फिर गुलजार होती जलोड़ी दर्रा की हसीं वादियां
- जलोड़ी दर्रा की वादियां सात माह के वाद पर्यटकों से गुलजार।
- घाटी में पर्यटन वहाल होते ही तीर्थन और जीभी में उमड़ा पर्यटकों का सैलाब।
- कोरोना काल के वाद घाटी में धीरे धीरे पटरी पर लौट रहा है पर्यटन कारोबार।
- पर्यटन के मानचित्र पर विख्यात जलोड़ी दर्रा में मूलभूत सुविधाओं की कमी।
परसराम भारती
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
तीर्थन घाटी गुशैनी,बंजार।देश और प्रदेश में कोरोना महामारी के कारण पर्यटन कारोबार भी काफी प्रभावित हुआ है लेकिन अनलॉक के बढ़ते चरणों और सरकार व पर्यटन विभाग द्वारा जारी गाइडलाइंस के अनुसार अब पर्यटन कारोबार धीरे धीरे पटरी पर लौटना शुरू हो गया है।
जिला कुल्लू उपमण्डल बंजार की तीर्थन और जीभी घाटी में भी करीब सात माह के बाद वीकेंड पर पर्यटकों की खूब आवाजाही देखने को मिल रही है। अभी इस वीकेंड पर गत तीन दिनों में तो अपेक्षा से भी ज्यादा पर्यटकों ने बंजार की वादियों में दस्तक दी है। शुक्रवार और शनिवार को जलोड़ी दर्रा में बाहरी राज्यो से आए पर्यटकों के सैंकड़ों वाहनों की लम्बी कतारें लगी जिस कारण यातायात अबरुद्ध जैसी स्थिति पैदा हो गई।
इस वीकेंड में हजारों की तादाद में बाहरी राज्यों के इलावा हिमाचल के अन्य जिलों के पर्यटकों ने घाटी में दस्तक दी है। पर्यटकों की बढ़ती आमद को देखकर स्थानीय पर्यटन कारोबारियों के चेहरे खिल गए हैं और उन्हें राहत पहुंची है।
जलोड़ी दर्रा, सरेलसर झील, रघुपुर फोर्ट, जीभी और तीर्थन घाटी में आजकल बाहरी राज्यों पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, तमिलनाडु, कर्नाटका आदि राज्यों के हजारों सैलानी दस्तक दे रहे हैं।
जो यहाँ पर आकर खूबसूरत प्राकृतिक स्थलों का भर्मण कर रहे हैं और यहाँ की शुद्ध आवोहवा का खूब लुत्फ उठा रहे हैं। हालांकि तीर्थन घाटी का विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क और छोई झरना अभी तक पर्यटकों की आवाजाही के लिए प्रतिबंधित है लेकिन जीभी घाटी और जलोड़ी दर्रा के आसपास पर्यटक विना किसी रोकटोक के कहीं पर भी घूमने फिरने का आनन्द ले रहे हैं।
जलोड़ी दर्रा हिमाचल प्रदेश के कुल्लु जिला में हिमालय पर्वत की चोटी पर स्थित एक ऊँचा दर्रा है जिसकी ऊँचाई समुन्द्र तल से करीब से दस हजार फुट है। यह दर्रा इनर सराज और बाह्य सराज के मध्य स्थित कुल्लु जिला के बंजार और आनी उपमण्डल को आपस में जोड़ता है। जलोड़ी दर्रा से पूर्व की ओर बाह्य तथा पशिचम की ओर इनर सराज का खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है। यहाँ तक सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। यह दर्रा सर्दियों के मौसम में भारी बर्फबारी होने के कारण अक्सर मध्य दिसम्बर माह से फरवरी माह तक वाहनों की आवाजाही के लिए बन्द रहता है। जलोड़ी दर्रा, जिभी, शोजागढ़, रघुपूर गढ़, खनाग, टकरासी और सरेउलसर झील जैसे प्राकृतिक सौंदर्य से लवरेज खूबसूरत स्थल वर्षों पहले ही साहसिक पर्यटन के नक्शे पर आ चुके हैं। यह स्थल अंग्रेजी शासन के समय से ही देशी विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करते रहे हैं। यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य अंग्रेजों को भी खूब भाता था जो अक्सर यहाँ पर आते जाते रहते थे, यहां पर उन्होंने उस समय शोजागढ़ में अपने ठहरने के लिए एक गेस्ट हाउस का निर्माण किया था जहाँ पर ठहराव के पश्चात वह आगे शिमला का सफर तय करते थे। यह गेस्ट हाउस आज भी यहाँ भर्मण करने वाले अतिथियों क लिएे हर समय उपलब्ध रहता है। इसके अलावा जीभी, घ्यागी, सोझा, खनाग आदि स्थानों पर स्थानीय लोगों ने इस समय अनेकों निजी होमस्टे, रेसोर्ट, कैप्म साइट गेस्ट हाऊस जैसी पर्यटन इकाईयां पर्यटकों के लिए बना रखी है।
आजकल बर्षाकाल के पश्चात जलोड़ी दर्रा समेत पूरी जिभी और तीर्थन घाटी अपनी अलग ही खुबसूरती पेश कर रही है। प्राकृतिक सौन्दर्य से ओतप्रोत यहाँ की वादियाँ, हरे भरे जंगल, ऊँचे पहाड़ों से गिरते हुए झरने, परिन्दों की सुरलेहरिओं से गुनगुनाती धारें, उफनती गरजती नदियाँ, सुरमयी झीलें, ढलानदार वादियाँ और चारागाहों जैसी अछूती हरितमा दृश्यावली के कारण ही यह स्थल पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है।
