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अगस्त, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कागज का एक टुकड़ा

राधिका और नवीन को आज तलाक के कागज मिल गए थे। दोनो साथ ही कोर्ट से बाहर निकले। दोनो के परिजन साथ थे और उनके चेहरे पर विजय और सुकून के निशान साफ झलक रहे थे। चार साल की लंबी लड़ाई के बाद आज फैसला हो गया था। दस साल हो गए थे शादी को मग़र साथ मे छः साल ही रह पाए थे।  चार साल तो तलाक की कार्यवाही में लग गए। राधिका के हाथ मे दहेज के समान की लिस्ट थी जो अभी नवीन के घर से लेना था और नवीन के हाथ मे गहनों की लिस्ट थी जो राधिका से लेने थे। साथ मे कोर्ट का यह आदेश भी था कि नवीन  दस लाख रुपये की राशि एकमुश्त राधिका को चुकाएगा। राधिका और नवीन दोनो एक ही टेम्पो में बैठकर नवीन के घर पहुंचे।  दहेज में दिए समान की निशानदेही राधिका को करनी थी। इसलिए चार वर्ष बाद ससुराल जा रही थी। आखरी बार बस उसके बाद कभी नही आना था उधर। सभी परिजन अपने अपने घर जा चुके थे। बस तीन प्राणी बचे थे।नवीन, राधिका और राधिका की माता जी। नवीन घर मे अकेला ही रहता था।  मां-बाप और भाई आज भी गांव में ही रहते हैं। राधिका और नवीन का इकलौता बेटा जो अभी सात वर्ष का है कोर्ट के फैसले के अनुसार बालिग होने तक वह राधिका के पास ही रहेगा। नवीन महीने

CM भुपेश का बड़ा फैसला: सेवानिवृत्ति की आयु अब 58 वर्ष से बढ़कर 60 वर्ष

वानिवृत्ति की आयु अब 58 वर्ष से बढ़कर 60 वर्ष छत्तीसगढ़(Chhattisgarh) सरकार ने प्रदेश के निजी क्षेत्र के कारखानों और संस्थानों में कार्यरत (Private sector factories)कर्मचारियों-कर्मकारों (Workers)की सेवानिवृत्ति (Retirement)की आयु 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष कर दी है। इससे इन क्षेत्रों में कार्यरत लाखों कर्मकारों को दो वर्ष और सेवा करने का मौका मिलेगा। यह ऐतिहासिक फैसला छत्तीसगढ़ औद्योगिक नियोजन (नियोजन आदेश) अधिनियम 1961 के प्रावधान के तहत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और श्रम मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया के निर्देश पर लिया गया है। इस आशय की अधिसूचना 5 अगस्त 2019 को असाधारण राजपत्र में प्रकाशित की जा चुकी है। अब माह अगस्त से सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को इसका तत्काल लाभ मिलेगा। उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार ने छत्तीसगढ़ दुकान एवं स्थापना अधिनियम 1958 के प्रावधान के अनुसार राज्य के छोटे-बड़े सभी प्रकार के व्यपारियों-व्यवसायियों को अपने दुकान एवं स्थापना का केवल एक बार पंजीयन कराने का भी निर्णय लिया गया है। छत्तीसगढ़ दुकान एवं स्थापना अधिनियम 1958 के प्रावधान के तहत दुकान एवं स्थापना का पंजी

राजधानी दिल्ली के एम्स अस्पताल में लगी भीषण आग, मौके पर दमकल की 22 गाड़ियां

देश की राजधानी दिल्ली के जाने-माने अस्पताल एम्स में आग लगी है. बताया जा रहा है कि शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगी है. शुरुआती जानकारी के मुताबिक आग पहले और दूसरे फ्लोर पर लगी है. एम्स के टीचिंग ब्लॉक में ये आग लगी  है. एम्स आग लगने के बाद मौके पर फायर ब्रिगेड की टीम मौजूद है और आग पर काबू पाने की कोशिश की जा रही है. फायर डिपार्टमेंट की 22 गाड़ियां आग पर काबू पाने में लगी है. एहतियात के तौर पर एम्स का इमरजेंसी विभाग बंद कर दिया गया है. जानकारी के मुताबिक एम्स के सेकंड फ्लोर पर स्थ‍ित पीसी ब्लॉक में लगी. गौरतलब है कि एम्स दिल्ली ही नहीं, देश का प्रमुख चिकित्सा संस्थान है. सबसे प्रमुख बात यह है कि इन दिनों पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली गंभीर हालत में एम्स में भर्ती हैं. वहां राष्ट्रपति, पीएम मोदी सहित कई केंद्रीय मंत्रियों और अन्य वीवीआईपी का आना-जाना लगा रहा है. ऐसे में वहां आग लगने की घटना प्रशासन के लिए काफी बड़ी चुनौती है.

