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लो आ गई कोरोना की दुश्मन बाबा रामदेव की कोरोनिल दवाई, बाबा रामदेव के रामबाण ऐक्शन से कोरोना होगा चारो खाने चित्त

लो आ गई कोरोना की दुश्मन बाबा रामदेव की कोरोनिल दवाई, बाबा रामदेव के रामबाण ऐक्शन से कोरोना होगा चारो खाने चित्त पंडित विनय कुमार शर्मा लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया हरिद्वार। बाबा रामदेव ने कहा कि पतंजली ने कोरोनिल नामक दवा तैयार कर ली है जो पूरी तरह से आयुर्वेद की विधि से बनी है और अगले सात दिनों में पतंजलि के स्टोर पर मिलेगी। इसके अलावा सोमवार को एक ऐप लॉन्च किया जाएगा जिसकी मदद से घर बैठे ही बुकिंग कर आप यह दवाई मंगा सकते है।    यह है कोरोना वायरस की पहली आयुर्वेदिक दवाई, ग्लेनमार्क की भी अलोपैथीक दवा बाज़ार मे जल्द होगी उप्लब्ध अगले 7 दिनों में पतंजलि स्टोर पर मिलेगी दवा, ऐप्प के जरिये भी मंगा सकते है कोरोनिल योगगुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजली ने सबसे आगे निकलते हुए यह दावा किया है कि उसने कोरोना वायरस को मात देने वाली दवा तैयार कर ली है। मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वामी रामदेव ने कहा कि दुनिया इसका इंतजार कर रही थी कि कोरोना वायरस की कोई दवाई निकले। उन्होंने कहा कि आज हमें गर्व है कि कोरोना वायरस की पहली आयुर्वेदिक दवाई को पतंजली ने तैयार कर ली है। इस आयुर्वेदिक दवाई का नाम कोरो

मेरी धरती और मेरा आसमान है मेरे पापा, मार्गदर्शक, प्रेरक और बॉडीगॉर्ड भी- अभिनेत्री हर्षदा पाटिल 

मेरी धरती और मेरा आसमान है मेरे पापा, मार्गदर्शक, प्रेरक और बॉडीगॉर्ड भी- अभिनेत्री हर्षदा पाटिल  विजय शुक्ल लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया    दिल्ली। लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया ने दक्षिण भारतीय सिनेमा, मराठी व हिन्दी फिल्मी दुनिया की मशहूर अदाकारा हर्षदा पाटिल से फादर्स-डे पर बात की । क्या है पिता का मतलब शायद इससे बेहतरीन कोई ही बता पाये। यही तो हैं हर्षदा के हुनर का जादू। पढिए आखिर क्या कहा अभिनेत्री हर्शदा पाटिल ने......   मैं अभिनय की दुनिया मे हूँ जहाँ किरदार का अपना जीवन होता है और हम सब सिर्फ अभिनय करते है उस किरदार को जीने का। लेकिन वहां कोई नही होता जो हमारा ख्याल रखे सब प्रोफेशनल होते हैं । आपकी छोटी छोटी जरूरतो का हिसाब किताब रखने वाला वो शख्स कोई है जिसने बचपन से लेकर आज तक मुझमे दुलार वाली नजरो से मेरी सभी जरूरतो को मुझसे पहले मह्सूस किया तो वो हैं मेरे पिता जी डॉ गोपाल राव किशन राव पाटिल। बचपन मे पिता जी की गोंद से निकलकर स्कूटर के आगे खडे होने की वो हसीन यादे हो या बढ़ते कद के साथ माँ और पापा के बीच मे बैठने तक का सफर सब बिल्कुल बिना किसी डर के बीता क्योकि जैसे ऊपर भगवान होता है सबका

पूर्व मेयर पंचकुला मनवीर कौर गिल ने रेलवे कर्मचारियो का किया उनकी सेवाओ के लिये अभिनंदन

