कही ताला , तो कही हाजिरी का गड़बड़झाला , रामराज में पहले दिन स्कूल पर हाजिरी लगाता लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया
सरकार के आदेशों की सरेआम धज्जियां उड़ाते परिषदीय विद्यालय के अध्यापक, स्कूल बंद अध्यापक मस्त
राहुल तिवारी
लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया
जरहाँ, बीजपुर, सोनभद्र। पूरा मामला जरहा न्याय पंचायत का है जहाँ कोरोना काल जैसे वैश्विक महामारी के कारण सरकार द्वारा बच्चों का विद्यालय बंद किया गया था लेकिन अध्यापक का नहीं।उसके बाद भी अधिक्कतर स्कूल पर ताला बंद मिला करता था, लेकिन आज से शासन का आदेश जूनियर स्कूल खोलने का है, लेकिन स्कूल बंद हैं अध्यापक मस्त है, शासन के आदेश का असर बेअसर दिख रहा हैं। स्कूल पर अध्यापक तो नही मिले लेकिन ताला लटकता हुआ जरूर मिला है।
आज हमारी लोकल न्यूज आफ इण्डिया की टीम घूमते घूमते पहुँची इन स्कूलों पर लेकिन अध्यापक नहीं पहुँचे है स्कूल, शायद अभी भी अध्यापक सो रहे है गहरी नींद में। आखिर गायब रहने वाले इन अध्यापको के सर पर किसका है हाथ ? कभी कभार आया करते है स्कूल और महीने भर की लेते है पगार।
कोटा पिंडारी उच्च प्राथमिक विद्यालय:
कोटा पिंडारी उच्च प्राथमिक विद्यालय केवल रंजना दूबे जी के भरोसे चलता हुआ मिला। स्कूल खुलने के पहले ही दिन गायब मिली रुचि सिंह, संगीता चौधरी। बहरहाल इस स्कूल का रिकॉर्ड गैरहाजिरी वाला रिकॉर्ड पुराना हैं।
प्राथमिक स्कूल पिंडारी:
प्राथमिक स्कूल पिंडारी की भी हाल बेहाल हैं और यह सतीश यादव जी के भरोसे खुल रहा हैं। ओमकार जी ने स्कूल आना शायद जरूरी नहीं समझा। मिले अनुपस्थित। सहायक अध्यापक यादव जी से जब पूछा गया तो महाशय ने बताया कि सर गाव में बच्चों से मिलने गए है शिक्षा मित्र के साथ। जब बात कराने को बोला गया तो जनाब बोले फोन बंद है। इसी दौरान जब शिक्षा मित्र कलावती जी से बात हुई तो उन्होंने कहा हम बैढ़न है कुछ मत कीजियेगा। मतलब आप समझदार हैं।
महरिकलां :
महारिकला का भी वही हाल हैं यहां सिर्फ धर्मेन्द्र यादव जी मिले बाकी सब अनुपस्थित हो अपने अपनी मौज मार रहे थे।
पौतीपाथर:
अब चलते है पौतीपाथर में वह हमें राजेंद्र बैश्य जी मिले तो जरूर लेकिन शिवम सिंह रहे अनुपस्थित और उनके दर्शन ना मिलने के बारे में जब राजेन्द्र बैश्य से पूछा गया तो उन्होंने बात को घुमाते हुए कहा कि वो जरहा गए है. जब सम्पर्क कर विद्यालय बुलाने के लिए कहा गया तो बोले मेरे पास नंबर नही है गोल माल कर साफ साफ बोल रहे झूठ. वैसे भी लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया का इनको बुलाने का कोई हक़ नहीं। सरकार शासन की पैनी नजर में ही यह सब पल बढ़ रहे हैं।
बर डाँड़ :
अव चलते है बर डाँड़। यहाँ तो स्कूल पर ताला ही लटकता मिला। जब स्थानीय लोगो से पूछा गया तो बताये कि दो लोग आते है लेकिन एक मैडम है जो कभी स्कूल पर आई ही नही। मतलब तीन है लेकिन आते दो ही गुरूजी लोग है
बिछियारी :
अब चलते है बिछियांरी में यहां हमारी मुलाक़ात रिंकी गुप्ता जी से हुई। अर्चना चौधरी भी जवाइन कर है लापता।
कुल मिलाकर यह एक छोटी सी बानगी हैं कायाकल्प होते इतने बड़े शिक्षा सिस्टम की। ताज्जुब की बात तो यह हैं कि जब प्रदेश के मुखिया शिक्षा विभाग को एक नया रूप देने में लगे हैं तो उस समय इस तरह की तालाबंदी और गेहाज़िर रहने के चलन को आखिर कौन बचा कौन रहा हैं? आप , शासन या कोई और ? इस सवाल का जबाब आप सबको ढूंढना हैं।
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