काम करने वाले 65 प्रतिशत लोग नींद से संबंधित समस्याओं से गुजर रहे है और योग व मेडिटेशन का सहारा ले रहे है - डा. दीपक मित्तल
प्रिया पटवाल,
लोकल न्यूज़ ऑफ इंडिया,
होशियारपुर: वेलनेस रिट्रीट और रिसर्च सेंटर- डिवाइन सोल योगा (डीएसवाई) का मानना है कि लगभग 65 प्रतिशत कामकाजी प्रोफेसनल्स इस समय नींद से संबंधित समस्याओं को मैनेज करने के लिए योग और मेडिटेशन पर ध्यान दे रहे हैं। डीएसवाई रिट्रीट में रिस्टोरेटिव थैरेपी का लाभ उठाने वाले 70 प्रतिशत कामकाजी लोग हैं, और इस समय उनमें से कम से कम 65 प्रतिशत लोग तनाव और अपनी गतिहीन लाइफस्टाइल के कारण नींद से संबंधित समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
डीएसवाई स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने में योग और मेडिटेशन जैसे प्राचीन रिस्टोरेटिव थैरेपी की प्रभावकारिता को साबित करने के लिए व्यापक अध्ययन करता है। इस तरह के अध्ययन के निष्कर्ष इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि कैसे थैरेपी तनाव को कम करने में मदद करती है। वे इस बात पर भी जोर देते हैं कि कैसे ज्यादा काम करने वाली आबादी जो गतिहीन लाइफस्टाइल जीते है, उन्हे नींद से सम्बंधित समस्या होती है तो उन्हे इन समस्याओं से कैसे निजात दिलाई जाए। इसके अतिरिक्त डीएसवाई के वेलनेस प्रोग्राम हाई ब्लड प्रेशर, थायराइड, पीसीओडी, डायबिटीज, अनिद्रा और पीठ और जोड़ों के दर्द से पीडि़त लोगों की मदद करते हैं।
डिवाइन सोल योगा के फाउंडर डॉ दीपक मित्तल ने कहा कि डिवाइन सोल योगा हमेशा से इस बात पर जोर देता रहा है कि हमारे द्वारा चुने गए रिक्युपेरेटिव थैरेपी का उपयोग करके ज्यादा से ज्यादा लोगों के जीवन में बदलाव लाया जा सके। हमने अध्ययन किया है कि हमारे पास जो भी लोग आते हैं उनमें से 70 प्रतिशत कामकाजी होते हैं। अब हमें यह भी पता चला है कि इस आबादी का लगभग 65 प्रतिशत हिस्सा नींद से संबंधित विभिन्न समस्यायों से पीडि़त है। ये पीडि़त लोग 25 से 50 वर्ष के आयु वर्ग के है। इनमे से 30 प्रतिशत महिला और 70 प्रतिशत पुरुष हैं। उनकी समस्या का मूल कारण तनाव और नींद संबंधी डिसऑर्डर हैं। ये समस्याएं उनकी डेस्क-बाउंड लाइफस्टाइल से उत्पन्न होती हैं। पर्याप्त मात्रा में नींद न लेने के कारण कई लोग अत्यधिक थकान और चिड़चिड़ेपन का अनुभव करने लगते हैं। इस वजह से उनकी याददाश्त, संज्ञानात्मक कार्य, स्मृति और काम करने के तरीके में भी बाधा पहुंचती है।
डीएसवाई की रिस्टोरेटिव थैरेपी की वजह से इस थैरेपी में हिस्सा लेने वाले लोगों को उनके तनाव और नींद संबंधी समस्याओं पर काबू पाने में मदद की है। इन रिट्रीट प्रोग्राम में हिस्सा लेने वाले लोगों की मानसिक और शारीरिक शक्ति को योग, लाफ्टर थैरेपी और रिक्युपेरेटिव थैरेपी के सावधानीपूर्वक अभ्यास से बढ़ाया जाता है। ये थैरेपी प्रत्येक व्यक्ति को मन, शरीर और आत्मा के पूर्ण संतुलन में मदद पहुंचाते हैं और ज्यादा सहज महसूस करते हैं।
डॉ दीपक मित्तल ने आगे कहा कि नींद से सम्बंधित समस्या से पीडि़त लोगों के लिए योग निद्रा थैरेपी अद्भुत रूप से काम करती है। यह थैरेपी एक अनूठी रिस्टोरेटिव तकनीक है जिसमें नींद का उपयोग हीलिंग प्रोसेस के लिए मेडिटेशन प्रक्रिया के रूप में किया जाता है। ये योग आसन न केवल आरामदायक नींद प्रदान करते है बल्कि तनाव को भी कम करते है। जब इस थेरेपी को अन्य रिस्टोरेटिव थैरेपी के साथ किया जाता है, तो इसे करने वालो को माइंडफुलनेस प्राप्त होता हैं और जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता हैं। हम उन्हें सोने से पहले कुछ घंटों के लिए फोन और अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरणों से दूर रहने की भी सलाह देते हैं क्योंकि इन उपकरणों से निकलने वाली नीली रोशनी आरामदायक नींद को आने में बाधा डालती है। हम यह भी सलाह देते हैं कि लोग सोशल मीडिया पर बिना सोचे समझे स्क्रॉल करने से बचें क्योंकि अब लोग लगभग पूरे दिन डिजिटल रूप से समाचार, फिल्में और हिंसक शो को देखते हैं जिससे उनकी नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें