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फ़रवरी, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

वैलेंटाईन पर भारी पुलवामा

वैलेंटाईन पर भारी पुलवामा आज सोशल मीडिया पर मानो वैलेंटाइन पर पुलवामा भारी पड़  गया है ऐसा वॉट्सएप्प और फेसबुक देखकर कहा जा सकता है पर क्या वास्तव मे देश इस शहादत की मार्केटिंग ने ऐसा फील कर रहा है या फिर वास्तविकता मे। पर अगर हम कारगिल देखे तो आज उसमे शहीद जवानो के घरवाले तरस रहे है कही पेंशन की टेंशन है तो कही जमीन ना मिलने की पर उनकी शाहदत शायद भुलाने के लिये होगी या हाल फिलहाल मे उनका बिकना तय नही हो पाया होगा। हमारे सैनिक हमारे लिये जान दे रहे है और आज उनको कही सुविधा की शिकायत है तो कही उनके भत्ते की। पर अगर सरहद पर कोई जवान शहीद हो तो उसकी शहादत पर हमे गर्व होता है और हम सब देश के साथ होते है। पर आज कल आतंकियो के हौसले इतने बुलंद कैसे हो गये जो हमारे घर मे घुसकर वो हत्याये कर रहे है। पूरा देश जब भी एक जवान अपनी जान देता है तो उसका दर्द मह्सूस करता है पर क्या हम सब आज एक प्रण ले सकते है कि अब तक जितने भी जवान शहीद हो चुके है सबकी शहादत के बाद की उनकी जिन्दगी मे जो दिक्कते है उसको दूर कर सके अगर हां तो यह वैलेंटाइन डे पर सच मे मेरा भारत शहादत को भारी बना देगा और हम सब अपने जवानो क

सियासत मे जंग

सियासत मे जंग   उत्तर प्रदेश बड़ा सूबा बड़ी जिम्मेदारिया और उतनी ही बड़ी समस्याये। समाजवादी पार्टी को हराकर योगी जी का रामराज आने तक आज के उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य और उस समय के पार्टी अध्यक्ष का बड़ा रोल था क्योकी यह सरकार आई ही थी पिछड़ो के बल पर। योगी जी के गद्दी सम्हालने से पहले तक मुख्यमंत्री के रेस मे सबसे आगे अगर कोई नाम था तो वो दिनेश शर्मा का और सुर्खियो मे मनोज सिन्हा अपनी गणित भिड़ा रहे थे। पर उस समय भी केशव मौर्य को पार्टी तवज्जो देती रही और लोकसभा चुनाव तक सब कुछ ठीक ठाक ही चलता रहा हालांकी अन्दर खाने मे सब कुछ वैसा नही था जैसा दिख रहा था और अब जब इन दोनो की लडाई खुलकर सामने आ गयी है तो शायद यह भी तय है कि भाजपा का जाना भी यूपी से तय है क्योकी केशव मौर्य सुलझे हुए और जमीनी नेता है वो अलग बात है की उप चुनाव मे वो अपनी विरासत नही बचा पाये थे पर जनाधार पिछड़ो मे उनका तब भी था और अब भी है। आखिर कौन है जो योगी और केशव को लडाकर अपनी जमीन तैयार कर रहा है या फिर कही योगी जी नौकरशाही के गिरफ्त मे तो नही आ गये। हालांकी योगी आदित्यनाथ सबको साथ लेकर चलने मे सक्षम है और वो यह भी जानते है की प

गंगा जमुनी तहजीब को जिन्दा रखे हुए है इकबाल गोरी जैसे इंसानियत के सिपाही लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया

लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया दिल्ली। देश मे सियासी माहौल गरमाया हुआ है और सत्ता और सियासत के लोग इसको बखूबी समझते है और समाज उनकी छोटी बड़ी बातो पर बहुत यकीन करता है। ऐसा ही एक नाम है डॉ इकबाल गोरी का जो भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है और जमीनी स्तर पर लोगो की नुमायंदगी भी करते है। भाईचारा नाम से एक मुहिम उनके इस कदम का एक सही उदाहरण है। नागरिकता के मुद्दे पर भी वो समाज को जागरुक करने के साथ साथ अल्पसंख्यक समुदाय मे बनी भ्रम की स्तिथि को दूर करने की वो सार्थक पहल भी कर रहे है। उनका सीधा और सहज व्यवहार और देश के दूर दराज तक उनकी पहुंच सही मायने मे देश मे गंगा जमुनी तहजीब का सबसे ताकतवर हथियार है। दिल्ली की चुनावी तस्वीर पर चर्चा करते हुये डॉक्टर इकबाल गोरी ने एनएसपीआर इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष आमिर अलवी व दिल्ली के प्रबुद्ध अशोक जी से चर्चा मे बताया कि दिल्ली की जनता गंगा जमुनी तहजीब को समझती है और उसको बढावा देती है इस बार वोट वो देश हित मे ही करेगी। उन्होने आठ फरवरी को सबको आगे बढकर मतदान करने की अपील की।

