महंत नरेंद्र गिरी की मौत और सुसाइड नोट में उनके चेले आनंद गिरी का नाम यह एक बड़ी साजिश का हिस्सा तो नहीं
मेरे गुरूजी की ह्त्या हो चुकी हैं और अब मुझे मारने की साजिश होगी। वो व्यक्ति हत्या करने वाले नहीं हैं इसमें सीधे सीधे सम्पत्ति का खेल हैं। एक अमर गिरी हैं और एक सिपाही अजय सिंह हैं जिसनेअकूत संपत्ति बनाई हैं उसके साथ एक मनीष शुक्ल हैं और कई लोग हैं सबने मिलकर गुरूजी की हत्या की हैं। - आनंद गिरी (आज तक से बातचीत पर आधारित )
विजय शुक्ल
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
दिल्ली। हाल में हुए गुरु शिष्य विवाद में स्वामी आनंद गिरी और महंत नरेंद्र गिरी के बीच एक तगड़ा वाक् युद्ध हुआ था। वजह थी अखाड़े में चल रही हेर फेर। जिसको लेकर शिष्य ने बाद में महंत नरेंद्र गिरी से माफ़ी भी मांग ली थी और विवाद एक तरह से विराम के साथ अखाड़े की पंचायती व्यवस्था के न्याय की प्रक्रिया में चला गया था। पर उस समय भी गुरु और शिष्य के बीच कोई तीसरे साजिशकर्ता की भूमिका मानी जा रही थी क्योकि गुरु नरेंद्र गिरी और उनके शिष्य आनंद गिरी में अपार प्रेम था और शायद महंत नरेंद्र गिरी इस बात को समझते भी थे।
पर आज जिस तरह से उनके मौत के समाचार आये और अब उनके सुसाइड नोट खबर टीवी समाचार में दिखाई जा रही है इसकी निष्पक्ष जांच की भूमिका को बढ़ा देते हैं क्योकि कोई तो हैं जो गुरु और शिष्य दोनों को एक साथ निपटाना चाहता हैं। वो हैं कौन ? और क्यों एक मानसिक रूप से स्वस्थ और दुनिया को आध्यात्म का ज्ञान देने वाला व्यक्तित्व उठाएगा यह अपने आप में सवालिया घेरे में हैं। आपको बता दे कि यूपी के प्रयागराज से यह दिल दहला देने वाली खबर लेटे हुए हनुमान जी और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी जी महाराज ने बाघम्बरी मठ में बंद दरवाजे के अंदर शव लटका हुआ मिला। और अब मीडिया में पुलिस से शिष्य आनंद गिरी का नाम बताया जा रहा हैं। इसमें पुलिस और स्थानीय प्रशासन से हटकर इसको केंद्रीय जांच एजेंसियों के हवाले करना चाहिए क्योकि गुरु और शिष्य में विवाद करोडो अरबो के घोटाले पर शिष्य आनंद गिरी ने आवाज उठायी थी और वो घोषित उत्तराधिकारी भी थे।
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