आम आदमी के जिंदगी के लिए जरूरी रोटी कपड़ा और मकान। आज एक और नयी चीज जुड़ चुकी हैं मोबाइल डाटा। मजेदार बात हैं कि एक बड़ी संख्या में लोग दिन भर डेढ़ जीबी डाटा खर्च करने और बचाने में काट रहे हैं उधर गृहस्थी में रोटी महंगी होती जा रही हैं. हर दिन नए दामों के साथ वही पुरानी रसोई अब रोटी कम खाने को मजबूर हो रही हैं। आज जब सरकार अस्सी नब्बे करोड़ लोगो को मुफ्त का राशन बाँट रही हैं तो अंदाजा लगाइये कि हालात कैसे हैं ?
अगर नीतिया ऐसी बन जाय कि सबको सस्ती रोटी मिल जाए तो सच में काफी लोगो का गम हल्का हो जायेगा। उधर दूसरी ओर सस्ता मोबाइल डाटा लोगो के बीच में अफवाह तंत्र या फेक न्यूज को परोसने का साधन सा बन गया हैं जिस पर सुप्रीम कोर्ट तक चिंता व्यक्त कर रहे हैं। और यह शायद सही सूचनाओं के लिए एक बड़ा खतरा भी हैं। सस्ते डाटा की जरूरत तो हैं क्योकि अब महामारी में बच्चो की पढ़ाई से लेकर सब कुछ इसी पर निर्भर हैं। पर जरूरी हैं भूख का मिटना। क्योकि भूखे भजन ना होय गोपाला वाली लाइन तो आपने भी सुन ही रखी होगी और कोई भूखा न रहे इसके लिए सरकारों को भी चिंता हैं और समाज को भी। इसलिए आज सस्ता डाटा तो हमारा हिस्सा हैं ही पर सस्ती रोटी हमारी जरूरत हैं।
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