विजय शुक्ल लोकल न्यूज ऑफ इंडिया चुनाव पांच राज्यों में हैं पर राजस्थान का रण कुछ अलग ही सजा हैं। और राजस्थान का चुनाव मोदी बनाम गहलोत बन गया हैं या यूं कहे कि राजस्थान अस्मिता बनाम गुजरात अस्मिता बन गया हैं। जातिगत जनगणना या थोड़ा इसको सही करते हुए लिखूं तो महिला आरक्षण बिल आने से पहले तक मोदी जी ओबीसी के हिमायती थे पर राहुल गांधी का महिला आरक्षण बिल पर ओबीसी एजेंडा उठाना और फिर बिहार की जातिगत जनगणना आने के बाद मोदी जी का इस पर हमलावर होते हुए गरीबी का एजेंडा बनाना मानो कुछ नया खेला हो गया, जिसको मोदी जी अभी तक समझ नहीं पाए या गहलोत जी ने अभी उसको कायदे से समझाया नही। क्योंकि राजस्थान की सामाजिक न्याय वाली योजनाएं दरअसल मोदी की गरीबी का ही इलाज कर रही हैं। राजा रजवाड़ों और वीर भील इतिहास के धनी राजस्थान में तो गहलोत जी की योजनाएं बिना किसी जातपात,अपने पराए, लाग लपेट के गरीबों के लिए, गांवों के लिए बनाई गई है तो लाजिमी हैं लोग तो कहेंगे ही कि भाई मोदी की तो गरीबी हैं पर गरीबों के तो गहलोत हैं। मोदी की गरीबी महज राजस्थान में ही नही पूरे देश में हैं पर उसको समझने वाली सियासी जमाते नही