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सोनभद्र मे गौतम बुद्ध के अनुयायियो ने अपने अपने अंदाज मे मनायी बुद्ध पूर्णिमा 

सोनभद्र मे गौतम बुद्ध के अनुयायियो ने अपने अपने अंदाज मे मनायी बुद्ध पूर्णिमा 



राकेश कुमार सिंह


लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया 



ओबरा, सोनभद्र। महात्मा बुद्ध ना सिर्फ बौद्ध धर्म के संस्थापक थे बल्कि मानव धर्म के पहले उपासक भी। बौद्ध धर्म का विस्तार और उसकी समग्रता उसके खुले आचरण से ही झलकती है क्योकि इस धर्म को आप अपने तर्को पर जांच परख कर चयन कर सकते है। आज इस समय शायद बुद्ध ज्यादा प्रासंगिक लग रहे है।


 
तथागत भगवान बुद्ध जी की पूजा अर्पण किया -त्रिरत्न शुक्लेश


युवा समाजसेवी सपा नेता त्रिरत्न शुक्लेश ने आज बुद्ध पूर्णिमा पर दुनिया में शांति के प्रतीक,करुणा के सागर,महामानव तथागत गौतम बुद्ध की जयंती के पावन अवसर पर उन्हें कोटि कोटि नमन तथा सभी धम्म प्रेमियो एवम उपासको को जय भीम नमो बुद्धाय कहा । उन्होने बताया कि ईसा पूर्व छठी शताब्दी में ज्ञान प्राप्ति के बाद कहा कि संसार में दुख है,दुख का कारण है,और कारण है तो उसका निवारण है जो आप ही कर सकते है। उन्होंने यह भी कहा कि धरती पर ईश्वर    का कोई अस्तित्व नहीं है,क्योकि जब मनुष्यो के ऊपर कोई बिपदा आई उसे दूर करने के लिए किसी ईष्वर ने कोई प्रयास नहीं किया। अपनी सहायता खुद मनुष्यो ने की। इसके सभी धर्मों का यह दावा है कि ईश्वर इस ब्रह्माण्ड का मालिक है। वही बनाता है,वही बिगाड़ता है और संकट में मानव की मदद करता है। आज कोरोना महामारी ने महामानव बुद्ध तथा दार्शनिक को सही ठहराया है।आज जितने भी तथाकथित भगवान है ,चाहे सबसे बड़े धर्म का मुख्यालय रोम हो,मुसलमानो का मक्का हो या हिन्दुओ के मंदिर/देवता, सभी के दरवाजे बंद और मानव के इस बिपत्ति में उनके कल्याण का कार्य मनुष्य यानि की बैज्ञानिक और डॉक्टर्स कर रहे है, उन्हें नमन है।            



