महामारी की मार झेल रहे हॉकरों को अब माननीय अदालत को आग के खेल की पीआईएल में उलझा अपने मन की आग तो नहीं बुझा रहा यह नेहरू प्लेस का एसोसिएशन अध्यक्ष
विजय शुक्ल
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
दिल्ली। माननीय अदालत के न्याय के ऊपर न पहले कोई शक था ना आज हैं और शायद दो साल से पुलिस एमसीडी , डीडीए का चक्कर काटने के लिए मजबूर की गयी यह महिला उर्मिला देवी ना जाने महिला होने की कौन सी सजा काट रही हैं और उसने इस एसोसिएशन के मुखियाओं का क्या बिगाड़ रखा हैं कि यह आग बुझने के चौबीस घंटे भी नहीं बीते थे की यहाँ रह रहे सैकड़ो हॉकरों के जीवन यापन के साधनो को निपटाने की योजना बना बैठे। आग शोरूम में लगी और बस माननीय अदालत के संज्ञान के लिए कि यह आग एसोसिएशन के मुखिया की बिल्डिंग में ऊपर कपडे के गोदाम में लगी और वो भी शार्ट सर्किट से।
इस आग को लगाने में जाहिर सी बात हैं इन हॉकरों का कोई रोल नहीं रहा होगा पर एसोसिएशन की सालो के खुन्नस की आग को इसने हवा जरूर देदी और अब तक पूरी हिम्मत से अपनी इज्जत आबरू बचाते उर्मिला देवी को उखाड़ फेकने का एक और मौका इनकी नजर में आ गया और उसका नतीजा सामने हैं। क्या यह एसोसिएशन प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की इस महामारी में छोटे हॉकरों को बचाने के लिए की जा रही मुहीम की जरा भी परवाह नहीं करते अगर करते होते तो शायद ही यह दकियानूसी विचारधारा के साथ इनकी रोजी रोटी को निशाना बनाते। आप जरा सोचिये इतना बड़ा एसोसिएशन चलाने वाला व्यक्ति रात साढ़े आठ बजे डीडीए के दफ्तर में भला कौन सी सांठ गाँठ करने गया हैं और वो भी उस अधिकारी अंसार अली के साथ जिसने अपने ही फैसले को बार बार बदला हो किसी दबाव में या फिर जायज नाजायज का आकलन करके। फिर भी यह शंका उठना लाजमी हैं कि क्या अब उर्मिला देवी की आड़ में यह सभी हॉकरों के जीवन यापन को खत्म करने की मुहीम पर आगे बढ़ चुके हैं।
बहरहाल इसका फैसला माननीय अदालत को करना हैं और शायद इस तरीके की दलीलों का संज्ञान और कागजी कार्रवाई का खेल अदालते सदा बेनकाब करती हुई मानव संवेदना से जुड़ा फैसला लेती हैं। और महामारी में जब पीएम खुद दस हजार रूपये की आर्थिक कर्ज नीति से इन हॉकरों को और गरीब कुनबे में घूमती खुशहाली की इस गाढ़ी कमाई की पहिया को ज़िंदा रखना चाहते हैं तो वैसे समय में अपने मन की आग बुझाने के लिए कपडे के शोरूम में लगी आग जिसका बीमा अवश्य होगा के सहारे टाइमिंग पर छक्का मारने की एसोसिएशन की यह छल भरी योजना देश भर की माननीय अदालतों का और केंद्र में बैठी मोदी सरकार का आम जीवन बचाने की मुहीम पर शायद एक ब्रेक लगाने की कवायद ही साबित हो। पर इन सबमे अंसार अली की भूमिका पर संदेह उठना लाजमी हैं और इसकी जांच अगर माननीय अदालत संज्ञान में लेकर करे तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा और लोगो के भले के लिए बनाये जाने वाले एसोसिएशन का लोगो को सताने का हक ना मिले इसका भी इंतजाम हो जाएगा।
(नेहरू प्लेस में लगी आग का वीडियो का लिंक दिल्ली के एक सम्मानित चैनल पर )पहले की यह खबर भी आपका थोड़ा ज्ञानवर्धन करने में मददगार साबित होगी : पढ़िए
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