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18 सितम्बर से अधिक मास,पण्डित शशि पाल डोगरा

18 सितम्बर से अधिक मास,पण्डित शशि पाल डोगरा


 


विवेक अग्रवाल


लोकल न्यूज ऑफ इंडिया 


शिमला। वशिष्ठ ज्योतिष सदन के अध्यक्ष पंडित शशि पाल डोगरा ने कहा कि जिस महीने में सूर्य की संक्रांति नहीं होती है उस महीना को मलमास कहा जाता है। हमारे सनातन शास्त्र के अनुसार विवाह उपनयन मुंडन गृहारंभ गृहप्रवेश द्विरागमन वधू प्रवेश आज कार्य सूर्य के संक्रांति के अनुसार किया जाता है अर्थात ऊपर के कार्य सौर मास के अनुसार संपन्न किए जाते हैं
हमारे यहां चंद्रमा के हिसाब से और सूर्य के हिसाब से महीने होते हैं जितने भी व्रत पर्व है जैसे दीपावली महाशिवरात्रि छठ गंगा दशहरा और भी जितने पर्व है और एकादशी प्रदोष व्रत गणेश चतुर्थी व्रत यह जो व्रत पर्व है यश चंद्रमास के अनुसार किए जाते हैं।पंडित शशि पाल डोगरा ने बताया की,
मलमास में सूर्य की संक्रांति नहीं होती है इसीलिए यह व्रत पर्व और संस्कार वाले काम विवाह उपनयन आदि नहीं किए जाते हैं किंतु चंद्र मास के अनुसार जो व्रत पड़ेगा मलमास में भी अवश्य किए जाएंगे जैसे गणेश चौथ एकादशी प्रदोष त्रयोदशी प्रदोष चतुर्दशी जो सोमवारी कर रहे हैं मंगल व्रत कर रहे हैं सब कुछ होते रहेगा बृहस्पति व्रत करते हैं वह चलता रहेगा मलमास में विवाह उपनयन मुंडन गृहारंभ गृहप्रवेश तिलक वर  वरण कन्या व्रत आदिनहीं होंगे।
किंतु विवाह मुंडन आज के चर्चा की जाएगी तैयारी की जाएगी खरीदारी भी की जाएगी और जितने भी कार्य हैं सब की तैयारी होगी मलमास में पूजा पाठ जब नित्य का हवन सब कुछ चलता रहेगा जो नित्य पूजा हम करते हैं मलमास में भी उसी प्रकार से पूजा करते रहेंगे हां इसमें नया यज्ञ नहीं होगा सामूहिक यज्ञ  नहीं होगा किंतु अगर कोई बीमार है किसी को बहुत आवश्यकता है तो रुद्राभिषेक महामृत्युंजय जाप कात्यायनी जाप श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा पार्थिव शिव पूजन सब कुछ होगा जो लोग नित्य पार्थिव पूजा करते हैं शिवलिंग की पूजा करते हैं शालिग्राम की पूजा करते हैं मंदिर और घर में नित्य पूजा करते हैं वह पहले जैसे ही पूजा करते रहिए हमारे सनातन शास्त्र में मलमास हो या खरमास हो या फिर पितृपक्ष हो मंदिरों को बंद नहीं किया गया इसका सीधा अर्थ है की पूजा पाठ धर्म-कर्म पहले जैसे चलते रहेंगे खरमास हो मलमास हो या फिर पितृपक्ष हो।


