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बंजार की तीर्थन घाटी के पेखड़ी गांव में पर्यावरण सन्तुलन को रोपी जा रही है हरियाली

बंजार की तीर्थन घाटी के पेखड़ी गांव में पर्यावरण सन्तुलन को रोपी जा रही है हरियाली



  • समुदाय आधारित हिमालयन इको टूरिज़्म सोसाइटी द्वारा जन सहभगिता से किया गया पौधरोपण

  • तीर्थन घाटी में ग्रामीण और इको पर्यटन की है आपार सम्भावना

  • घाटी में इको पर्यटन और हस्तशिल्प को दिया जाएगा बढ़ावा- अजीत ठाकुर


 



परसराम भारती 


लोकल न्यूज़ ऑफ इंडिया 


तीर्थन घाटी गुशैनी(बंजार)।हिमाचल प्रदेश जिला कुल्लु उप मण्डल बंजार की तीर्थन घाटी विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के साथ ट्राउट मछली के लिए देश दुनिया में विख्यात है।



पार्क क्षेत्र के प्रवेश द्वार और इको जॉन में पड़ने वाली सबसे नजदीकी ग्राम पंचायत नोहण्डा पर्यटन के क्षेत्र में काफी नाम कमा चुकी है। तीर्थन घाटी की संस्था समुदाय आधारित हिमालयन इको टूरिज्म को ऑपरेटिव सोसाइटी गुशैनी द्वारा जन सहभागिता से घाटी के प्राकृतिक सौन्दर्य को बनाए रखने के लिए पौधरोपण करके सराहनीय कार्य किया जा रहा है। सोसाइटी द्वारा यह पौधरोपण कार्यक्रम इसी वर्ष जनवरी माह में शुरू किया गया था। पहले चरण में गुशैनी से पेखड़ी सड़क मार्ग के दोनों छोर पर किया जाएगा। सड़क निर्माण के दौरान यहां पर पेड़ पौधों और हरियाली को हुई क्षति की भरपाई के लिए पौधरोपण जरूरी हो गया है ताकि पर्यावरण सन्तुलन और हरियाली कायम रह सके। इसलिए सोसाइटी के सदस्यों द्वारा स्थानीय लोगों के सहयोग से इस सड़क मार्ग के दोनों छोरों पर गुशैनी से पेखड़ी तक पूरे 9 किलोमीटर में पौधरोपण का लक्ष्य रखा गया है। दूसरे चरण में नेशनल पार्क इको जॉन के साथ लगते गांव के आसपास हरियाली रोपने का लक्ष्य रखा गया है। इसी कड़ी में तीर्थन घाटी के पेखड़ी गांव के साथ लगती बशेंई धार की करीब दो हेक्टेयर बंजर भूमि का चयन किया गया। इस बंजर भूमि के टुकड़े पर सोसाइटी के सदस्यों और स्थानीय गांववासियों द्वारा करीब दो माह से पौधरोपण किया जा रहा था। इस पौधारोपण कार्यक्रम का समापन पिछले कल वीरवार को पेखड़ी गांव में किया गया।



इस कार्यक्रम के समापन अवसर पर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के निदेशक अजीत ठाकुर ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। पेखड़ी गांव के स्थानीय लोगों ने मुख्य अतिथि का जोर शोर से स्वागत किया। मुख्य अतिथि द्वारा इस कार्यक्रम का विधिवत रूप से समापन के साथ ही बशेंई धार के इस प्लॉट में स्टाफ सहित पौधरोपण भी किया गया।



पेखड़ी गांव के साथ लगते बशेंई धार में सोसाइटी द्वारा वन विभाग के सहयोग से करीब दो हेक्टेयर भूमि के टुकड़े का चयन किया है जहाँ पर विभिन्न प्रजातियों जैसे देवदार, वान, चुलु व लेन्थस और आमलुक आदि के करीब 1500 पौधों की रोपाई की गई है।
     