पूर्व मेयर पंचकुला मनवीर कौर गिल ने रेलवे कर्मचारियो का किया उनकी सेवाओ के लिये अभिनंदन रिटायर्ड मेजर सतबीर शर्मा लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया  पंचकूला । कोरोना की इस कैद ने आम लोगो की मदद कर रही रेलवे कर्मचारियो का हौसला बढ़ाने और उनके नेक कां का आभार जताने के लिये पूर्व मेयर पंचकूला मनवीर कौर गिल ने पुष्प और भेंट देकर उन्का हौसला बढाया। आपको बता दे कि उन्होंने आज कालका रेलवे स्टेशन पर सीनियर ऑफिसर और रेलवे कर्मचारियों को जो इस मुश्किल समय में रेलवे में अपनी जिम्मेदारी को निभाते हुए यात्रियों को सुरक्षित पहुंचाने का काम कर रही है । उनका तहे दिल से धन्यवाद दिया और कहा कि उन्हें वह स्लयूट करना चाहती हैं जो इस कोरोना वायरस के समय में अपनी जान की परवाह ना करते हुए यात्रियों को सुरक्षित अपने स्थान पर पहुंचा रहे हैं।

मेरे जनित्र मेरे प्रणेता

मेरे जनित्र मेरे प्रणेता अमित शुक्ला 'अजस्र'    सृष्टि में पहली किलकारी के साथ प्रारब्ध से हमें जो मिलते हैं, वह हमारे माता-पिता ही हैं ।इन संबंधों में सिंधु सी अनुरक्ति होती है। जो आजीवन पवित्र वरेण्य प्रेम का रूप होता है। एक बेटे के रूप में मुझे सदा अपने पिता का आलम्बन मिला।मामूली सी बात से लेकर गूढ़ज्ञान तक पिताजी का बोध इतना है कि जितनी गहरी वटवृक्ष की जड़ें धरती में समाई हुई, और उतना ही अडिग और गझिन भूमि के ऊपर।जीवन के विभिन्न आरोह और अवरोह की परिस्थिति में मैंने उन्हें हमेशा धीरोदात्त ही पाया। बचपन से लेकर एक पिता बन जाने तक मेरे जीवन में ऐसे कई अवसर आए जब मैंने अपनी परेशानी उनसे छुपानी चाहिए.... कि वे व्यर्थ ही परेशान होंगे ,लेकिन मेरे मुख की असारता बिना शब्दों के ही प्रवाद कर जाती और वे प्रश्न कर बैठते, क्या बात है ...?इतने परेशान क्यों दिख रहे हो? यह मेरे लिए दूसरा चिंतन का विषय बन जाता कि मैं अपनी समस्या कहूं या पहले यह अनुसंधान करूं कि ऐसा हर बार कैसे संभव है? यह आखिर कौन सी विद्या है ....?जो मैं अब तक न सीख पाया!!!    एक अमुख्य देहात से ,पिता के प्रेम से वंचित कुछ म

योग दिवस पर खास......... योग और प्रबंधन की नायाब पैमाइश है अभिनेत्री हर्षदा पाटिल

योग दिवस पर खास......... योग और प्रबंधन की नायाब पैमाइश है अभिनेत्री हर्षदा पाटिल विजय शुक्ल लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया कहते है कि योग चित्त से शरीर का लगाव का सबसे सही माध्यम है। आत्मा परमात्मा का मिलन जैसा ही अनुभव नयी ऊर्जा और स्फूर्ति के रूप मे योग से ही मिल सकता है। और जब मन चंगा तो कठौती मे गंगा वाली कहावत बिल्कुल हकीकत सी लगती है अगर कोई शक है तो अभिनेत्री हर्षदा पाटिल की मुस्कुराती काया से पूछ लो। जो नाम की तरह ही सबको सुकून और एक अजीब सी पॉजिटिव ताकत का एहसास देती है। ऐसा नही है कि हर्षदा पाटिल ने एक दिन मे कायनात की खूबसूरती को अपने अन्दर समेट लिया हो बल्कि इसके पीछे उनके बचपन से आज तक का अपने पिता डॉ गोपालराव किशनराव पाटिल के साथ योगाभ्यास मे शामिल होना और खुद को योग मे निपुण बनाने से हुआ है। वो अलग बात है कि बचपन मे हास्यासन पर खिलखिलाता हर्षदा का वो चुलबुला अंदाज प्रबंधन की पढाई लिखाई और पैडमैन, रंगीला राजा, मातृवेनम जैसी फिल्मो मे अक्षय कुमार व गोविंदा जैसे नामचीन अभिनेताओ के साथ अभिनय के दौरान रोजमर्रा की आदतो मे शुमार इस योग से दिन प्रतिदिन निखरता ही गया हो और शायद यही वजह ह