 भारतीय समाज में सदियों  से अन्धविश्वास हावी रहा है एवम आज भी है,लेकिन जो इसे फैलाते है वे सामने वाले को भ्रमित करके अपना उल्लू सीधा करते है तथा बिश्वास करने वाला कुछ पाने के भ्रम में अपना सब कुछ लुटाता रहता है। बहुजनो के लिए बहुत सारी पाबंदियों के बावजूद भी वे समझना नहीं चाहते। इसी लिए कहा गया कि पढ़ा लिखा होना अलग बात है और शिक्षित होना अलग   बुद्ध के पंचशील का सिद्धांत हमें अंध बिश्वाश ,पाखंडवाद से तो बचाता ही है,प्रबुद्ध  नागरिक बनने की प्रेरणा भी देता है। हम तमाम दुष्वारियों के बाद भी उसी ईश्वर से प्रार्थना करते है तथा अपने लिए कुछ मांगते रहते है जिसके पास मुझे देने के लिए कुछ भी नहीं है। उस धर्म के साथ मुझे क्यों जुड़े रहने चाहिए  जो मनुष्य को  जन्म सेछोटा बड़ा, उच नीच,जातियों और वर्गो में बाटता है और कहता है कि तुम्हे पढ़ने का अधिकार नहीं,तुम्हारी कोई इज्जत नहीं,मरे दम तक कोई सम्मान नहीं। इसी मानवता की इज्जत और सम्मान के लिए हमारे महापुरुषों संत रविदास,संत गाडगे,बाबा साहेब,पेरियार से लेकर ललाई सिंह यादव,जगदेव बाबु,एवम कांशी राम तक ने संघर्ष किया तथा समाज को जागृत करने का कार्य किया। उन्हें भी आज कोटि कोटि नमन करता हूँ।वे सभी अत्त दीपो भव से परिपूर्ण थे। बाबा साहेब के प्रयासों से आज भारत पंथ निरपेक्ष राष्ट्र है,लेकिन कुछ लोग भारत न कहकर हर जगह हिंदुस्तान बोलते है,उसमे उनके कुछ निहितार्थ है जिसे आप अच्छी तरह से समझ सकते है। धार्मिक होने से अच्छा है कि वह यह समझे की मानव के प्रति मानव का क्या धर्म है। किसी की अंधभक्ति करने में आपको अपना दिमाग नहीं लगाना होता है केवल अंधे बहरे की तरह करते जाना होता है  इससे उनके प्रिय तो हो सकते है,परन्तु जब आपका दिमाग नहीं चलेगा तो आप प्रबुद्ध नागरिक नहीं बाबा सकते। प्रबुद्ध का अर्थ है एक दूसरे के लिए कार्य करने की प्रवृत्ति। दुःख के समय साथ देने तथा मिलजुलकर साथ रहने का गुड़ होना साथ ही उत्पीडन की दशा में उसका डटकर मुकाबला करना उपर्युक्त सभी बातों को साकार करने के लिए अत्त दीपो भव  से परिपूर्ण अर्थात शिक्षित होना आवश्यक है जिसके बिना मानव बहुजनो हो संभव नहीं है ।अतः आप सभी बुद्ध के मार्ग  पर चलने का प्रयास  करिए तथा दुसरो को जागरूक करे।


मानव मानव एक समान गौतम बुद्ध की यही पहचान- संजय कनौजिया



बहुजन समाज पार्टी के सबसे तेज तर्रार वरिष्ठ  नेता संजय कनौजिया ने  भगवान बुद्ध जी की पूर्णिमा पर एक संदेश  देते हुए कहा कि मानव मानव एक समान बुद्ध जी की यही पहचान। और यह भी  कहा कि आज पूरी दुनिया कोरोना महामारी से परेशान है और हम लोग अगर लाक डाउन का पालन नहीं करते हैं तो हम लोग भी परेशान हो जाएंगे  सोनभद्र  ग्रीन जोन में है  इसका यही कारण है कि हम सभी बहुत अच्छे से सोशल डिस्टेंस , मास्क, लॉक डाउन का पालन कर रहे है ।


