विजय शुक्ल एक समय था जब कांग्रेस सत्ता में थी और उस समय बाबा रामदेव स्वदेशी का नारा लेकर आए और अब उन्होंने तो अरबों खरबों का साम्राज्य इकट्ठा कर लिया और सब कुछ बेच रहे है पतंजलि के ब्रांड के सहारे। फिर बाबा रामदेव के पीछे से लड़ती भाजपा ने स्वदेशी का पूरा माहौल बनाया और रामलीला मैदान से भागा एक बाबा और भ्रष्टाचार का माहौल ऐसा बना कि मोदी और शाह का युग आया। जैसे जैसे मोदी और शाह की पकड़ भाजपा पर मजबूत होती गई और देश जीएसटी और नोटबंदी जैसे दौर से कालाधन और कालाबाजारी खत्म करने का माहौल बनाया उसने उत्तर प्रदेश से लेकर कई राज्यों के भाजपा की सत्ता ला दी और कई छोटे बड़े दल सत्ता के फल की मिठास चखने के लिए एकजुट हो गए वो भी भाजपा खेमे में। जो 2019 तक आते आते ईडी सीबीआई और आईटी के सहारे से मोदी शाह को मजबूत करते हुए भाजपा को नारेबाजी और महज पोस्टर चिपकाने से लेकर अभियान के भीड़ का हिस्सा बनने वाली पार्टी में तब्दील कर दिया और मजेदार बात यह है कि भाजपा ने इस भीड़ को और बड़ा किया इतना बड़ा कि बाकी विपक्ष के कार्यकर्ताओ की भीड़ मुश्किल से दिखाई देती और जो दिखाई भी देती वो किसी न किसी तरह सलाखो