क्या खालिस्तान विचारधारा को बढावा नही दे रहे मीडिया को गरियाने वाले भाजपा महासचिव मल्विन्दर सिंह कंग

क्या खालिस्तान विचारधारा को बढावा नही दे रहे मीडिया को गरियाने वाले भाजपा महासचिव मल्विन्दर सिंह कंग विजय शुक्ल लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया दिल्ली। संघ और भाजपा ने मोदी के नेतृत्व मे देश को राष्ट्रवादी सोच से ना सिर्फ लबरेज किया बल्कि कश्मीर , तीन तलाक और राम मंदिर जैसे मुद्दे को पुलवामा से मिली जीत के बाद देश को सौगात मे दिया। पूरे देश मे माहौल सिर्फ और सिर्फ मोदी मय और शाह वाला नया भारत बनाने वाला दिख रहा। पर पंजाब मे एक नयी और अलग बयार बह रही है और वो भी खुद भाजपाई प्रदेश महासचिव मल्विन्दर सिंह कंग फैला रहे है जो मौजूदा पंजाब के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के करीबी माने जाते है और शायद यही वजह है कि अपने मंसूबे को वो खुलकर अपने सोशल प्लेटफ़ार्म पर साझा करते है सिवाय संघ और भाजपा के किसी भी एजेण्डे के। हां उनका सीधा और सपाट एजेंडा है खालिस्तान समर्थको की प्रोफाइल को अपने पेज पर साझा करना यह जानते हूए भी कि यह सब भाजपा और संघ को गाली देने वाले है और भारत के खासकर पंजाब के टूकड़े टूकड़े करने पर आमादा है। अखंड भारत को तो दिवास्वप्न तक कहने वाले ऊढूके की पोस्ट तो मानो इनकी गीता हो।    सिख विचारधारा को

इस लॉक डाउन मे 15 कलाकार काल के गाल मे समा गये

इस लॉक डाउन मे 15 कलाकार काल के गाल मे समा गये दीपक चौहान लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया   अलविदा कहना कभी भी आसान नहीं होता, खासकर तब जब हम किसी को बहुत ज्यादा प्यार करते हों, पसंद करते हों या फिर अपना मानते हो। रविवार को जब सुशांत सिंह राजपूत की खुदकुशी की खबर आई, तो हर कोई सन्न रह गया। किसी को भरोसा नहीं हुआ कि महज 34 साल की उम्र में सुशांत जैसा उभरता हुआ कलाकार इतना बड़ा कदम उठा लेगा। लेकिन, कोरोना वायरस की महामारी के बीच पिछले 46 दिनों में टीवी और फिल्मी दुनिया के ऐसे ही 15 कलाकार हमें अलविदा कह गए, जिन्होंने अपने अभिनय के जरिए लोगों के दिलों में अपनी एक खास जगह बनाई थी। इरफान खान  लॉकडाउन के बीच 29 अप्रैल को जब खबर आई कि इरफान खान हमें छोड़कर चले गए हैं, तो हर किसी को लगा कि ये एक अफवाह है। पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित और बॉलीवुड के सबसे टैलेंटेड कलाकारों में गिने जाने वाले इरफान खान को कोलोन इन्फेक्शन के कारण मुंबई के अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। 'मकबूल', 'लाइफ इन ए मेट्रो', 'द लंच बॉक्स', 'पीकू', 'हिंदी मीडियम', '

हीरे से भी खूबसूरत है रंगीला राजा मे गोविंदा की को स्टार हर्षदा पाटिल और उनका अभिनय तो है बेजोड़ और बेमिसाल