निसहाय गरीबों को राशन बाँटकर रमेश सिंह यादव ने मनायी बुद्ध पूर्णिमा



बुद्ध पूर्णिमा के शुभ अवसर पर  रमेश सिंह यादव युवा समाज सेवी, जल पुरूष, व पूर्व नगर पंचायत अध्यक्षा दुर्गावती जी  ने  कोरोना महामारी जैसी हालात में गरीब मजदूरों जो काम करने योग्य नही है उनको राशन बाँटा।रमेश सिंह यादव ने यह का कि आज भगवान बुद्ध की जयंती है हम सभी लोग बहुत धूम धाम से मना रहे है।बुद्ध के अतिरिक्त संसार के किसी भी धर्म के प्रवर्तक ने अपने मत को जाच परख करने की किसी भी प्रकार की स्वतंत्रता नही दी है। बुद्ध ने ही अपने मत को जांच परख करने के बाद ही अपनाने या न अपनाने की स्वतंत्रता दी है ये उनके बुद्ध धम्म के अपने अनुयायियों की लिए दिमाक को खुला रखने का महान सन्देश है। बुद्ध ने दीर्घ निकाय १/१३ मे अपने शिष्य कलामों उपदेश देते हुए कहा है कि " हे कलामों , किसी बात को केवल इसलिए मत मानो की वह तुम्हारे सुनने में आई है , किसी बात को केवल ईसलिए मत मानो कि वह परंपरा से चली आई है -आप दादा के जमाने से चली आई है , किसी बात को केवल इसलिए मत मानो की वह धर्म ग्रंथो में लिखी हुई है , किसी बात को केवल इसलिए मत मानो की वह न्याय शास्त्र के अनुसार है किसी बात को केवल इसलिए मत मानो की उपरी तौर पर वह मान्य प्रतीत होतीहै , किसी बात को केवल इसलिए मत मानो कि वह हमारे विश्वास या हमारी दृष्टी के अनुकूल लागती है,किसी बात को इसलिए मत मनो की ऊपरी तौर पर सच्ची प्रतीत होती है किसी बात को इसलिए मत मानो की वह किसी आदरणीय आचार्य द्वारा कही गई है . कलामों ;- फिर हमें क्या करना चाहिए .......???? बुद्ध ;- .....कलामो , कसौटी यही है की स्वयं अपने से प्रश्न करो कि क्या ये बात को स्वीकार करना हितकर है.....???? क्या यह बात करना निंदनीय है ...??? क्या यह बात बुद्धिमानों द्वारा निषिद्ध है , क्या इस बात से कष्ट अथवा दुःख ; होता है कलमों, इतना ही नही तुम्हें यह भी देखना चाहिए कि क्या यह मत तृष्णा, घृणा ,मूढता ,और द्वेष की भावना की वृद्धि में सहायक तो नही है , कालामों, यह भी देखना चाहिए कि कोई मत -विशेष किसी को उनकी अपनी इन्द्रियों का गुलाम तो नही बनाता, उसे हिंसा में प्रवृत्त तोनही करता , उसे चोरी करने को प्रेरित तो नही करता , अंत में तुम्हे यह देखना चाहिए कि यह दुःख; के लिए या अहित के लिए तो नही है ,इन सब बातो को अपनी बुद्धि से जांचो, परखो और तुम्हें स्वीकार करने लायक लगे , तो ही इसे अपनाओ।"



कुल मिलाकर तथागत बुद्ध के अनुसार न कोई ग्रन्थ, न कोई परम्परा, न कोई आचार्य आपका सही तरीके से मार्गदर्शन कर सकता है। वरन केवल आपका अपना स्वबुद्धि, स्वविवेक, स्वअनुभव ही आपका उचित मार्गदर्शन कर सकता है। इसीलिये बुद्ध ने अंतिम उपदेश में कहा था कि 'अप्प दीपो भव' अर्थात अपना दीपक स्वमं बनो। यही बुद्ध का महानतम उपदेश है। और यह भी कहा कि मानव मानव एक समान की भावना सभी को रखना चाहिए। आज कोरोना महामारी में पूरी दुनिया परेशान है हम सभी लोग को लॉक डाउन का पालन करना चाहिए। और कोरोना से बचने का अभी कोई उपाय नही है। यह लगातार बढ़ रहा है सोनभद्र ग्रीन  जोन में है यह खुशी की बात है हम सब अभी सुरक्षित है पर ध्यान रहे हम लोग सतर्क रहें क्योकि लॉक डाउन का पालन नही होगा तो हम लोग मुसीबत में होंगे । कार्यक्रम में राजू साहनी, कलीम, अजीत कनोजिया,अजूबा, त्रिरत्न शुक्लेश, इस्तियाक खा, दिनेश, मोनू, अनिल, फूलवती, रानी, आदि लोग मौजूद रहे।


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