लोकेन्द्र सिंह वैदिक,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
कुल्लु: कभी इस तरह खूबसूरत होता था कुल्लू के अखाड़ा बाजार के साथ लगता #टापू। टापू : हैरत की बात है न!
कुल्लू शहर के अखाड़ा और रामशिला के बीच बहती व्यास नदी के बीचोबी एक टापू हुआ करता था, और नाम भी #टापू ही था। यह स्थानीय उत्पादों का बिक्री स्थल हुआ करता था। दूर दूर गाँव से किसान अपनी दालें, सब्जी आदि यहाँ बेचने के लिए लाया करते थे।
रोचक बात यह थी कि न यह नगर परिषद में था और न ही साथ लगती पंचायत में। दोनों गाहे वगाहे इस पर अपना दावा करते थे। इसकी अलग ही दुनियां थी, स्थानीय कच्ची दारू यहाँ छिपते छिपाते आम मिल जाया करती थी। काफी लोगों की रोजीरोटी चलती थी इस टापू में।
यहाँ उत्तर की ओर एक शिवलिंग था बिजली महादेव (प्रमुख देव) दशहरे के लिए जब आते थे तो यही पड़ाव होता था महादेव का। दक्षिण में हनुमान जी की वाटिका हुआ करती थी। आज भी हनुमान जी की आदमकद शिला यहाँ है।
पर्यावरण से मानव जाति के युद्ध ने यह रमणीय टापू दो चरणों में 1993 व 1995 की भयंकर बाढ़ में हमसे छीन गया। आज भी खंडहर रूपी बची जगह को विकास रूपी राक्षस हड़पने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। वह #टापू हमारी यादों के झरोखे में यूँ ही बना रहेगा और भावी पीढ़ी के ख्वाबों में...।
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