अटल जी की पुण्यतिथि पर झारखंड के 17 जिलों में अटल क्लिनिक का हुआ उदघाटन

भारतीय जनता पार्टी (BJP) और आम आदमी पार्टी (AAP) के नाम लिए जाएं तो जेहन में सबसे पहले दोनों की कट्टर सियासी प्रतिद्वन्द्विता सामने आती है. दोनों पार्टियां बेशक एक दूसरे पर जमकर प्रहार करती रहें लेकिन चुनावी फायदे के लिए एक दूसरे की लोकलुभावन योजनाओं का लाभ उठाने से भी परहेज नहीं करतीं.   दिल्ली की राजनीतिक जमीन पर वर्चस्व के लिए दोनों पार्टियों की कोशिशें किसी से छुपी नहीं हैं. बीजेपी और आप के नेता एक दूसरे को कठघरे में खड़ा करने का कोई मौका नहीं छोड़ते. लेकिन दिल्ली की केजरीवाल सरकार की ओर से लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए शुरू की गई 'मोहल्ला क्लीनिक' योजना का महत्व बीजेपी भी समझती है.     'मोहल्ला क्लीनिक' की तर्ज पर इस विचार को जम्मू और कश्मीर, तेलंगाना, कर्नाटक में अपनाए जाने के बाद अब झारखंड में भी बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने आज यानी 16 अगस्त से इसकी शुरुआत की है. फर्क ये है कि झारखंड में इस योजना को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर 'अटल क्लीनिक' रखा गया है. आज 16 अगस्त को ही वाजपेयी की पहली पुण्यतिथि है.  

स्टेज 4 क्रोनिक किडनी रोग से पीड़ित 40 वर्षीय मीनाक्षी कंबोज ने 2017 को कैडेवर ऑर्गन डोनेशन के माध्यम से सफलतापूर्वक अपना दूसरा किडनी ट्रांसप्लांट करवाया|

नई दिल्ली, स्टेज 4 क्रोनिक किडनी रोग से पीड़ित 40 वर्षीय मीनाक्षी कंबोज ने 2017 को कैडेवर ऑर्गन डोनेशन के माध्यम से सफलतापूर्वक अपना दूसरा किडनी ट्रांसप्लांट करवाया और मैक्स अस्पताल शालीमार बाग में उन्हें नया जीवन प्राप्त हुआ। जब मैक्स अस्पताल मरीज के लिए डोनर की तलाश कर रहा था, तभी एक मरीज, जिसे 2017 को ब्रेन डेड घोषित किया गया था के परिवार को ऑर्गन डोनेशन की संभावना के बारे में काउंसलिंग दी गई और बताया कि इस तरह वे कितनों की जान बचा सकते हैं। परिवार ने दया और उदारता के साथ कॉर्निया, किडनी और लीवर के अंगों को दान करने का फैसला किया, जिसके कारण न केवल मीनाक्षी को नया जीवन मिला बल्कि 5 अन्य लोगों की जान भी बचाई गई। अंग दान विशेष रूप से उत्तरी भारत में एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है, जो कई दृष्टिकोणों और मिथकों से ग्रस्त है। यहां दानदाताओं की सख्त कमी है। दाता के परिवार के इस नेक काम से लोगों की जान बचाने में मदद मिलती है। कंबोज के जीवन ने एक घातक मोड़ लिया जब 1999 में किया गया उनका पहला किडनी ट्रांसप्लान्टट 2014 में विफल हो गया और 2015 में उन्हें डायलिसिस प्रक्रिया से गुजरना पड़ा। पहले किडनी प्र