विजय शुक्ल
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
दिल्ली। लोकल साथी राहुल तिवारी के जरिए हजार किलोमीटर दूर लाखो के किताबो की ढुलाई के खर्चे की मलाई चाट रहे सहाय साहब की दुर्गन्ध दिल्ली तक पहुंच गयी पर मजाल हैं की गुरु गोरखनाथ जैसे विभागीय कार्रवाई को अंजाम देने वाले कर्मठ बीएसए साहब की कुर्सी की विरासत सम्हाल रहे हमारे नए बीएसए साहब को इसकी भनक भी लगी हो। ऑडियो काण्ड से लेकर महमड वाले श्रुतिदेव तिवारी (जो सुना हैं आजकल रोज हाजिरी लगा रहे हैं ) वाली वारदाते भी उनको गोरखनाथ जी हैंडओवर करके ही गए होंगे अगर नहीं तो कोई बात नहीं वैसे भी सहाय साहब तो अपने आप में सक्षम हैं पंचायतो को निपटाने में।
खैर आते हैं असली मुद्दे पर। बेसिक शिक्षा विभाग स्कूलों को किताबे भेजता हैं कायदे से हर स्कूल तक किताब पहुँच जाय इसकी जिम्मेदारी खंड शिक्षा अधिकारी की ही होगी। पर सोनभद्र जैसे अति पिछड़े इलाके में जब सैलेरी तब हाजिरी वाला नियम हैं और दस हजार की जी हुजूरी तो जारी रहे गैर हाजिरी वाली संस्कृति के पालक पोषक सहाय साहब जैसे अधिकारियों के मातहत काम करने वाले संकुल को अपने खर्चे पर जो कभी सहाय साहब से मिलने वाला नहीं हैं सरकारी मद उपलब्ध होने के बावजूद भी , न्याय पंचायतो तक किताबो को लाकर उसके बाद बच्चो से चाकरी करवा, अगर संभव हुआ तो गुरूजी लोगो से चन्दा जुगाड़कर ( यह चंदा बात बात में मिलने वाली विभागीय सुविधा के लिए साहब को चढ़ावे से अलग और साथी पत्रकारों के विज्ञापन के कूपन के अलावा ) इस पूरी किताब वितरण योजना को सफल बनाते हैं। यह कायाकल्प ही तो हैं कि बड़ी आसानी से बालश्रम क़ानून की ऐसी तैसी करते हुए सहाय साहब इस किताबे ढुलाई की रकम पर ही हाथ साफ़ कर ही लेते हैं। वर्दी वगैरह का खेल इन सबमे शामिल नहीं हैं।
बहरहाल यह ब्लॉक म्योरपुर के न्याय पंचायत जरहा का एक नजारा हैं। ब्लॉक संसाधन केंद्र पर जब किताबें पहुंच जाती हैं तो वहां से विद्यालयों तक किताबें पहुंचाने की जिम्मेदारी संबंधित खंड शिक्षा अधिकारी की होती है और सारा खेल यहीं से शुरू होता है।यह अति पिछड़ा जिला सोनभद्र के ब्लॉक म्योरपुर का नजारा है। बीआरसी से किताबें न्याय पंचायत केंद्र जरहां तक पहुंच गई हैं। रही बात ग्राम प्रधानों ,झुनझुना बन गयी स्कूल प्रबंधन समितियों और इन बच्चो के अभिभावकों को यह शायद ना नजर आई हो। बाकी रही बात अपनों को नौकरी दिलवाने वाले आरोप झेल रहे सोनभद्र के प्रभारी बेसिक शिक्षा मंत्री श्री सतीश द्विवेदी जी को यह खेल कुछ समझ में आ जाय अगर दिक्कत हो तो समझने में मदद से आगे इन तस्वीरो से ......
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें