अम्ब-गगरेट -ओयल को फिर पीडब्ल्यूडी ने दिया जुगाड़ पुल का टुनटुना, राजनीतिक वादों की कैद में अब भी दम तोड़ रहा लोगो की उम्मीदों वाला यह पुल
अम्ब-गगरेट -ओयल को फिर पीडब्ल्यूडी ने दिया जुगाड़ पुल का टुनटुना, राजनीतिक वादों की कैद में अब भी दम तोड़ रहा लोगो की उम्मीदों वाला यह पुल
- अम्ब-गगरेट -ओयल यात्रियों-बाहनों, जनता-जनार्दन द्वारा सोमभद्रा-स्वां नदी को लांघने का बंदोबस्त जारी है।
राजीव शर्मन
समाज सचेतक साथी
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
ऊना। हमारा लोकतंत्र सचमुच महान है। सरकारों का आलम निराला हुआ करता है। सरकारें ऊंचे स्थान पर बैठ कर शासन करती है। धरातल पर क्या स्थिति बनी हुई है? इससे शासनाधिकारी अनभिज्ञ अथवा जानबूझ कर आंखें मूंदकर कर चलते बनते हैं। अगर जनता ने मांगपत्र का हल्ला बोल दिया तो सरकारों के रटे रटाए जुमले बखूबी काम करते रहते हैं। जी हां! यह साल भी खत्म होने के कगार पर पहुंच चुका है। एक बार पुनः सोमभद्रा- स्वां नदी पर पुल निर्माण का इंतजार करते करते लोगों ने भी अब इस पुल के बारे मांग दोहराना शायद बंद कर दिया है।अम्ब उपमंडल तहसील मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर श्री राम मंदिर अन्दौरा समीप सोमभद्रा-स्वां नदी पर लोक निर्माण विभाग ने एक बार पुनः "जुगाड़ू पुल" का इंतजाम कर दिया है। यह सर्दियां आराम से निकल जायेगी बाकी आने वाली बरसात में लोगों को पुनः दुविधाओं का सामना करना पड़ता हो तो करें। शायद यह जुगाड़ू पुल यही संदेश देने हेतु एक बार पुनः बनाया गया है। आजादी उपरान्त आज भी सरकारों ने इस पुल निर्माण की जहमत नहीं उठाई है। कितनी बार यहां पुल बनाने की घोषणाएं व चुनावी वायदों को भुनाया गया,यह कहना बहुत मुश्किल है। बरहाल जनता जनार्दन को एक बार पुनः इस पुल के बिना कठिनाइयों का पूर्ववत ही सामना करने की चिरस्थाई प्रक्रिया से गुजरना होगा।
भारत के संघीय ढांचे में शायद राज्य सरकार इस तरह के लोक कल्याणी कार्य सम्पादित करती है। इसकी केन्द्रीय सरकार अथवा प्रांतीय सरकार की कोई जबाव देही नहीं है। पिछले 73 सालों से यह अधर में लटका पुल यही संदेश देता है कि अंधेर गर्दी का आलम कई युगों तक चलता रहता है। इसके लिए जनता जनार्दन आवाज उठा सकती है। इस आवाज अथवा मांग पर सरकारों की नियति राजनीतिक मनसा से भरपूर रहती है। यह सोमभद्रा-स्वां पुल कितने सालों तक इंतजार करेगा? यह एक जटिल यक्ष प्रश्न है जिसका उत्तर ढूंढने में बहुत ज्यादा कसरत करनी होगी। लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ इस बारे ज्यादा से ज्यादा कलम चलायेगा। हुक्मरानों को कलम पर अंजान बनना व आंखें मूंदना बखूबी आता है। इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में कोई तो जबावदेह होगा जो यह सुनिश्चित करेगा कि इस पुल निर्माण को अमली जामा पहनाने में अब तक सरकार कहां सोई हुई है। इस सोमभद्रा-स्वां पुल निर्माण से अम्ब-गगरेट के सोमभद्रा-स्वां नदी बाजार के विस्तारीकरण से कितने बेरोजगार युवाओं के स्वरोजगार के सपने धूमिल कर दिए गए हैं। इस पुल निर्माण से निजी तौर पर कितनी ही दुकानों का निर्माण व विकासोन्मुखी रौनक का संचार होना था। सरकार की दूरगामी सोच से कोसों दूर है। यह होशियारपुर पंजाब का सर्व सुलभ वैकल्पिक मार्ग इस तरह से बदहाली के आंसू ही बहाता रहेगा। आज प्रबुद्ध वर्ग व एक बुजुर्ग ने लेखाकार को बतलाया कि आप लिखते रहो! आवाज उठाते रहो!! यह गगरेट-अम्ब को जोड़ने वाला मुख्य सेतु अवश्य बन जायेगा।
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