यक्ष इकरार हुसैन ने कहा कि इन लोगो की गणित कैसे होगी यह तो समझ से बाहर हैं ? हमारे जिले में ही दर्जन भर से ऊपर लोग चुनावी ड्यूटी के दौरान मारे गए अब यह एक भद्दा मजाक मंत्री जी ने अपने शिक्षकों के साथ किया हैं।
शिक्षकों के अंदर शायद इस बात का बड़ा दर्द होगा कि सरकार में उनके विभाग के मंत्री ने तो मौत पर मजाक बनाया हुआ हैं। काश योगी जी के मंत्रियो की गणित थोड़ी ठीक होती वरना यह तय मानिये कि योगी जी के गड्ढा मुक्त और गुंडा मुक्त प्रदेश उत्तर प्रदेश में रामराज का उनका सपना कही लाशो के साथ गंगा में ना बह जाय।
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