अंग्रेजो के समय में अग्रसेन का नाम उजागर करने वाले साहसी वकील, स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व राज्यसभा सांसद थे अशोक गोयल मँगालीवाला के दादा स्वर्गीय लाला जुगल किशोर
आज़ादी के सच्चे सिपाही , समाजसेवी और जमींदारों (किसानो ) के सच्चे हिमायती और वकील थे लाला जुगलकिशोर
विजय शुक्ल
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
दिल्ली। आज आजादी के पचहत्तर साल बीत गए हैं पर हिसार के लोगो के बीच लाला जुगल किशोर का नाम और उनके साहस के किस्सों की प्राचीर आज भी जस की तस हैं।
एक बुलंद और यादगार सामाजिक पैठ थी लाला जुगल किशोर की। वकील और समाजसेवी लाला जुगलकिशोर पंडित नेहरू और महात्मा गांधी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हिसार में गाँधी चौक के पास नीमवाला मोहल्ले की अपनी कोठी से आजादी की अलख जगाने के लिए जाने जाते थे।
वो समय था जब लाला जुगल किशोर अंग्रेजो से बिना किसी भी के निडरता से अग्रसेन जयंती धूमधाम से मनाया करते थे। उनकी पंडित नेहरू से नजदीकियां और समाजसेवा में बढ़ चढ़कर काम करने की धमक ही थी की आज़ादी में उनकी साथ लड़ी गयी लड़ाई के फलस्वरूप उनको दूसरी राज्यसभा में पंडित नेहरू ने राज्यसभा सांसद के रूप में हिसार की जनता का प्रतिनिधत्व और उनकी समस्याओ का उन्मूलन करने का मौका मिला।
आज वही विरासत एक उम्मीद के साथ अपने वारिस अशोक गोयल मँगालीवाला से समाज के दुःख दर्द को दूर करने और उनके ऊर्जावान और अनुभवी व्यक्तित्व से समाज की नयी सेवानीति निर्माण की राह देख रहा हैं। क्योकि लाला जुगल किशोर अक्सर अशोक गोयल मँगालीवाला से अपने माटी का मोल चुकाने और जमींदारों को दुखो से आज़ादी दिलाने की बात करते रहते थे और आज शायद अशोक गोयल म्नगालीवाला ने अपने वकील सांसद दादा के सपनो को पूरा करने के लिए उनके राजनीतिक विरासत सम्हालने का निर्णय, लाला जुगलकिशोर के उसी रसूख और शान को हिसार के लोगो में बनाये रखने के लिए किया हैं और हिसार की वही आना बान शान का भी।
(जाने माने उद्योगपति, समाजसेवी और राजनेता अशोक गोयल मंगालीवाला के लेख पर आधारित)
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