लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
लखनऊ. भाकपा (माले) ने महामारी में माइक्रोफाइनेंसिंग कंपनियों के महिला स्वयंसहायता समूहों पर कर्जों की माफी व अन्य राहतों के लिए ऐपवा और खेत मजदूर संगठन के साथ मिलकर प्रदेश में जिला मुख्यालयों पर मंगलवार को जोरदार प्रदर्शन किया. देशव्यापी आह्वान पर प्रदर्शन उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों में भी किये गए.
बड़ी संख्या में महिलाओं और कार्यकर्ताओं ने रैलियां निकालीं और जिले के अधिकारियों के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा. साथ ही अधिकारियों को चेतावनी दी कि गरीब महिलाओं से जबरन वसूली नहीं रुकी तो धारावाहिक आंदोलन चलाया जाएगा.
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि ऐसे समय में जब लंबे लॉकडाउन व अनलॉक की प्रक्रिया में सारे रोजगार ठप हो गए, किसी भी तरह की आमदनी नहीं हो रही, मनरेगा में रोजगार व मजदूरी भी समय पर नहीं मिल पा रहा है, तब जिलों में कार्यरत बंधन, कैशपार, उत्कर्ष, आशीर्वाद, प्रयत्न व अन्य माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के एजेंट तमाम गांवों में जाकर गरीब महिलाओं द्वारा लिए गए कर्ज की धमकाकर जबरन वसूली कर रहे हैं. जबकि लॉकडाउन और अनलॉक की लंबी प्रक्रिया में पूरी अर्थव्यवस्था चरमरा गई है, लोगों को अपना परिवार चलाना मुश्किल हो गया है. यह तब किया जा रहा है जबकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की गाइडलाइन है कि किसी भी तरह के कर्जे की जबरन वसूली 31 मार्च 2021 तक नहीं करनी है.
वक्ताओं ने कहा कि जरूरत तो इस बात की है कि आरबीआई द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार उन कर्जों की जबरन वसूली न की जाए और दबाव बनाकर वसूली करने वाली कंपनियों के एजेंटों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाए. अगर ऐसा नहीं होता है, तो भाकपा(माले), खेग्रामस तथा एपवा के संयुक्त नेतृत्व में धारावाहिक आंदोलन चलाया जाएगा.
प्रदर्शन के माध्यम से निम्नलिखित मांगें उठायी गईं : स्वयं सहायता समूह से जुड़ी सभी महिलाओं के सामूहिक कर्ज माफ किये जायें. एक लाख रुपये तक के निजी कर्ज का, चाहे वे सरकारी, माइक्रोफाइनेंस संस्थानों अथवा निजी बैंकों से लिए गए हों, लॉकडाउन के दौर के सभी किस्त माफ किये जायें. सभी छोटे कर्जों की वसूली पर 31 मार्च 2021 तक रोक लगाई जाए. स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार और उनके उत्पादों की खरीद सुनिश्चित की जाए. एक लाख रुपये तक के कर्ज को ब्याज मुक्त बनाया जाए. शिक्षा लोन को ब्याज मुक्त किया जाए. सामूहिक कर्ज के नियमन के लिए राज्य स्तर पर एक ऑथोरिटी (अधिकरण) बनाया जाए. स्वरोजगार के लिए 10 लाख रुपये तक के कर्ज पर 0-4% ब्याज दर हो. जिस छोटे कर्ज का ब्याज मूलधन के बराबर या उससे अधिक दे दिया गया हो, उस कर्ज को समाप्त किया जाए.
प्रदर्शन का नेतृत्व बलिया में अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व माले की केंद्रीय समिति के सदस्य श्रीराम चौधरी, लखीमपुर खीरी में ऐपवा की प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी व उपाध्यक्ष आरती राय, देवरिया में श्रीराम कुशवाहा, मिर्जापुर में शशिकांत कुशवाहा व जीरा भारती, गाजीपुर में ईश्वरी प्रसाद व रामप्यारे, मऊ में वसंत, आजमगढ़ में वरिष्ठ नेता जयप्रकाश नारायण व ओमप्रकाश सिंह, चंदौली में अनिल पासवान, वाराणसी में अमरनाथ राजभर, इलाहाबाद में कमल उसरी, सीतापुर में माले जिला सचिव अर्जुन लाल व ऐपवा जिलाध्यक्ष सरोजिनी और मथुरा में नसीर शाह ने किया.
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