विजय शुक्ल
भारत का मतलब शायद यह तीन शब्द पूरा कर सकते है वो है गाँव गरीब और किसान। सरकार या प्रशासन ना तो कभी इनको लेकर चिंतित थे ना आज है। अगर आज इनकी चिंता भी है तो शायद इस समझ के साथ है कि इस लॉक डाउन मे फसले उगी भी और किसानो ने उसको काटा भी। आज उनको खाने के लाले तो नही है बल्कि दस बीस परिवारो को और खिला ही रहे है और साल भर खिला भी देगे। क्योकि खेतो मे काम करते वक़्त सोशल डिस्टेंस से लेकर नेचुरल गमछा सर और मुंह पर होना आम बात है। और यही किसान खेती और प्रकृति के साथ गाँव बनाते है। इन शहरी छुटभैये लालची व्यापारियो से कही बेहतर सबका साथ सबका विकास करने की सोच के साथ मुस्कराहट के साथ सबका शुक्रिया कहते हुए वो भी तब जब उनको पता है कि सामने वाला लाला उनको काट रहा है। यहा लाला का मतलब बनिया जाति से नही है यह साफ जान ले हम आप सब लाला है जो किसानो की जेब पर अपना हाथ साफ करते है और उनको भिखारी मानते है जिन्होने आज सबको अन्न्दाता होने का एहसास दिलाया है। बहरहाल दूसरा तबका आया गरीब का। किसान ना कभी गरीब था ना आज है हां वो खुद्दार था है और रहेगा भी। बस उसको थोड़ा सा कमजोर किया सरकार की गलत क्रेडिट पॉलिसी और पोलिटिक्स ने। धीरे धीरे सत्ता और उद्योगो ने इनको कर्जदार बनाकर इनको मुफ्त की मदद के नाम पर चार पिज़्ज़ा की कीमत देना शुरु किया।
रही बात गाँव से शहर की चकाचौंध की किस्से कहानिया सुनकर बढ़ रहे बच्चो मे शहरो मे मिलो मे मालो मे नौकरी की मोटी कमाई का लालच उनको इस कंकरीट की दुनिया मे ले आता है जहाँ उसकी सादगी और मेहनत को जाहिल और गंवार मानते हुए भैया शब्द के सम्बोधन के साथ उसको उसकी मेहनत का दस रुपया कम देकर शहरी निट्ठल्ले और बिगडे बाप की औलादे उनकी बेइज्जती और उनको कोसने का काम करती है। जी हां आज गरीब वही है जिनके पास खाने को अन्न नही और रहने को छत नही। रोज काम करना और जो मिले उसी का एक हिस्सा अपने गाँव भेजना जिससे घर वाले शुकून से जी सके खा सके और चैन की नीन्द सो सके। पर आज जब यही गरीब अपने गाँव लौटते हुए वो भी पैदल थककर शान्त पड़ी पटरियो पर सो गये यह जानकर और मानकर की अभी रेल बन्द है और उनकी यह नीन्द आखिरी नीन्द हो गई। फिर गाँव रोया हमेशा की तरह । आप यकींन मानो गाँव गरीब और किसान अगर हटा दिये जाय तो इस भारत मे सिर्फ शुन्य बचेगा। यह व्यापारी अंबानी अडानी बस सरकारो की मदद से जिन्दा है बाकी बची खुची जिन्दगी भी इन तीनो की बर्बाद करने के लिये।
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