निर्भया केस: हाईकोर्ट ने कहा नही होगी अलग-अलग फांसी, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

निर्भया केस: हाईकोर्ट ने कहा नही होगी अलग-अलग फांसी, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती निर्भया गैंगरेप केस के 4 दोषियों को अलग-अलग फांसी नहीं दी जाएगी. दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की अर्जी पर यह फैसला सुनाया है.   दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र की अर्जी पर सुनाया फैसला निर्भया के दोषियों को अलग-अलग फांसी देने पर दायर हुई थी यचिका केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को अब सुप्रीम कोर्ट में दी है चुनौती निर्भया गैंगरेप मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की अर्जी पर फैसला सुनाते हुए कहा कि चारों दोषियों को अलग-अलग फांसी नहीं हो सकती. वहीं अब इस मामले में केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी है. दरअसल, आज दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि निर्भया के चारों दोषियों को अलग-अलग समय पर फांसी नहीं दी जा सकती. केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा था कि जिन दोषियों की याचिका किसी भी फोरम में लंबित नहीं है, उन्हें फांसी पर लटकाया जाए. एक दोषी की याचिका लंबित होने से दूसरे दोषियों को राहत नहीं दी जा सकती. निर्भया मामले पर रविवार को ही दिल्ली हाई कोर्ट

जलोड़ी दर्रा की बर्फ से ढकी खामोश वादियाँ पर्यटकों को करती है आकर्षित

जलोड़ी दर्रा की बर्फ से ढकी खामोश वादियाँ पर्यटकों को करती है आकर्षित। वर्फबारी के दौरान करीब तीन माह तक जलोड़ी मार्ग पर वाहनों की आवाजाही रहती है बाधित।  जलोड़ी दर्रा वहाल होते ही यहाँ पर उमड़ता है पर्यटकों का सैलाब, मूलभूत सुविधाओं की कमी। लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया। गुशैनी, हिमाचल प्रदेश । लोड़ी दर्रा हिमाचल प्रदेश के कुल्लु जिला में हिमालय पर्वत की चोटी पर स्थित एक ऊँचा दर्रा है जिसकी ऊँचाई समुन्द्र तल से करीब से दस हजार फुट है। यह दर्रा इनर सराज और बाह्य सराज के मध्य स्थित कुल्लु जिला के बंजार और आनी उपमण्डल को आपस में जोड़ता है। जलोड़ी दर्रा से पूर्व की ओर बाह्य तथा पशिचम की ओर इनर सराज का खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है। यहाँ तक सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। यह दर्रा सर्दियों के मौसम में भारी बर्फबारी होने के कारण अक्सर मध्य दिसम्बर माह से फरवरी माह तक वाहनों की आवाजाही के लिए बन्द रहता है जो आमतौर पर हर साल मार्च माह के दूसरे सप्ताह में खुलता है। इस दौरान वाह्य सराज के आनी और निरमंड खण्ड की 58 पंचायतों के हज़ारों लोगों को जिला मुख्यालय कुल्लु में अपने सरकारी व जरूरी कार्य करन

राहुल का मोदी सरकार पर निशाना, बोले- सब बेच रहे हैं, शायद ताजमहल भी बेच दें

राहुल का मोदी सरकार पर निशाना, बोले- सब बेच रहे हैं, शायद ताजमहल भी बेच दें जंगपुरा में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि इंडियन ऑयल, एयर इंडिया, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, रेलवे, एनर्जी, लाल किला तक बेच दिया, शायद ताजमहल भी बेच दें.   राहुल गांधी ने जंगपुरा में जनसभा को किया संबोधित जंगपुरा से राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर बोला हमला दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार के पक्ष में चुनाव प्रचार करने राहुल गांधी भी उतरे. राहुल गांधी ने मंगलवार को एक जनसभा को संबोधित किया. जनसभा के दौरान राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. राहुल गांधी ने कहा कि सब बेचने में लगे हैं. शायद ताजमहल भी बेच दें. दिल्ली के जंगपुरा में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि आजकल बीजेपी के नेता देशभक्ति की बात करते रहते हैं. सुबह-शाम पाकिस्तान-पाकिस्तान करते रहते हैं. आप मुझे बीजेपी का एक नेता दिखा दो, जो पाकिस्तान में जाकर हिन्दुस्तान का नारा लगाने का दम रखता हो. राहुल बोले- काम नहीं होता सिर्फ मार्केटिंग होती है बीजेपी और आप पर हमला बोलते हुए राहुल ने कहा कि चाहे

