सोचने वाली बात अगर किसानो का गुस्सा ड्राइवर की जान ले सकता हैं तो मंत्री का बेटा कैसे बचता ? मतलब साफ़ हैं कि मंत्री का बेटा घटनास्थल पर था ही नहीं - ग्रामीण
सियासी साजिश का शिकार तो नहीं केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और उनका परिवार
सुबह नौ बजे से कार्यक्रम के समापन तक वो दंगल के आयोजन में थे ना कि घटनास्थल पर - आशीष मिश्रा
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
दिल्ली। नेपाल से सटा यूपी का एक जिला खीरी अपने आप में अलग हैं। खेती किसानी में आगे होने के साथ साथ यहां की राजनीतिक जमीन बिलकुल अलग हैं। बाढ़ यहां का सबसे बड़ा मुद्दा तब भी था जब यहां रामकुमार वर्मा "पटेल" जैसे जमीनी नेता थे और आज भी हैं जब यहां केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा "टेनी" हैं। पर आज घटना ही अलग हैं और इस समय सियासी हलचल ज्यादा हैं क्योकि सबने अपने निशाने पर सिर्फ और सिर्फ केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी और उनके बेटे को लिया हैं। यह एक साजिशन और सियासी अंदाज ही हैं कि जब यह लोग घटना स्थल पर गए ही नहीं और यह खुद एक अच्छे किसान हैं , किसानो से इनका बिलकुल अलग सम्बन्ध हैं और उनके कार के ड्राइवर पर इस तरह से हमला और उसकी मौत का तांडव अलग ही खेल हैं।
लखीमपुर को अब किसानो के नए अड्डे के रूप में अमलीजामा पहनाने के लिए पूरा विपक्ष हैं क्योकि उनके निशाने पर अगर कोई हैं तो वो हैं एक ब्राह्मण मंत्री। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री का बयान कि लखीमपुर में किसान नहीं अराजक तत्वों ने यह काण्ड किया हैं अपने आप में नेपाल से सटे होने और इस तरह की साजिश का शिकार होने के तथ्यों पर आधारित हो सकता हैं। विरोध प्रदर्शन यूपी में आज तक जानलेवा नहीं बना क्योकि यहां के भाजपा नेता या मंत्री किसानो की आवाज ही बने रहे हैं और लखीमपुर में अजय मिश्रा का पूरा परिवार किसानी में ही लगा हैं।
ऐसा माना जा रहा हैं कि यह किसानो के आंदोलन को खतरे में डालने उनको बदनाम करने के साथ साथ सियासी साजिश के तहत केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और उनके परिवार के बढ़ते राजनीतिक कद को छोटा करने और उनके पुराने विरोधियो के चुनौती वाले वीडियो को किसानो के खिलाफ बताने का खेल अफवाह के रूप में चल रहा हैं। स्थानीय लोगो का कहना हैं कि अगर मंत्री का बेटा होता तो क्या वो जिन्दा जाता अगर ड्राइवर नहीं गया तो।
यह पूरा मामला आपको बता दे कि यह पूरी घटना केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के उनके पैतृक गाँव में आयोजित दंगल में डिप्टी सीएम के शामिल होने की सूचना पर किसानो का विरोध प्रदर्शन आयोजित था और इसमें मंत्री के बेटे का ड्राइवर मारा गया और उसी कार से किसानो के मरने का आरोप हैं।
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