जय जवान जय किसान भारत की सही पहचान, न्याय सुरक्षा और सम्मान से किसान बनेगे खुशहाली के एटीएम- वशिष्ठ कुमार गोयल
जय जवान जय किसान भारत की सही पहचान, न्याय सुरक्षा और सम्मान से किसान बनेगे खुशहाली के एटीएम- वशिष्ठ कुमार गोयल
गांधी जी ने सच ही कहा था कि हम तब आजाद होंगे जब हमारी बहन बेटियां सुरक्षित और सम्मानित होगी, नवजन चेतना मंच का मूल मंत्र ही हैं न्याय सुरक्षा और सम्मान से भरा खुशहाल और जागृत समाज - वशिष्ठ कुमार गोयल
विजय शुक्ल
लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया
दिल्ली। देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयन्ती पर आज देश जहां एक ओर उनको याद कर रहा हैं वही दूसरी ओर सबकी आत्मा दुखी हैं। हाथरस की बेटी हो , भदोही की हो या बलरामपुर की बेटी हों या फिर जींद की बेटी हो उन सबके साथ जो वहिशयाना हरकत समाज के कुंठित लोगो ने की हैं यह हमारी संस्कृति की खिलाफत हैं। हमारे संस्कारो से गायब होते मूल्यों का एहसास हैं। देश का प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री जिम्मेवार नहीं है जिम्मेवार हम आप भी हैं कही न कहीं। अगर आज हम सबमे बापू की थोड़ी सी भी विरासत बची होती तो यह घटना कल्पना में भी नहीं घटित होती।
एक तरफ सरकारी किसान बिल के फरमान ने अन्नदाताओ का सुख चैन छीन रखा हैं मानो वो कैशलेस एटीएम मशीन हो गए हों। हो सकता हैं कि सरकार बहुत अच्छा बिल बनाना चाहती हो या यह बिल बहुत अच्छा हो पर इस बिल का क्या फायदा जिसमे किसानो का मान सम्मान ही ना हो। वो असुरक्षित महसूस करे और उनको न्याय की कोई उम्मीद ही ना हो। क्योकि किसान अपने आप में एक पूरी अर्थव्यवस्था हैं। फसल की बुवाई से लेकर फसल काटने तक पूरे परिवार के साथ साथ काम से काम दो चार परिवार को रोजी रोटी देने के साथ साथ वो पेट्रोल डीजल से लेकर , खेत खलिहान में प्रयोग आने वाली कीटनाशक दवाओं से लेकर, बीज तक सबको पैसा देता हैं भले ही उसको कर्ज लेना पड़े। वो बस एक ही ख्वाइश के साथ जीता हैं कि समाज में उसकी पगड़ी ना उतरे। उसी किसान का बेटा सरहद पर लड़ने भी जाता हैं और वही दूर प्रदेश में चाकरी करने भी। बाजार में बैठे साहूकार हो या आढ़तिये सब की दूकान वही किसान चलाता हैं और यह सब सरकारी खजाने को भरते हैं जिससे सरकारी बाबू लोग मौज उड़ा सके।
आज कही न कही मरहूम सुषमा स्वरवाज की वो बात याद आ गयी कि किसान हमारे एटीएम हैं पर ना जाने आज सरकार इन किसानो की पीड़ा समझने में कहा चूक रही हैं। चीन से संवाद की बजाय सीधे किसानो के बीच में संवाद हो तो रास्ता निकल जाएगा। हमारे प्रधानमंत्री को बिचौलिए की बजाय खुद सीधे बात करनी होगी। आढ़तिये या मंडी का बिचौलिया तंत्र तो सबका भला और सुरक्षा का भाव देता हैं पर सरकार के चारो तरफ फैला बिचौलियों का मायाजाल तो इनको असुरक्षा का भाव ही देगा। मोदी जी सक्षम है यह सुलझाने में लेकिन उनको इनसे सीधे संवाद करना होगा। पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री जी के कहने पर लोगो ने दाना अपनी त्याग दिया था और जवान सरहद पर इज्जत की जंग जीतने को तैयार था क्योकि उस समय जब माउथ तो शिप वाला अन्न भंडारण और पैदावार का काल था तब भी हमारे प्रधानमंत्री के होने मात्र से न्याय सुरक्षा और सम्मान की भावना और विश्वास लोगो में था। पर आज जब हम सरप्लस भंडारण और पैदावार के साथ हैं तो हमारे किसान लाठी खा आरहे हैं जिनके खून पसीनो के कमाई से यह लाठी वालो का पेट भरता हैं उन्ही के हाथो से। और सरकार से आस लगाए बैठे हैं निराशा और नाउम्मीदी के बावजूद भी कि उनको न्याय मिलेगा वो भी सुरक्षित और सम्मानित परिवेश में।
लाठिया तो बापू ने भी खाइ थी और तभी शायद वो राष्ट्रपिता बने पर लोगो के लिए , देश की आजादी के लिए। चलाई नहीं थी खुद खाई थी और आज हमारे किसान खा रहे है।
बापू हमारा इम्युनिटी सिस्टम थे और आज समाज को उसकी जरूरत हैं खासकर किसानो को। जय जवान जय किसान का नारा फिर से सार्थक होने का सही समय हैं यह। वशिष्ठ कुमार गोयल ने सम्पूर्ण हरियाणा में नवजन चेतना मंच की विचारधारा को एक गति देने के साथ साथ सबको न्याय सुरक्षा और सम्मान का एहसास दिलाने की पहल की शुरुवात को अब एक नया आयाम दे दिया हैं हाल में ही गुरुग्राम के सभी वार्ड पर नवजन चेतना मंच के सिपाहियों को जिम्मेदारी देकर और बापू और शास्त्री जी का सुरक्षित, सम्मानित और न्याय से परिपूर्ण राष्ट्र निर्माण संकल्प के संकल्प को पूरा करने का कदम आगे बढ़ाया हैं। जो समाज को नयी ऊर्जा नयी चेतना देगा।
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