मलमास को श्री विष्णु भगवान ने अंगीकार किया इसीलिए मलमास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है चुंकि यह एक महीना अधिक होता है इसीलिए इसे अधिक मास भी कहा जाता है पुरुषोत्तम मास होने कारण इस मलमास में हम जो भी पूजा पाठ करते हैं नित्य का हवन करते हैं स्तुति करते हैं सब कुछ सीधे-सीधे श्री विष्णु भगवान को प्राप्त होते हैं और हमें श्री कृष्ण भगवान के कृपा की प्राप्ति होती है मलमास में सारे देवी देवता राजगीर में और पुष्कर तीर्थ में चले जाते हैं इस बार कोरोना के कारण जाना असंभव है इसीलिए घर में है राजगीर का और पुष्कर तीर्थ का ध्यान कीजिए सभी देवी देवताओं का ध्यान कीजिए
मलमास में एकोदिष्ट नहीं होता है किंतु यदि किसी की मृत्यु हो जाए तो उनका श्राद्ध कर्म वैसे ही होगा जैसे अन्य महीने में होता है मलमास का आरंभ कृष्ण पक्ष से होता है और मलमास का अंत शुक्ल पक्ष से होता है मलमास में अगर किसी की मृत्यु होती है तो यह देखा जाएगा कि कौन सा पक्ष था और तिथि क्या थी अगर कृष्ण पक्ष में मृत्यु हुई है तो कृष्ण पक्ष में अगले वर्ष एको दिष्ट होगा यदि शुक्ल पक्ष में मृत्यु हुई तो शुक्ल पक्ष में एकोदिष्ठ होगा जैसे आश्विन महीना के मलमास में यदि कृष्ण पक्ष में किसी की मृत्यु होती है तो अगले वर्ष आश्विन महीना के कृष्ण पक्ष में है उस तिथि को एको टेस्ट होगा यदि शुक्ल पक्ष में मृत्यु होती है तो अगले वर्ष शेर आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में है एकोदिष्ट होगा
क्या मलमास में विवाह हो सकता है क्या मलमास में यात्रा हो सकती है ?पंडित डोगरा के अनुसार विशेष परिस्थिति में यात्राएं भी होंगे विवाह संपन्न होंगे यदि किसी को बहुत आवश्यकता है जहां विवाह का सर्टिफिकेट दिखाना है प्रमाण दिखाना है तो कोर्ट मैरिज होगा मंदिर में जाकर के विवाह होगा और मंदिर के पुजारी लोग बैठ कर के दोनों परिवार के लोग बैठ कर के उस विवाह को मंजूरी देंगे और विवाह मान्य होगा यह अलग बात है की अच्छा शुद्ध महीना आने पर फिर से विवाह होगा और विवाह के अन्य विधि भी पूरे होंगे यदि कोई एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं वह कभी भी विवाह कर सकते हैं मलमास हो खरमास हो या फिर पितृपक्ष हो उनके लिए कोई बंधन नहीं है हमारे सनातन शास्त्र में यह सारी बातें हमारे ग्रंथों में लिखी हुई है उदाहरण देना संभव नहीं है आप सनातन शास्त्र का अध्ययन कीजिए
मलमास में खरमास में या फिर पितृपक्ष में जब हमारे ऋषि यों ने मंदिरों को बंद नहीं किया लोगों के लिए खुला रखा तो फिर पूजा बंद कैसे होगी इसका मतलब है:-


 पितृपक्ष में मलमास में और खरमास में पूजा नहीं करनी चाहिए विवाह की बात नहीं करनी चाहिए विवाह अपने आज के तैयारी भी नहीं करनी चाहिए चर्चा के नहीं करनी चाहिए यह सरासर अन्याय है।
सनातन शास्त्र बहुत ही सरल है। आप पहले पूजा पाठ करते थे करते रहिए मलमास में श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा का बहुत अच्छा फल मिलता है क्योंकि यह मलमास श्री विष्णु भगवान के नाम से है जाना जाता है उसी प्रकार इसमें जगे तो नहीं होगा किंतु आप मिट्टी का महादेव बनाकर के पूजा कर सकते हैं मंदिर में रुद्राभिषेक कर सकते हैं कुछ जप कर सकते हैं और विशेष परिस्थिति में वह सब कुछ कर सकते हैं जो आप अन्य महीनों में करते थे मलमास की भ्रांतियों को दूर किया।  सनातन शास्त्र को पढ़िए यह बड़ा सरल शास्त्र है। मलमास में जो हम पूजा करते हैं वह सीधे-सीधे श्री नारायण हरि को प्राप्त होता है इसलिए आइए 17 सितंबर के बाद 18 सितंबर से मलमास शुरू होगा और 16 अक्टूबर तक चलेगा 17अक्टूबर  शारदीय नवरात्रि का महालय आरंभ होगा।


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