हीरे से भी खूबसूरत है रंगीला राजा मे गोविंदा की को स्टार हर्षदा पाटिल और उनका अभिनय तो है बेजोड़ और बेमिसाल विजय शुक्ल लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया  "वैसे तो हीरा सबसे खूबसूरत होता है लेकिन तुम्हें हीरा पहनाने के बाद लगता है कि मुझे इससे ज्यादा खूबसूरत कोई मिल गया है "  यह डायलॉग गोविंदा ने जब अभिनेत्री हर्षदा पाटिल के लिए रंगीला राजा में बोला था तो शायद या गलत नहीं था क्योंकि अभिनेत्री हर्षदा पाटिल के हुस्न ने दक्षिणी फिल्मी दुनिया और मराठी फिल्मी दुनिया में अपना बेमिसाल दबदबा बना रखा है और अगर हम बात करें पैडमैन की और रंगीला राजा की तो इन सब में हर्षदा का अभिनय और उनका किरदार कम समय में जानदार और धारदार हैं। रंगीला राजा अगर आपने देखी हो तो जिस समय हर्षदा पाटिल की एंट्री सपना के किरदार में गोविंदा के सामने होती है तो उनके चलने का स्टाइल और गोविंदा से बात करने का उनका तरीका अपने समय की बेहतरीन अदाकारा श्रीदेवी, हेमा मालिनी और पूनम ढिल्लों को मात देता दिखता है। हर्षदा की डायलॉग डिलीवरी बिल्कुल बेहतरीन है क्योंकि जो अल्फाज और जो चेहरे की उनकी अपनी बनावट है उस किरदार के ऊपर, बिल्कुल असल

मातृका विवेक साहित्यिक मंच की ऑनलाइन काव्य संध्या और गोष्ठी संपन्न

मातृका विवेक साहित्यिक मंच की ऑनलाइन काव्य संध्या और गोष्ठी संपन्न लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया  दिल्ली ।मातृका विवेक साहित्यिक मंच जो हिंदी भाषा और आंचलिक बोलियों के उत्थान हेतु प्रतिबद्ध है की काव्य संध्या और गोष्ठी ,समूह की संस्थापिका एवं अध्यक्ष सुश्री प्रीति हर्ष की अध्यक्षता में संपन्न हुई। समूह की संचालिका सुश्री आरती तिवारी 'सनत' एवं सचिव सुश्री नीलिमा शर्मा नित्या जी के मार्गदर्शन में कार्यक्रम का संचालन सुश्री वीणा आडवाणी जी ने किया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री सुधीर जौहरी जी (इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्री) प्रबंधक ,उत्पादक ने पूना से कार्यक्रम में शिरकत की। कार्यक्रम का प्रारंभ सरस्वती वंदना से किया गया।कार्यक्रम में काव्य पठन हेतु देश भर के सात प्रदेशों से लगभग पच्चीस वरिष्ठ कवि और कवयित्रीयों ने प्रतिभागिता की। सोनू कुमार मिश्रा, रेखा ताम्रकार, वीना आडवानी, शशिकांत श्रीवास्तव, गरिमा सिंह, नीलिमा शर्मा नित्या, कल्पना सेठी, सुधा शर्मा, कविता उपाध्याय, शैल जौहरी, अनिता मंदिलवार, रश्मि सुमन, रचना सक्सेना, निकेश साहू, रविंद्र स्वधा उत्कर्षिता , अंजू कुलश्रेष्ठ, किरन खत्री , रेनू म

एक विद्रोही का ऐसे असमय जाना !

एक विद्रोही का ऐसे असमय जाना ! अंबरीश कुमार अजीत जोगी अचानक ऐसे चले जाएंगे यह उम्मीद तो नहीं थी .अपना नाता दो दशक से पुराना रहा .इंडियन एक्सप्रेस ने सन 2000 में छतीसगढ़ राज्य बनने के बाद मुझे ब्यूरो के वरिष्ठ संवाददाता की जिम्मेदारी देकर भेजा था .नया राज्य आकार ले रहा था .राजनैतिक गतिविधियां भी तेज थी .विद्याचरण शुक्ल जैसे कांग्रेसी दिग्गज रायपुर में ही रहते थे .उनका दबदबा था और वे मुख्यमंत्री पद के सबसे बड़े दावेदार थे .कांग्रेस के सामने भी बड़ा संकट था इस नए राज्य का नेतृत्व तय करने का .इस बीच इंडियन एक्सप्रेस में मैंने रायपुर से एक खबर दी कि मुख्यमंत्री अजीत जोगी बन सकते हैं .खबर में छतीसगढ़ के सामाजिक समीकरण और अजीत जोगी के सतनामी समाज के संबंध का भी हवाला था .यह खबर उस समय आई जब छतीसगढ़ में मीडिया विद्याचरण शुक्ल को भावी मुख्यमंत्री मान चुका था .अजीत जोगी दिल्ली में कांग्रेस के प्रवक्ता थे वे रायगढ़ से सांसद भी थे .पर मुख्यमंत्री पद की दौड़ में उन्हें मीडिया बहुत गंभीरता से नहीं ले रहा था .अपना संवाद उनसे पहले से था .इस खबर को लेकर जब उनसे बात की तो उन्होंने कोई टिपण्णी करने से मना कर दि

