कुर्सी का षड्यंत्र: सुजीत विकास नहीं, पूरा कुमाऊं निशाने पर है विजय शुक्ल लोकल न्यूज ऑफ इंडिया दिल्ली. भारत की राजधानी दिल्ली से कहीं दूर उत्तराखण्ड की राजधानी में सुजीत कुमार विकास के खिलाफ निलंबन वाला खेल जीरो टॉलरेंस वाला प्रपंच कम एक साज़िश ज्यादा लग रही है और यह कोई "सिस्टमिक क्लीन-अप" नहीं थी, बल्कि एक "सिस्टम प्रोटेक्शन" थी — जिसमें असली भ्रष्टाचारियों ने मिलकर ईमानदार को ही खतरा मान लिया। और शैलेश बगौली इसके अगुवा चेहरा जरूर हैं — लेकिन असली स्क्रिप्ट किसी और ने लिखी, निर्देशन लॉबी ने किया, और मंच पर पर्दा गिराया गया DPC की पूर्व संध्या पर। उत्तराखंड पेयजल निगम में अधीक्षण अभियंता सुजीत कुमार विकास का निलंबन महज एक विभागीय कार्रवाई नहीं है। यह एक ऐसा प्रशासनिक प्रकरण बन चुका है जिसमें ईमानदारी, वरिष्ठता और क्षेत्रीय पहचान को योजनाबद्ध तरीके से सत्ता की भूख के नीचे कुचला गया है। सुजीत का नाम हटाकर केवल एक अफसर को नहीं, बल्कि कुमाऊं के पूरे प्रशासनिक ढांचे को यह संदेश दिया गया कि तुम्हें शीर्ष पदों तक पहुंचने का कोई अधिकार नहीं है। इस पूरे मामले की पृष्ठभू...