इको ग्रीन एनर्जी बंधवाडी का कूड़ा निपटाने की बजाय फरीदाबाद व गुरुग्राम की आबादी को कूडे के कब्र मे दबाने की फिराक मे तो नही
- रोजाना पहुंच रहा है पंद्रह सौ मीट्रिक टन से ज्यादा कूड़ा
- करोडो लीटर लीचेड़ अरावली, नहरो मे और आगरा मे फेका गया
- सिर्फ 150 टन कूडे का निष्पादन ही कर रही इको ग्रीन
- 31 मई लॉक डाउन के बाद जन आन्दोलन करेगे वशिष्ठ कुमार गोयल
- जहरीला लीचेड़ आने वाली नस्लो को कर देगा तबाह- वशिष्ठ कुमार गोयल
- कोरोना से ज्यादा खतरनाक है यह लीचेड़ और सरकारी बाबूगिरी का खेल- वशिष्ठ कुमार गोयल
विजय शुक्ल
लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया
दिल्ली। सिर्फ गुरुग्राम ही नहीं फरीदाबाद के लिए भी कूड़ा समस्या बना हुआ है। गुरुग्राम से लगभग 900 मैट्रिक टन तो फरीदाबाद से 600 मेट्रिक टन कूड़ा रोजाना बंधवाड़ी लैंडफिल साइट पर पहुंच रहा है। इको ग्रीन एनर्जी कूड़ा निष्पादन मे तो फ़ेल है ही बिजली उत्पादन का भी नहीं कर पा रही है कोई काम।आपको बता दें कि इको ग्रीन एनर्जी काम करने की बजाय अच्छे और मोटे तगड़े सैलरी वाले मीडिया सलाहकारों के सहारे काम कर रही है। यह मीडिया सलाहकार इतने तगड़े हैं कि इन्होंने सभी मीडिया हाउसेस को अपने कब्जे में कर रखा है। हम किसी पर आरोप नहीं लगा सकते लेकिन अगर ऐसा नहीं होता तो इतना बड़ा रिस्क का मामला अखबार आखिर क्यों नहीं उठा रहे हैं खासकर गुड़गांव के लोकल अखबार।
अगर हम बात करें तो गुड़गांव और फरीदाबाद शहर में कचरा प्रबंधन का जिम्मा निजी कंपनी इको ग्रीन के पास है और इसने काम शुरू किया था तब से लेकर अब तक ढाई साल में यह ढाई पग भी नहीं चल पाए हैं। 30 से 35 फीसद घरों से डोर टू डोर कचरा कलेक्शन नहीं कर पा रही है कंपनी और कंपनी के पास न तो पर्याप्त गाड़ियां हैं। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का काम नही कर पा रही है पर अभी भी इसका धन्धा इसलिए जारी है क्योंकि यह प्रशासनिक भ्रष्ट सिस्टम का खेल है और मीडिया के बड़े खिलाड़ियों का गेम है। इसके दायरे में इसके निशाने पर हर कोई लोग हैं जो खरीदे जा सकते हैं। किसी भी व्यक्ति, लोकल कंपनी और आजाद स्वतंत्र मीडिया की आवाज से इनको कोई खौफ नहीं है क्योंकि यह किसी पर भी फर्जी और कोई फिरौती वाला आरोप लगाकर उसको निपटाने का दम रखते हैं। इसके मीडिया सलाहकार और लोग यह नहीं जानते कि यह इकोग्रीन की अनदेखी फरीदाबाद और गुड़गांव के भविष्य को गर्त में डाल रही है बारूद का ढेर क्रिएट कर रही है जिससे कोई नहीं बच पाएगा।
और बचपन के साथ खिलवाड़ करते यह लोग शायद भूल गए हैं कि जिस तरीके से कंपनी लीचेड़ अरावली मे और नहरों में डाल रही है इससे तो पशु पक्षी पर्यावरण की बात छोड़ दीजिए आने वाली पीढ़ियां विकलांग हो जाएंगी और बिना किसी सबूत के मौत के घाट उतार दी जाएंगी। जी हां ग्रीन एनर्जी कंपनी यानी इको ग्रीन एनर्जी पर ग्रीन एनर्जी का जो जिम्मा दिया गया था वो दोनों फेल है बिजली बनाने की तो बात छोड़ दीजिए जिसने बैंड बजाना शुरू कर दिया है और सब के सर पर मौत वाली बिजली गिराना शुरू कर दिया है। अब रही बात कूडे की तो वो लीचेड़ के रूप मे आम आदमी की जिन्दगी मे जहर घोल रही है।
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