- खट्टर साहब के राज में फौजी को पीटता-ठगता प्रॉपर्टी दलाल सिंघला , एक ही प्रॉपर्टी को बार बार बेचने में आखिर कौन कौन हैं शामिल
- आखिर पुलिस क्यों नहीं लिख रही एफआईआर , फौजी की फ़रियाद पर कानूनी कार्रवाई की बजाय पंच की भूमिका क्यों निभा रही हिसार पुलिस
- दि सुरजमुखी कोआपरेटिव हाउस बिल्डिंग सोसाइटी लिमिटेड के नाम पर फौजी को ठगने में शामिल लोगो की होनी चाहिए जांच
(खट्टर साहब की पुलिस के बस दिखाने के लिए की यह सिंघला साहब ने कैसे पकड़ी थी फौजी की गिरेबान )
विजय शुक्ल(साथी राम प्रकाश के सहयोग से)
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
हिसार , दिल्ली। वैसे तो मौजूदा मोदी सरकार फौजियों और राष्ट्रवादिता का हुंकार भरने में सबसे आगे हैं और प्रदेश हरियाणा में तो खट्टर साहब का राज हैं। बात हरियाणा के हिसार की हैं जहां एक गैर जाट मेयर हैं तो दूसरा विधायक। यानी कुल मिलाकर खट्टर साहब की राजनीतिक एजेंडे वाला पूरा माहौल हैं हिसार में। अब ऊपर से यह सिंघला साहब। जो देश की सरहदों की सेवा करने वाले फौजियों को अपने निशाने पर तो लेते ही है जमीन के प्लाट बेचकर। इसके अलावा कब्जा लेने जाने पर उनकी पिटाई और उनके ऊपर कार चढाने से लेकर दांत काटने तक का पूरा खेल खेलते हैं और हिसार पुलिस हैं कि पूरा नाम रोशन कर रही हैं सरकार का। पहले किसानो को पीटा अब जवानो को पीटते और ठगते सिंघला को घसीटने की बजाय फौजी को ही बार बार थाने का चक्कर लगवाने का रोचक खेल खेल रही हैं।
(यह भी की सिघला नामक यह प्रॉपर्टी दलाल के दांत की धार का अंदाजा पुलिस को लग सके , फौजी का लिहाज और सिघला का अंदाज शायद हिसार पुलिस को भा जाए )
बात पूरी करते हैं और इस कहानी से पर्दा उठाते हैं। कहानी शुरू होती हैं हिसार में एक दि सुरजमुखी कोआपरेटिव हाउस बिल्डिंग सोसाइटी लिमिटेड द्वारा सन दो हजार बारह में एक प्लाट को फौजी मुकेश कुमार के नाम करने को लेकर। जिसमे दलाली से लेकर जमीन का पूरा कब्ज़ा दिलाने का खेल खेलने में महारथी महानुभाव सिंघला जी थे, अब भी हैं और अगर पुलिस का साथ रहा तो आगे भी रहेंगे। ऐसा मैं नहीं इस फौजी की अपनी गुहार हैं और शिकायत हैं।
देश की सरहद की सुरक्षा में तैनात चीन के फौजियों की शायद ही जुर्रत हुई हो कभी इस फौजी का गिरेबान पकड़ने की पर बुजुर्ग सा दिखने वाला यह शातिर सिंघला ना सिर्फ फौजी को गिरेबान से पकड़कर मारने की कोशिश करता हैं बल्कि उसको दांत भी कांटता हैं उसको कम रौशनी वाले लोग तो देख पाएंगे पर हिसार पुलिस क्यों नहीं देख पा रही यह सिंघला साहब ही जानते हैं। बहरहाल इस जमीन को जब यह फौजी सरहद पर दो चार साल के लिए ड्यूटी पर जाते हैं तो सिंघला साहब इन्ही प्लाटो को दूसरे फौजी भाईयो को या किसी और को बेच देते हैं। अब जब यह फौजी अपनी जमीन पर कब्जा करने के लिए सरहद से अपनी माटी पर आते हैं तब तक इनकी जमीन किसी और के चढ़ावे सिंघला साहब के द्वारा चढ़ा दी जाती हैं और पुलिसिया बीच बचाव के बाद कुछ माह का समय मांगकर उस फौजी की छुट्टी को पूरे तरीके से तनावपूर्ण बनाते हुए सिंघला जी फौजी को पीटते भी हैं और उसपर कार भी चढाने का दांव भी खेलते हैं। अब सवाल यह हैं कि क्या एक फौजी के साथ ठगी और धोखेबाजी करने वाला यह सिंघला पुलिस का इतना प्रिय हैं कि उसका आज तक कोई बाल भी बांका नहीं कर पाया या फिर पुलिस फौजियों को वो तवज्जो नहीं देना चाहती जिसका ढिंढोरा हमारे पीएम और सीएम पीटते हैं? और क्या समाज इतना कमजोर हैं कि सरहद पर हमारे लिए चौकस इन जवानो के साथ धोखाधड़ी कर रहे इन सिंघला जैसे दलालो को सबक सिखा सके।
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