*नयी आबकारी नीति एक अप्रैल से प्रभावी हो जाएगी-*

*नयी आबकारी नीति एक अप्रैल से प्रभावी हो जाएगी-* राज्य सरकार की नयी आबकारी नीति के तहत बडे शहरों में मध्यरात्रि के बाद दो बजे तक बार खुले रहेंगे- फाइव स्टार होटलों में सुबह 4 बजे तक परोसी जा सकेगी शराब - उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के बडे शहरों में बार मध्यरात्रि के बाद दो बजे तक और फाइव स्टार होटलों में सुबह चार बजे तक खुले रखने का निर्णय लिया है, बार वालों को इसके लिए वार्षिक फीस देनी होगी। प्रमुख सचिव संजय भूसरेडडी ने बताया कि मेहमानों विशेषकर विदेशी मेहमानों की सुविधा के लिए यह फैसला किया गया है, फाइव स्टार होटलों के बार सुबह चार बजे तक खुले रहेंगे, पूर्व के नियमों के तहत मध्यरात्रि के बाद बार खोलने की अनुमति नहीं थी।।

पार्टी से बड़ा बनता कार्यकर्ता

पार्टी से बड़ा बनता कार्यकर्ता  बाप बाप होता है बेटा बेटा को आजकल गलत साबित करने मे कोई लगा है तो वो है कांग्रेस के नेता वो भी वो वाले जो चुनाव लड़ रहे है जिनका मानना है कि कांग्रेस पार्टी का नाम और उसका काम वो नही गिना सकते क्योकी उन्होने चुनाव अपने दम पर जीता है और लोग उनको वोट देते है ना की कांग्रेस को। अजीब सा लगता है ऐसी बातो को सोचकर और तब जायज लगता है कांग्रेस का मौजूदा हाल। प्रियंका और राहुल की सारी कोशिशे शायद तभी बेकार होती दिख रही है क्योकी उनके सामने ऐसे उम्मीदवार और कार्यकर्ता है जो अपने आप को पार्टी से बड़ा मानते है । पंजाब मे , छत्तीसगढ़ मे मध्य प्रदेश मे या राजस्थान मे जहा कही भी पार्टी जीती है वो सिर्फ एक कारण से और वो कि वहा का कार्यकर्ता अपने आप को पार्टी का सच्चा सिपाही मानकर लड़ रहा था। और उम्मीदवार भी कांग्रेस के पीछे खडा था ना कि आगे। बहरहाल मुद्दा दिल्ली का है और यहा कांग्रेस के उम्मीदवार अपने आपको बड़ा मान रहे है और बस चुनाव जीत चुके है अपने ऊचे कद के कारण जो आने वले रिजल्ट के दिन अपना मुंह छुपाते शर्तिया नज़र आएगे। क्योकी पैसे के दम पर कार्यकर्ता नही बनाये जा सकते बस

आम आदमी कमजोर तो नही

विजयपथ  आम आदमी कमजोर तो नही  बजट आया सबने अच्छा सबने बुरा कहा । टैक्स सुना कि पाँच लाख तक फ़्री हो गया गंगा यमुना की सफाई की तरह सुना है भारत नेट का बडा बजट सबको तोह्फे मे मिला कुल मिलाकर खुश हाल करने वाला ही बजट मिला । पर आम आदमी कमजोर हुआ या मजबूत सवाल आज भी वही का वही है । अब इसको दिल्ली के चुनाव से तो मत जोड़ कर देखिये जहां हर तरफ शाहीन बाग के कारण आम आदमी को सात सौ रुपए दिहाड़ी मिल रही है और वो उसमे खुश है क्योकी बजट मे ना तो नौकरी है ना रोजगार के साधन। पर क्या मोदी सरकार इन्फ्रा पर खर्च करके कोई गलती कर रही है या यह सब तय योजना के तहत हो रहे काम है या फिर किसी को खुश करने के लिये बनाये जा रहे प्रावधान है अगर सरकार इतना सब कुछ कर रही है तो यह जरूर सोचा होगा की टैक्स का बोझ और इन्फ्रा की मरम्मत का खर्च भी आगे जुड़ेगा और अगर इन्फ्रा के साथ बस यह दंगा हत्या और धरना ही बढ़ना है तो आम आदमी मजबूत कब होगा । यह अलग बात है कि केजरीवाल ने आम आदमी को मजबूत करने का खेल तो खेला पता नही अगर इतना काम हुआ है तो प्रचार पर ढिंढोरा पीटने की क्या जरूरत आन पड़ी वो चाहे मोदी जी हो या केजरीवाल जी। उसके पीछे