सर्व पितृ अमावश्या को करे अपने उन पितरो का श्राद्ध कर्म जिनकी मृत्यु तिथि नहीं मालूम
पंडित विनय शर्मा
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
हरिद्वार। सर्व पितृ अमावस्या 17 सितंबर को है। यह श्राद्ध का अंतिम दिन होता है। इसलिए यह पितरों की विदाई का दिन माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि इस दिन उन पितरों का श्राद्ध कर्म किया जाता है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती है। इसके अलावा यदि किसी का श्राद्ध भूल गए हैं तो इस दिन उनका श्राद्ध किया जाता है।
इस दिन पितरों की होती है विदाई
जब श्राद्ध पक्ष प्रारंभ होता है तो मृत्यु लोक से पितृ धरती लोक में अपनी संतानों से मिलने आते हैं और आश्विन माह की अमावस्या के दिन वे वापस अपने लोक में लौट जाते हैं। माना जाता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास से नमन कर पितरों को विदा करते हैं उनके घर में सुख-शांति का आगमन होता है।
पीपल की सेवा और पूजा
सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गीता के 7वें अध्याय का पाठ करने का विधान है। इस दिन पीपल की सेवा और पूजा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। इस निमित्त लोटे में दूध पानी काले तिल शहद और जौ मिला लें और पीपल की जड़ में अर्पित कर दें। ऐसा करके अपने पितृ के लौटने से पूर्व उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है।
पितृ पक्ष की अमावस्या पर जरूरतमंद को धन और अनाज का दान करें। इच्छानुसार आप कपड़े भी दान कर सकते हैं। मंदिर में या गौशाला में भी दान करना शुभ होता है। अमावस्या की शाम घर के मंदिर में और तुलसी के पास दीया जलाएं। वहीं मुख्य द्वार पर और घर की छत पर भी दीया जलाकर रखें। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और चारों तरफ सकारात्मक वातावरण बनता है।
इस विधि से करें पितरों का तर्पण
सर्व पितृ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनकर पितरों को श्राद्ध दें। अपने परिजनों का पिंडदान या तर्पण जैसा अनुष्ठान किया जाता तब इसमें परिवार के बड़े सदस्यों को करना चाहिए। पितरों को तर्पण के दौरान जौ के आटे, तिल और चावल से बने पिंड अर्पण करना चाहिए।
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