आखिर ठप्प पड़ी फिल्मी दुनिया को क्या मिलेगा आर्थिक पैकेज- अभिनेत्री हर्षदा पाटिल

आखिर ठप्प पड़ी फिल्मी दुनिया को क्या मिलेगा आर्थिक पैकेज- अभिनेत्री हर्षदा पाटिल लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया दिल्ली। अभिनेत्री हर्षदा पाटिल ने फिल्मी दुनिया का जिक्र करते हुए कहा कि देश भर में पूरी की पूरी फिल्मी दुनिया में बड़ा बदलाव आया है। तकनीकें सुधरी है डिस्ट्रीब्यूशन का तरीका बदला है और इसी दौरान बदली है दर्शकों की च्वाइस। अब जब कोरोना की मार में सारी इंडस्ट्रीज रो रही हैं तो इससे फिल्मी दुनिया कैसे अछूती रहेगी। मुझ जैसे कई स्टार और अगर हम स्ट्रगलर की बात करें, न्यू कमर की बात करें तो उनकी तो कोरोना ने कमर ही तोड़ दी है और यह संख्या एक दो नहीं हजारों लाखों में है। अब आप जरा सोचिए कि जिनको रोज काम मिलता था उनका काम इस लॉक डाउन में पूरी तरीके से ठप्प हो ऊपर से उनके अपने खर्चे और रखरखाव की चीजें हावी हो तो किस तरीके से गुजारा करेंगे।   हाल फिलहाल के वर्षों में टेलीविजन व फिल्म उद्योग का बहुत विस्तार हुआ है। अब व्यवसाय करने की क्षमता या दर्शकों तक पहुंच के मामले में यह अपने साथ के अन्य उद्योगों से कमतर नहीं रह गया। इसके विस्तार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जो फिल्म स्टार या मे

HAPPY BIRTHDAY HARSHADA! ऐसा लगा जैसे मेरा बचपन वापस आया आज मेरे जन्मदिन पर, यह पल दुनिया का सबसे हसीन रहा- अभिनेत्री हर्षदा पाटिल

HAPPY BIRTHDAY HARSHADA PATIL!   विजय शुक्ल लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया  पुणे/दिल्ली। एक तरफ कोरोना की कैद मे जहाँ मानो पूरी दुनिया कैद मे हो गई हो वही दूसरी ओर इस लॉक डाउन ने हमे अपने लिये और अपनो के लिये वक़्त भी दिया। मशीनो जैसी लाइफस्टाइल हो गई थी खासकर हम फिल्मी दुनिया के लोगो को छोटी सी छोटी बातो का ध्यान रखना पड़ता है। दिन रात इवेंट, शूटिंग और पार्टीज यह हमारी मजबूरी भी और जरूरत का हिस्सा भी होता है उसमे अपने लिये वक़्त निकालना बहुत ही मुश्किल हो जाता है फिर अपनो के लिये यो मानो सबसे बड़ा काम।    आज मुझे लगा मैं खास हूँ इस दुनिया मे जब मेरी माँ ने मेरी आरती उतारी, मुझे टीका लगाया और मेरे पिताजी और माँ दोनो ने प्यार किया मानो मेरा बचपन ही लौट आया हो। यह खुशी बिल्कुल अलग है हमेशा याद रहने वाली। घर मे माँ के हाथ से बना केक और ढ़ेरो प्यार यह सब भीड़भाड़ मे मुझसे दूर सा हो गया था पर आज सब मिला। बस मैं तो यही कहूँगी यह पल बहुत हसीन है मेरे लिये मुझे बस इनकी कैद मे रहने दो।     आपको बता दे की अभिनेत्री हर्षदा पाटिल का दबदबा उनके किरदार और खूबसूरती के कारण यूपी बिहार सहित उत्तर भारत मे बड़ा ज्यादा ह