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पार्टी से बड़ा बनता कार्यकर्ता

पार्टी से बड़ा बनता कार्यकर्ता  बाप बाप होता है बेटा बेटा को आजकल गलत साबित करने मे कोई लगा है तो वो है कांग्रेस के नेता वो भी वो वाले जो चुनाव लड़ रहे है जिनका मानना है कि कांग्रेस पार्टी का नाम और उसका काम वो नही गिना सकते क्योकी उन्होने चुनाव अपने दम पर जीता है और लोग उनको वोट देते है ना की कांग्रेस को। अजीब सा लगता है ऐसी बातो को सोचकर और तब जायज लगता है कांग्रेस का मौजूदा हाल। प्रियंका और राहुल की सारी कोशिशे शायद तभी बेकार होती दिख रही है क्योकी उनके सामने ऐसे उम्मीदवार और कार्यकर्ता है जो अपने आप को पार्टी से बड़ा मानते है । पंजाब मे , छत्तीसगढ़ मे मध्य प्रदेश मे या राजस्थान मे जहा कही भी पार्टी जीती है वो सिर्फ एक कारण से और वो कि वहा का कार्यकर्ता अपने आप को पार्टी का सच्चा सिपाही मानकर लड़ रहा था। और उम्मीदवार भी कांग्रेस के पीछे खडा था ना कि आगे। बहरहाल मुद्दा दिल्ली का है और यहा कांग्रेस के उम्मीदवार अपने आपको बड़ा मान रहे है और बस चुनाव जीत चुके है अपने ऊचे कद के कारण जो आने वले रिजल्ट के दिन अपना मुंह छुपाते शर्तिया नज़र आएगे। क्योकी पैसे के दम पर कार्यकर्ता नही बनाये जा सकते बस

बुलेट से बैलेट का बाज़ी

बुलेट से बैलेट का बाज़ी    चुनावी जंग रोज नए नए पैतरे बदलती रहती है और सत्ता में बैठी सरकार इसका अपने अपने हिसाब से इस्तेमाल करने में कभी नहीं चूकती।  भाजपाई चाणक्य माने जाने वाले गृहमंत्री अमित शाह का लगातार छत्तीसगढ़ , मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र और फिर झारखण्ड खोना मानो यह मान लिया गया कि  अगर सरकार को वापसी करनी है तो वैसे ही होगी जैसे पहले करती थी ना कोई विकास ना कोई और मुद्दा।  बस एक ही चाल जो कि  नायाब है वो है बुलेट के रास्ते।  सवाल दिल्ली पुलिस पर उठाने का कोई फायदा नहीं क्योकि अब उसका कोई भी जमीर काम नहीं करता दिखता यह लाइन हमारी दिल्ली के पुलिस के जवानो को लेकर नहीं है बल्कि उस पुलिसिया व्यवस्था को लेकर है जो अपनी कर्तव्य निष्ठा की शपथ भूल गयी है।  बहरहाल यह सब एक प्रायोजित ड्रामा है चुनावी रणनीति वो भी देश के सम्मान और दिल्ली की सुरक्षा को ताक  पर रखते हुए जब एक सिरफिरा जय श्री राम का नारा लगाते हुए आज गोडसे का रूप लेलेता है और गोलिया चलाता है और पुलिस तमाशबीन बन देखती रहती है जो उसका अक्सर का काम है पर यह सब एक प्लांनिंग के तहत है अनुराग ठाकुर का गोली मारो सालो को ग

कही आतंकवादी पर बेटा भारी ना पड़  जाय

कही आतंकवादी पर बेटा भारी ना पड़  जाय    वाह री दुनिया क्या क्या खेल दिखा रही है दिल्ली वालो को जिस दिल्ली में गांधी की ह्त्या हुई और जिस दिन हुई उसी दिन एक युवक जय श्री राम और दिल्ली पुलिस जिंदाबाद के नारे के साथ बन्दूक लहराता हुआ जामिया के छात्रों को धमकाता है और यह सब उस बयान के ठीक बाद का कार्यक्रम है जिसमे एक केंद्रीय मंत्री ने गोली मारो का फरमान जारी किया था जो आज फेसबुक पर एक बब्बर शेर की तरह दिखाया जा रहा है और दूसरे ने केजरीवाल को आतंकवादी कह डाला।  हालांकि आतंकवादी वाला मुद्दा तो भाजपा के गले की फांस बनता नजर आ रहा है ठीक वैसे ही जैसा पिछले चुनाव में गोत्र वाला बयान था।  पर कुल मिलाकर केजरीवाल की टीम जिस तरह से इमोशनल प्ले कार्ड खेल रही है और भाजपा पूरे उन्माद पर है हिन्दू मुस्लिम का मुद्दा बनाने को लगता है दिल्ली की जनता बिलकुल बदलाव चाहती हो भाजपा के हिसाब से पर ऐसा है क्या ? यह सवाल भी बड़ा मजेदार है वोटर कह रहे है कि  कांग्रेस का खाता तो इस बार खोलना चाहिए भाजपा के सर्वे तो केजरीवाल को तीन और पांच सीटों पर निपटा रहे है पर लगता है सब कुछ उलटा पुल्टा बोले तो केजरीवाल ने बेटा