लेखपाल का गुलाम कागज़ सबकुछ जानता हैं और यह कागज़ बस उतना ही दिखता या दिखाया जाता हैं जितना यह लेखपाल साहब लोग चाहते हैं। लेखपाल अमरजीत को पता सब हैं कि यह जमीन भगवानदास गौड़ की कितने बीघे हैं और कब्जा जमाने की फिराक में यादव बाबू लोगो की कितनी हैं ? पर लेखपाल साहब ने भगवानदास के नाम का ऐसा कागजी अमृत बनाया हैं जिसमे यह दोनों परिवार सर फुटौव्वल करे और यह जमीन अपने असली वारिस का बरसो इन्तजार करे पीढ़ी दर पीढ़ी इन लेखपालों की काली करतूत की सजा भोगने को यह परिवार मजबूर रहे. इस पूरे मामले में लेखपाल की लालफीताशाही जिम्मेदार हैं और यह खुद लेखपाल की अपनी जुबानी हैं तो फिर यह चकल्लस पालकर क्या इसको राममंदिर और बाबरी का मुकदमा बनाना हैं इनके दिल में अगर नहीं तो चार मिनट की पैमाइश से लेखपाल के पद की गरिमा तो बना ही सकते हैं यह महाशय जो अमर भी हैं और कागजो पर जीत भी रहे हैं। और यह रजिस्ट्री हो गयी तो अब यह लेखपाल क्या कर सकते हैं वाला डायलॉग इनकी नौकरी खाने के लिए भी शायद इनके अधिकारियों को कागजी ताकत देता होगा क्योकि रजिस्ट्री के कुछ तो पैमाने होते होंगे जिनकी कार्रवाई की बड़ी जिम्मेदारी इन लेखपाल बाबू की भी होगी वरना राम ही जाने लेखपालों के खेल से कैसे बचेगा यह भगवान विष्णु की विरासत वाला सोनभद्र
राहुल तिवारी
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
बीजपुर,सोनभद्र।पूरा मामला टेकुआ का है जहाँ एक गरीब परिवार के दो वक्त की रोटी का सहारा जो जमीन है उसे गांव के ही कुछ मन बढ़ो द्वारा जबर जस्ती अपना बता कर जमीन अपने कब्जे में करने का मामला सामने आया हैं।जबकि पूर्वजो से यह जमीन भगवान दास गोंड़, देव धारी ,राम शुभग के नाम है जमीन का पूरा कागज पूर्वजो के जमाने से है।
लेकिन इस गरीब परिवार के लोगों पर गांव के ही लोगों की लगी बुरी नजर पैसे के बल पे की जा रही है जमीन पे कब्जा पीङित पक्ष द्वारा कई बार थाने का चक्कर लगाने के बाद तहसील दिवस व लेखपाल से भी लगाई गुहार लेकिन कुछ नहीं हुआ।
कोई भी सुनवाई यह गरीब परिवार अपने न्याय की गुहार जिलाधिकारी से कर रहे है मांग जिलाधिकारी महोदय इस मामले को गंभीरता देखते हुए इस गरीब परिवार को उचित न्याय दिलाए जिससे यह गरीब परिवार का रोटी का सहारा जो जमीन है उसे वापस मिल सके।
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