लोकेन्द्र सिंह वैदिक,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
रामपुर: यह वही कण्डागई-कटाहर-निथर सड़क का डंगा है, जहां से होकर करीब डेढ़ साल तक जोखिम में बसें चलाई जाती रही, किसी भी वक्त अनहोनी का खतरा था, कभी भी जान/जानें जा सकती थी।
बड़ी कोशिश की इस डंगे को लगवाने की,कई बार खबरें छापी,मजाल है किसी के कान पर जूं रेंगती।
ऐसा लग रहा है मानो हमारा कोई रखवाला ही नहीं रहा, जो सुनवाई कर जनता की, जिससे विभागधिकारी ऐसी लापरवाही को लेकर डरें, जवाबदेह बनें।
पर ऊपर वाला हमसे ज्यादा हमारी फिक्र करता है, उसे पता है पीडब्ल्यूडी के दलाश सबडिवीजन द्वारा डेढ़ साल में कुछ नहीं किया गया, तो अब उम्मीद भी क्या रखनी और परसों रात को यह डंगा ही गिर गया।
अब शुक्र है यह डंगा पूरा ही गिर गया, कम से कम सड़क पूरी तरह बन्द तो हो गई, अब इसमें कोई बस चालक जोखिम नहीं उठा सकेगा।
पीडब्ल्यूडी का एस्टीमेट बन रहा होगा,फिर एक दो दिन दलाश में रहेगा, फिर निरमण्ड पहुंचेगा, फिर उस को टेंडर प्रक्रिया में डाला जाएगा।
इस बीच सेब का सीजन भी समाप्त हो जाएगा, वरना इस डंगे से सेब की लोड गाड़ी कहीं गुजर जाए, तो और नुकसान हो सकता था।
लेखों अब न रहा बांस तो न ही बजेगी बांसुरी ।
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