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पेट्रोल डीजल के विकल्पों से आत्मनिर्भर बन सकता है भारत-अशोक गोयल मंगालीवाला

  • बायोगैस से भारत का गांव-गांव बन सकता है आत्म निर्भर- अशोक गोयल
  • पेट्रोल की कीमतों पर सरकार के प्रयास नाकाफी-अशोक गोयल
  • सब के प्रयासों से ही मिलेगी पेट्रोल डीजल कीमतों में राहत
  • सरकार को करना होगा ठोस नीति निर्माण



गौरी 

लोकल न्यूज ऑफ इंडिया 

हिसार।देश के जाने-माने उद्योगपति एवं ASPAM फाउंडेशन के चेयरमैन अशोक गोयल मंगालीवाला ने पेट्रोल के बढ़ते दामों के मुद्दे पर विशेष बातचीत करते हुए कहा कि पेट्रोल की बढ़ती खपत और  दामों का शतक देश की 80 फ़ीसदी आम जनता के लिए विकराल समस्या है, जिससे रूबरू होना इस जनता के लिए कोरोना के इस संकट काल में दोगुना मुश्किल है। पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के ऊपर अपने विचार रखते हुए अशोक गोयल ने कहा कि दामों की वृद्धि पर बात करने से पहले हमें यह जानना होगा कि पेट्रोल का आम जनता तक पहुंचने का क्या प्रोसेस है?


उन्होंने बताया कि कच्चा तेल विदेशों से ख़रीदा जाता है, फिर देश की रिफाइनरियों में पहुँचता है और फिर यहाँ से पेट्रोल पंपों पर पहुँचता है। अमूमन जिस क़ीमत पर हम तेल ख़रीदते हैं, उसमें 50 फ़ीसदी से अधिक टैक्स होता है। 


दरअसल, डीलर्स को तो पेट्रोल और डीज़ल बहुत कम क़ीमतों पर मिलता है, लेकिन केंद्र सरकार के टैक्स, सेंट्रल एक्साइज़, राज्यों के वैट और डीलर कमीशन के बाद जब ये उपभोक्ताओं को मिलता है, इसकी क़ीमत दोगुनी से अधिक हो चुकी होती है और यही कारण है कि मात्र कुछ लोगों के ऐशो-आराम, पांच सितारा जिंदगी और अहंकार की पूर्ति के लिए भारतीय उपभोक्ताओं को इस समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है। सीधे शब्दों में कहें तो पेट्रोल और डीज़ल के लिए हम जो क़ीमत चुकाते हैं उसमें 70 फ़ीसदी के लगभग टैक्स होता है और कुछ नहीं। 


इस समस्या के समाधान पर बात करते हुए ASPAM फाउंडेशन के चेयरमैन अशोक गोयल मंगालीवाला ने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए आम जनता को ही पहल करनी होगी। जिसके लिए उन्हें सबसे पहले अपनी अनावश्यक पेट्रोल की खपत को कम करके पेट्रोल के अन्य विकल्पों की ओर प्रोत्साहित होना होगा।  अब बात करते हैं-  पेट्रोल के अन्य विकल्प हैं क्या? 


 अशोक गोयल मंगालीवाला ने बताया कि पेट्रोल के विकल्प के तौर पर हम ना केवल बिजली के वाहन बल्कि पेट्रोल के समानांतर केमिकल का प्रयोग कर सकते हैं, जिनमें मुख्य तौर पर  सीएनजी, बायोगैस, प्लास्टिक से बना पेट्रोल, शुगर मिल से प्राप्त एथेनॉल आदि प्रमुख हैं।  यदि विस्तार से कहा जाए तो गांवों में बायोगैस के लिए कच्चा माल प्रचुर मात्रा में है और हर गांव अपना एक अलग बायोगैस संयंत्र लगा सकता है जो उन्हें सस्ते दामों पर पेट्रोल का विकल्प उपलब्ध कराएगा।  वहीं शुगर मिल से प्राप्त एथेनॉल पेट्रोल के समानांतर प्रभावशाली व कम दाम में उपलब्ध इंधन है जो वाहन आदि के लिए सर्वथा उपयुक्त है।

 

वही बेंगलुरु में कुछ इंजीनियर द्वारा प्लास्टिक से तैयार किया गया प्लास्टिक पेट्रोल बेहतरीन विकल्प है जो कि भारतीय उपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ पर्यावरण में प्लास्टिक को भी कम करने में मददगार होगा।


इसी के साथ सरकार से अपील करते हुए अशोक गोयल मंगालीवाला ने कहा कि सरकार को आमजन के हितों का ध्यान रखते हुए उचित नीतियां बनाकर पेट्रोल आदि के विकल्पों को प्रोत्साहित करना होगा और पेट्रोल के दामों पर भी नियंत्रण लेना होगा।


अशोक गोयल जी ने पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी को याद करते हुए कहा कि जब देश में खाद्यान्न संकट उत्पन्न हुआ था तो शास्त्री जी ने समस्या से निपटारे के लिए हरित क्रांति का आगाज किया और साथ ही हर भारतीय से यह अपील भी की कि वे 1 दिन उपवास रखकर अन्न को बचाएं व देश के निर्माण में सहयोग दें। इसी प्रकार पेट्रोल, डीजल आदि के उपभोग पर भी यदि हम 1 दिन का उपवास रखते हैं तो यह न केवल इसकी कीमतों की वृद्धि में गिरावट लाएगा, ना केवल हमारी आर्थिक स्थिति सुधरेगा बल्कि पर्यावरण के लिए भी अत्यंत श्रेयस्कर होगा और यह सुझाव ना केवल सरकार बल्कि आम लोगों को भी स्वयं से लागू करने की आवश्यकता होगी।


 सरकार पर चर्चा करते हुए अशोक गोयल मंगालीवाला ने कहा कि सरकार को पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के मुद्दे पर विचार करके देश की 80 फ़ीसदी जनता को राहत देने के लिए ठोस व सख्त कदम उठाने होंगे जिसमें हवाई जहाज का किराया बढ़ाना, महंगे वाहनों पर अतिरिक्त कर लगाकर आम जनता को पेट्रोल टैक्स में राहत देना आदि शामिल हैं। 


आपको बता दें कि ASPAM फाउंडेशन  के चेयरमैन अशोक गोयल न केवल प्रमुख उद्योगपति हैं बल्कि आम जनमानस के हितैषी व हिसार की जनता के एक लोकप्रिय नेता भी हैं, जिन्होंने हिसार में आम लोगों की सहायता हेतु अनेक सामाजिक कार्य किए हैं व सदैव देश में जनता के हित में कार्य करते रहते हैं।

टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
सही कहा है

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