विजय शुक्ल
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
लखीमपुर हादसा किसानो और भाजपा कार्यकर्ताओ की मौत पर सियासत के साथ साथ राकेश टिकैत का सीधे सीधे केंद्रीय गृह राज्य मंत्री पर इस तरह का पलटवार कुछ अलग खेल की तरफ इशारा करता हैं। मंत्री पुत्र तथाकथित हादसे का जिम्मेदार हैं या नहीं इसकी जांच की गिरफ्त में और योगी पुलिस के कब्जे में हैं। ग्रामीण और उस दंगल के चश्मदीद आशीष मिश्रा को जहां एक और दंगल में होना बता रहे हैं वही योगी पुलिस के कब्जे में आये लोगो की थ्योरी किसानो को कुचलने वाली थार में आशीष मिश्रा को देख रही हैं। पर आज तक किसी भी मामले में इतनी मुखरता से राकेश टिकैत ने विरोध नहीं किया था जितनी मुखरता से अजय मिश्रा के इस्तीफे पर अड़े हैं। किसानो की मांग तो पहले ही योगी सरकार मान चुकी थी और आरोपी आशीष को गिरफ्तार भी कर चुकी हैं पर आखिर ऐसा क्या कारण हैं कि राकेश टिकैत सिर्फ और सिर्फ अजय मिश्रा उर्फ़ टेनी के इस्तीफे से अपने दिल की आग बुझाना चाहते हैं जबकि सिंघु बॉर्डर पर हत्याकांड से अपना पीछा छुड़वाना चाहते हुए उससे पल्ला झाड़ते हैं।
क्या किसान आंदोलन रेल रोककर अजय मिश्रा की इस्तीफा नीति का दबाव सरकार पर बनाना चाह रहा हैं वो भी उस सरकार पर जो दबंगई से आज तक किसान बिल को जायज ठहराती आ रही हो। पर अब शायद एक खेल हैं जिसका खुलासा शायद राकेश टिकैत ही कर सकते हैं ? क्या राकेश टिकैत योगी जी के इशारे पर केंद्र सरकार का विरोध कर रहे हैं ? ऐसा क्या हैं कि योगी सरकार के खिलाफ एक शब्द भी ना बोलकर सिर्फ और सिर्फ अमित शाह के सहयोगी को निशाने पर लेने का खेल चल रहा हैं ? पिछडो की राजनीती क्या इतनी हावी हो गयी हैं कि ब्राह्मण नेतृत्व को ठिकाने लगाकर सत्ता की चाभी तैयार की जा रही हैं या अजय मिश्रा टेनी का अमित शाह का सहयोगी होना किसानो का सॉफ्ट टारगेट बनने का एकमात्र कारण हैं।
किसान बिल की आड़ में अब किसानो के सारे मुद्दे ठिकाने लगा चुके यह किसान नेता राकेश टिकैत आखिर चाहते क्या हैं ? क्या वो यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि राज्य में योगी का रामराज चले और केंद्र में मोदी जी को निपटा कर बाद में वहा भी योगीराज लाया जाय। शायद यह पूरी लड़ाई मोदी जी की बजाय अमित शाह और योगी के बीच आने वाली सत्ता के कब्जे को लेकर हो रही हैं क्योकि भाजपा के अंदर अब मोदी युग के जाने और शाह युग के आने का जिक्र तो चल ही रहा हैं पर शाह युग की बजाय योगी युग का पूरा बाजार संघ और संगठन दोनों शायद तैयार कर रहा हैं और ऐसे में अमित शाह के खास बने केंद्रीय राज्य गृह मंत्री का हाशिये पर होना लाजिमी हैं। आपको एक बात और ध्यान में रखनी चाहिए कि लखीमपुर लोकसभा से अजय मिश्र टेनी ने सांसद वाली पकड़ मजबूती से बनाई हुई हैं और क्षेत्र में दबंग छवि भी रखते हैं जिसको किसान नेता टिकैत की भाषा में गुंडा बोलते हैं और जैसे ही वो केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बने वैसे ही योगी सत्ता के निशाने पर आ गए और उस पर लखीमपुर हादसा सोने पर सुहागा साबित हो गया। क्योकि इनका नाम पहले वाले पूर्व आईएस ब्राह्मण चेहरे जिसको एमएलसी बनाकर मुख्यमंत्री योगी पर लगाम लगाने भेजा गया था की तरह चाटुकारो ने आगामी मुख्यमंत्री जो घोषित कर दिया फिर तो यह सब होना ही था भला कैसे कोई अजय मिश्रा को बख्श दें.
उधर लखीमपुर हिंसा को लेकर लगातार आरोपों से घिरे केंद्रीय गृहमंत्री अजय मिश्रा टेनी ने पुलिस पर बड़ा आरोप लगाया है. टेनी ने कहा है कि पुलिस के सामने किसानों ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को खींचकर मार डाला, लेकिन वे लोग उन्हें बचा नहीं पाए. उन्होंने आगे कहा कि दोषी पुलिसकर्मियों को बख्शा नहीं जाएगा.
रिपोर्ट के मुताबिक लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए एक बीजेपी कार्यकर्ता के श्रद्धांजलि समारोह में शामिल होने पहुंचे केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने कहा कि बीजेपी कार्यकर्ता पुलिस की गाड़ी के पास आ गए थे, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उन्हें खींचकर मार डाला. मंत्री ने आगे दावा किया कि जब किसान सड़क पर आंदोलन कर रहे थे, उस वक्त कोई भी पुलिस कर्मी उन्हें हटाने नहीं गया. उल्टे पुलिस वालों ने बैरिकेडिंग कर दी.
अगर अजय मिश्रा टेनी के इस बयान का पोस्टमार्टम किया जाय तो आपको समझ में आ जाएगा की यह यूपी पुलिस या यूं कहे योगी पुलिस के राकेश टिकैत को स्पेशल ट्रीटमेंट देने का खेल शायद सबको समझ में आ जाय। अब सवाल सिर्फ इतना हैं कि क्या आगामी यूपी के सीएम की कुर्सी का खेल राजनीतिक रंजिश में बदल गया हैं और योगी पुलिस और राकेश टिकैत उसको एक अमली जामा पहनाने में लगे हैं या वाकई अजय मिश्रा टेनी का कोई दबाव भला योगी पुलिस मानने वाली जो सिर्फ योगी जी का इशारा समझते हैं।
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