हर्ष वत्स
वाराणसी
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
(महामृत्युंजय मंत्र के जप का सबसे छोटा व सरल उपाय )
हमेशा हम सबको किसी न किसी माध्यम से हम तक रोजाना 2-3 बुरे समाचार मिल ही जाते हैं। इनको सुनते ही मन भयभीत होने लगता है और व्यक्ति तनाव में आने लगता है। घर में अजीब सा नकारात्मक माहौल बन जाता है। हम सभी को एक अनजाना सा भय सताने लगता है। ऐसे में हमें प्रभु नाम का सहारा ही ऊर्जा प्रदान करता है। इसी क्रम में आज हम आपको बताने जा रहे हैं महामृत्युंजय मंत्र के जप के फायदे…
शिवपुराण में बताया गया है कि जो व्यक्ति महामृत्युंजय मंत्र का जप निरंतर करता है, उसके प्राण हरने से पहले यमराज को भी एक बार फिर से सोचना पड़ता है। महादेव देवों के देव के नाम से जाने जाते हैं। वह भक्तों की पुकार जल्द सुनकर उनके दुख दर्द दूर करते हैं। भगवान शिव अपने भक्तों पर जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। जटाधारी शिव शंकर जी को प्रसन्न करने में किसी भी मनुष्य को कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता है। शास्त्रों में कहा गया है कि महादेव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और इसके सामने यमराज को भी हार माननी पड़ती है।
शिवजी के महामृत्युंजय मंत्र को महामंत्र कहा जाता है। इसमें भगवान शिव के महामृत्युंजय रूप से लंबी आयु की प्रार्थना की जाती है। यह मंत्र कई तरह से प्रयोग में लाया जाता है। शास्त्रों और पुराणों में असाध्य रोगों से मुक्ति और अकाल मृत्यु से बचने के लिए महामृत्युंजय जप करने का विशेष उल्लेख मिलता है। महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव को खुश करने का महामंत्र माना जाता है।
यह भगवान शंकर जी को प्रसन्न करने का अत्यंत सरल और अचूक मंत्र माना गया है। यह शिव मंत्र अमोघ एवं मोक्षदायी है तथा विषम काल में यदि भक्त पर कोई कठिन व्याधि या समस्या आन पड़े तब श्रद्धापूर्वक इस मंत्र का जप करना या कराना चाहिए। यह बड़ी से बड़ी समस्या और विघ्न को टाल देता है।
महामृत्युंजय मंत्र का जप करने के लिए सोमवार का दिन या फिर प्रदोष की तिथि सबसे उपयुक्त मानी जाती है। ये दोनों ही दिन भगवान शिव के माने जाते हैं और इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से विशेष लाभ मिलते हैं। इसके लिए सुबह के वक्त शीघ्र स्नान करके अच्छे विचारों और आत्मशुद्धि के साथ पूजा स्थल पर भगवान शिव के समक्ष आसन ग्रहण करें। घी का दीपक प्रज्वलित करें और फिर हाथ चंदन की माला लेकर कम से कम 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। उसके बाद भगवान शिव का स्मरण प्राणों की रक्षा करने की प्रार्थना करें।
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ
इस पूरे संसार के पालनहार, तीन नेत्र वाले भगवान शिव की हम पूजा करते हैं। इस पूरे विश्व में सुरभि फैलाने वाले भगवान शंकर हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्ति प्रदान करें, जिससे कि मोक्ष की प्राप्ति हो जाए।
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