हिमालयन इको टूरिज़्म को ऑपरेटिव सोसाइटी के को फाउंडर एवं मार्केटिंग एडवाइजर स्टीफन मार्शल का कहना है कि इस पौधरोपण का मुख्य उद्देश्य घाटी की बंजर भूमि पर हरियाली बनाए रखना, पर्यावरण सन्तुलन, सड़क सुरक्षा और वनों को आगजनी से हुई हानि की भरपाई करना है इसके अलावा पौधरोपण से पर्यावरण संरक्षण और वनों की आग से बचाब के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना भी है।
          
सोसाइटी के प्रधान केशव ठाकुर का कहना है कि पौधरोपण के इस अभियान में अभी तक वन विभाग की नर्सरी से जितने पौधे उपलब्ध हो सके हैं वे रोपित किए जा चुके है। पौधों की उपलब्धता बारे वन विभाग की अन्य नर्सरियों में भी सम्पर्क साधा जा रहा है। इस कार्य के लिए वन विभाग का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों का भी नर्सरी से पौधे उपलबध करवाने के लिए आभार प्रकट किया है। इनका कहना है कि आने वाले समय में पेखड़ी गांव में सोसाइटी द्वारा नर्सरी में खुद की ही पौधशाला तैयार की जा रही है जिसमें दिसम्बर माह से बीज डाला जाएगा। उन्होंने कहा कि इस समय इनकी सोसाइटी के साथ करीब एक सौ से भी ज्यादा स्थानीय युवा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार से जुड़े हुए हैं । पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार के साथ साथ ये युवा पर्यावरण संरक्षण के लिए भी कार्य कर रहे हैं। इनकी सोसाइटी की ओर से जंगलो में आग से बचाब के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए घाटी में कई जगह दिशा निर्देश बोर्ड लगाए गए हैं। आने वाले समय में सोसाइटी द्वारा तीर्थन घाटी को हरा भरा व स्वच्छ रखने पर कार्य जारी रहेगा इसी के तहत तीसरे चरण में देवकण्डा से रंगथर तक के करीब 200 बीघा बंजर भूमि पर पौधारोपण पर विचार चल रहा है जिसके बारे वन विभाग का सहयोग भी लिया जाएगा। इनका कहना है कि इन रोपे गए पौधों के संरक्षण और संवर्धन के लिए स्कूली बच्चों और स्थानीय गांववासियों का सहयोग लिया जा रहा है। इसके लिए हर गांव में एरिया वाइज कमेटियां बनाई जा रही है जिसमे सोसायटी के सदस्य, स्कूली छात्र और स्थानीय निवासी शामिल किए जाएंगे जो रोपे गए पौधों का संरक्षण करेंगे।
       
ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के निदेशक अजीत ठाकुर ने कहा कि पौधारोपण एक बहुत ही पुनीत कार्य है जो रोपाई के बाद इसके संरक्षण व संवर्धन पर ज्यादा ध्यान दिया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि तीर्थन घाटी में ग्रामीण और इको पर्यटन की आपार संभावनाएं हैं। यहाँ के लोगों को प्राकृतिक खेती की ओर अग्रसर होने की आवश्यकता है। इन्होंने कहा कि यहाँ की ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए बुनाई, सिलाई और कढ़ाई आदि में हस्तशिल्प का प्रशिक्षण दिया जाएगा।



इस मौके पर ए सी एफ सचिन शर्मा, वन परिक्षेत्राधिकारी भूपेन्द्र शर्मा, डिप्टी रेंजर भूपेंदर चौधरी, डिप्टी रेंजर नरोतम शलाठ, वन रक्षक पपिन्द्र, समिति सदस्य वली राम, कारदार लाल सिंह, वार्ड पंच प्रताप चन्द, संजय नेगी, वीरेन्द्र नेगी, सोसाइटी के सदस्य और स्थानीय गांववासी विशेष रूप से उपस्थित रहे।


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