जलोडी दर्रा में माता बूढ़ी नागनी का एक भव्य मन्दिर और सराय भी बनी हुई है, इसके अलावा यहाँ पर चाय नाश्ते के लिए कुछ ढाबे स्टॉल भी मौजूद हैं जहां पर पर्यटकों के लिए खाने पीने की सामग्री आसानी से मिल जाती है। वहीं दुसरी ओर जलोड़ी पास के दाईं तरफ को दो किलोमीटर के फासले पर रघुपूर गढ़ स्थित है जो काफी ऊँचाई पर होने के कारण पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण रखता है। यहाँ की शानदार हरियाली युक्त ढलाने और यहाँ से चारों ओर को दिखने वाला मनमोहक नजारा पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। जलोड़ी से उतर दिशा की तरफ पाँच किलोमीटर आगे एक अत्यंत ही खूबसूरत झील स्थित है जिसे सरेउलसर झील कहते है। यह झील समुद्र तट से करीब 3560 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इस झील के आसपास खरशु और रखाल के बड़े बड़े पेड़ है जो बहुत ही सुहावने लगते है। जलोड़ी जोत से इस झील तक पैदल ही पहुंचा जा सकता है। इस झील के निर्मल जल की एक विशेषता यह है कि इसमें घास पत्ती का कोई तिनका नजर नहीं आता है क्योंकि यहाँ पर आभी नाम की चिड़ियाँ आसपास ही रहती है जब भी कोई घास का तिनका पानी में तैरता हुआ देखती है तो वह तुरन्त उसे उठा कर पानी से बाहर निकाल लेती है। इन खुबसूरत स्थलों में ग्रामीण व साहसिक पर्यटन, शीतकालीन खेलों, स्कीइंग, हाईकिंग, ट्रेककिंग, पर्वतारोहण व अन्य साहसिक खेलों की आपार सम्भावनाएं है।
जलोड़ी जोत के साथ लगते गांव खनाग के स्थानीय निवासियों जय सिंह, राम लाल, लाल दास, मोहर सिंह, बेली राम, भीम सिंह, कृष्ण लाल, केशव राम और जगदीश चन्द आदि का कहना है कि जलोड़ी जोत, सरेलसर झील, रघुपुर फोर्ट आदि में हजारों की तादाद में हर साल देश और विदेश के पर्यटक भर्मण करते हैं लेकिन यहाँ पर सुविधाओं का आभाव है। यहाँ पर न कोई पार्किंग ना सूलभ शौचालय और न ही कोई बिजली पानी की व्यवस्था है। जिस कारण जलोड़ी जोत में पर्यटकों, चालकों और स्थानीय कारोबारियों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस स्थल पर सुविधा ना होने के कारण गन्दगी फैल रही है। लोगों की सरकार से माँग है कि इन स्थलों में मूलभूत सुविधाएं जुटा कर पर्यटन के लिए विकसित किया जाए।
मूलभूत सुविधाओं की कमी , नहीं काम आया तत्कालीन वनमंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर का आश्वासन
स्थानीय ग्राम पंचायत खनाग के उप प्रधान बुद्धि सिंह राणा का कहना है कि दो वर्ष पहले इन्होंने इन खुबसूरत स्थलों के पर्यटन विकास हेतु तत्कालीन वनमंत्री गोविंद सिंह ठाकुर को प्रस्ताव दिया था जिन्होंने यहाँ पर पर्यटकों के लिए हर किस्म की मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाने का आश्वासन दिया था लेकिन आजतक इस पर कोई भी कार्य नहीं हुआ है। इन्होंने कहा कि इससे पहले भी सोझा जैसे स्थल पर टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स बनाने के प्रयास कागजों में कई बार होते रहे लेकिन धरातल स्तर पर अभी तक सरकार की कोई भी योजना सिरे नहीं चढ़ सकी है। जलोड़ी दर्रा जैसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल में गर्मियों में पर्यटकों की भारी भीड़ रहती हैं यह स्थल अभी तक बिजली, पानी, पार्किंग और सार्वजनिक सौचालय जैसी कई मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं इसे पर्यटन के लिए विकसित किए जाने की बहुत जरूरत है।
जीभी घाटी पर्यटन विकास एसोसिएशन के अध्यक्ष ललित कुमार का कहना है कि घाटी में पर्यटन धीरे धीरे से रफ्तार पकड़ रहा है। इनका कहना है कि विभाग की गाइड लाइन के मुताबिक पर्यटन को सुचारू रूप से चलाने बारे भरसक प्रयास किए जा रहे है। आजकल वीकेंड के समय 70% तक बुकिंग क्षमता बढ़ी है।
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