अब 14 मई व 15 मई को 0 को खुलेगे केदार और बदरी के कपाट ना कि 29 या 30 अप्रैल को
पण्डित विनय शर्मा
लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया
हरिद्वार।अब कपाट की नयी तारीख का ऐलान हो गया है और अब वो 14 व 15 मई को खुलेगे। देश के किसी हिस्से मे लॉक डाउन के कारण फंसे रावल के ना होने पर उत्तराखंड में चार धाम में ऑनलाइन पूजा का विरोध हो रहा है। यह विरोध चारधाम के तीर्थ पुरोहितों ने दर्ज कराया है। दरअसल, गंगोत्री-यमुनोत्री 26 और 27 अप्रैल को खुलने वाले थे। वहीं केदारनाथ और बदरीनाथ 29 व 30 अप्रैल को खुलने वाले थे ।ऐसे में मुहूर्त तक रावल के न पहुंच पाने की चर्चा है। हालांकि सरकार ने रावलों को उत्तराखंड जाने की अनुमति दे दी है। लेकिन अगर वे समय पर पहुंच भी जाते हैं तो उन्हें 14 दिन क्वारंटीन में रखा जाएगा। ऐसे में वे पूजा नहीं करवा पाते।
ऑनलाइन पूजा का हो रहा है विरोध
इस बीच सवाल उठे कि अगर कपाट खुलने के दौरान पूजा-अर्चना हुई तो बड़ी संख्या में आसपास के लोग इकट्ठा हो सकते हैं। ऐसे में नवगठित देवस्थानम बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने ऑनलाइन पूजा का प्रस्ताव दे दिया। जिसका विरोध शुरू हो गया। देवभूमि तीर्थ पुरोहित हकहकूक धारी महापंचायत ने कहा, ‘इन विश्व प्रसिद्ध मंदिरों की पूजा-अर्चना सदियों से आदि गुरु शंकराचार्य की परंपरा के अनुसार की जा रही है। हम यह परंपरा नहीं टूटने देंगे। ऑनलाइन पूजा नहीं होगी।’
टिहरी परिवार को दिया है अधिकार
उत्तराखंड सरकार ने बदरीनाथ के कपाट खोलने से जुड़े फैसले लेने का अधिकार टिहरी राजपरिवार को दे दिया है। राज्य सरकार के अनुसार अगर राजपरिवार चाहे तो स्थानीय ब्राम्हणों को भी कपाट खोलकर पूजा का अधिकार दे सकता है। केदारनाथ के लिए भी ऐसा ही विकल्प खुला रखा गया है।
तैयारियां हो चुकी हैं शुरू
सवाल उठ रहे हैं कि चूंकि चारधाम के लिए अब नया देवस्थानम बोर्ड गठित किया गया है, तो बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के एक्ट का हवाला क्यों दिया जा रहा है। इस पर राज्य सरकार का कहना है कि देवस्थानम बोर्ड के तहत अभी कई तरह की परिस्थितियों के लिए नियम नहीं बने हैं। ऐसे में पुराने नियमों के तहत व्यवस्था की जा रही है। हालांकि अब यह देखना होगा कि कपाट कौन खोलेगा और पूजा किस तरह से होगी, लेकिन बदरीनाथ और केदारनाथ में तैयारियां शुरू हो गईं है।
अन्य धामों के खुलने में कोई अड़चन नहीं
मंदिर के कर्मचारियों ने परिक्रमा स्थल से बर्फ हटाने का काम शुरू कर दिया है। हाइवे भी ठीक किया जा रहा है। पानी और बिजली की व्यवस्था भी दुरुस्त की जा रही है। लेकिन स्थानीय प्रशासन ने साफ किया है कि कपाट खुलने के दौरान मंदिर परिसर में सिर्फ 40 लोगों को जाने की अनुमित दी जाएगी। दूसरी ओर, दो अन्य धामों- यमुनोत्री और गंगोत्री धामों के खुलने में कोई अड़चन नहीं है। क्योंकि इनके मुख्य पुजारी स्थानीय पंडे हैं। वे कपाट खोलने की तैयारी कर रहे हैं।
‘बिना रावलों के 4 बार हुई पूजा’
राज्य सरकार की कैबिनेट के फैसले पर जानकारी देते हुए मंत्री मदन कौशिक ने बताया, ‘मंदिर समिति और शास्त्रों की व्यवस्था के अनुसार ही फैसला लिया जाए। पूजा-अर्चना के लिए वैकल्पिक व्यवस्था भी करनी होगी। जैसा टिहरी राजपरिवार कहेगा, उस हिसाब से सरकार कदम उठाएगी।’ उन्होंने यह भी कहा, ‘400 वर्षों के इतिहास में ऐसा चार बार हो चुका है जब रावल की अनुपस्थिति में उनके प्रतिनिधियों (सरोला ब्रह्मचारी ब्राह्मण) ने पूजा-अर्चना की है। ऐसा इस बार भी किया जा सकता है। बदरी-केदारनाथ मंदिर समिति के एक्ट में भी वैकल्पिक व्यवस्था का जिक्र है। संक्रमण को देखते हुए कपाट खुलने के वक्त लोगों को अनुमति नहीं दी जाएगी।
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