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आखिर ठप्प पड़ी फिल्मी दुनिया को क्या मिलेगा आर्थिक पैकेज- अभिनेत्री हर्षदा पाटिल

आखिर ठप्प पड़ी फिल्मी दुनिया को क्या मिलेगा आर्थिक पैकेज- अभिनेत्री हर्षदा पाटिल



लोकल न्यूज ऑफ़ इंडिया


दिल्ली। अभिनेत्री हर्षदा पाटिल ने फिल्मी दुनिया का जिक्र करते हुए कहा कि देश भर में पूरी की पूरी फिल्मी दुनिया में बड़ा बदलाव आया है। तकनीकें सुधरी है डिस्ट्रीब्यूशन का तरीका बदला है और इसी दौरान बदली है दर्शकों की च्वाइस।



अब जब कोरोना की मार में सारी इंडस्ट्रीज रो रही हैं तो इससे फिल्मी दुनिया कैसे अछूती रहेगी। मुझ जैसे कई स्टार और अगर हम स्ट्रगलर की बात करें, न्यू कमर की बात करें तो उनकी तो कोरोना ने कमर ही तोड़ दी है और यह संख्या एक दो नहीं हजारों लाखों में है। अब आप जरा सोचिए कि जिनको रोज काम मिलता था उनका काम इस लॉक डाउन में पूरी तरीके से ठप्प हो ऊपर से उनके अपने खर्चे और रखरखाव की चीजें हावी हो तो किस तरीके से गुजारा करेंगे।


 


हाल फिलहाल के वर्षों में टेलीविजन व फिल्म उद्योग का बहुत विस्तार हुआ है। अब व्यवसाय करने की क्षमता या दर्शकों तक पहुंच के मामले में यह अपने साथ के अन्य उद्योगों से कमतर नहीं रह गया। इसके विस्तार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जो फिल्म स्टार या मेकर इसके आसपास भी फटकने को अपनी शान के खिलाफ समझते थे, आज यह उद्योग उनकी जरूरत बन गई है।


 


आज हर फिल्म का प्रमोशन टीवी पर हो रहा है, टीवी शोज के माध्यम से हो रहा है। बड़े से बड़ा स्टार भी टीवी पर आने के अवसर ढूंढता रहता है और इसका मूल कारण है टीवी की दर्शकों तक जबरदस्त पहुंच।


 


एक मशहूर शो के दौरान कम खर्च में या बिना खर्चे के ही एक ही समय में करोड़ों दर्शकों तक पहुंचा जा सकता है जो किसी अन्य माध्यम से बड़ा कठिन है। लेकिन यही टेलीविजन उद्योग आज कोरोना के कारण संकट में है।


 


शूटिंग बंद है, काम करने वाले लोग बेरोजगार हैं, निर्माताओं और चैनलों की आमदनी बंद है और उससे भी बड़ी समस्या यह है कि यह दोबारा कब शुरू होंगे इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। इससे भी बड़ा एक मुद्दा यह है कि क्या जब दोबारा यह टेलीविजन उद्योग शुरू होगा तो पहले जैसा ही रह जाएगा?


 


कम से कम कुछ समय के लिए तो इसकी संभावना कम ही दिखाई देती है। चैनल्स, जो सीरियल्स के वास्तविक निर्माता हैं, उन्होंने अभी से बजट कम करने की बात शुरू कर दी है। उनके पास भी कोई और रास्ता नहीं है क्योंकि विज्ञापनों से होने वाली आय में जबरदस्त कमी आई है।


 


अब जब कुछ बिक ही नहीं रहा, और जब सारे मॉल और दुकानें बंद हैं तो विज्ञापन देने वाले लोग विज्ञापन क्यो देंगे ? निर्माताओं ने भी छोटी यूनिट के साथ शूटिंग शुरू करने के रास्ते ढूंढने शुरू कर दिए हैं। शूटिंग शुरू भी होगी तो कोरोना के कारण उससे बचने के सुरक्षा के उपायों पर ध्यान देना पड़ेगा।


 


बहुत सारे दृश्य जो पहले फिल्माए जा सकते थे अब नहीं फिल्माए जा सकेंगे, जैसे भीड़-भाड़ वाले दृश्य, हीरो हीरोइन की नजदीकी को दिखाने वाले दृश्य, मार-धाड़ वाले दृश्य जिनमें एक दूसरे के बिल्कुल करीब आकर काम करना होता है, बिना दो गज की दूरी के। 


 


ऐतिहासिक और पौराणिक सीरियल, जिन की भव्यता को बनाए रखने के लिए भीड़-भाड़, एक्शन और एक बहुत लंबी चौड़ी यूनिट की आवश्यकता होती है उनके लिए तो और मुश्किल होने वाली है। इस समय में शूटिंग के लिए आउटडोर जाना तो अब दूर की बात है। ऐसे में सारी शूटिंग मुंबई और इसके आसपास ही करनी पड़ेगी और इस कारण सीरियल्स में जो लोकेशंस की विविधता देखने को मिलती थी वह भी अब शायद कुछ दिनों तक देखने को ना मिले।


 



  • बहुत सारे दर्शक पहले से ही फल-फूल रहे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के शोज की तरफ जा सकते हैं

  • बहुत सारे दृश्य जो पहले फिल्माए जा सकते थे अब नहीं फिल्माए जा सकेंगे।

  • इस समय में शूटिंग के लिए आउटडोर जाना भी लगभग असंभव हो गया है।

  • शायद पहली बार दृश्यों में अभिनेता और अभिनेत्री मास्क पहने दिखाई दें

  • हो सकता है कोरोना के बाद दृश्यों में अभिनेता और अभिनेत्री मास्क पहने दिखाई दे

  • शायद पहली बार दृश्यों में अभिनेता और अभिनेत्री मास्क पहने दिखाई दें।

  • एक दूसरे से 2 मीटर की दूरी पर बैठे दिखाई दें।

  • अब दोस्तों और प्रेमी प्रेमिकाओं का गले मिलना भी मुश्किल है

  • अब लिखते वक़्त दो गज की दूरी वाले दृश्य लिखे जायेगे। लेखकों को दृश्यों को लिखने का ढंग ही बदलना पड़ेगा। नए परिप्रेक्ष्य में नई सीमाओं के साथ दृश्य लिखने की आदत डालनी पड़ेगी।


 


बजट कम होने और यूनिट का आकार छोटा होने से बहुत सारे लोगों पर बेरोजगारी का खतरा मंडराएगा। वह लोग जो 60-70 दिनों से दोबारा इंडस्ट्री के खुलने और आमदनी के शुरू होने का इंतजार कर रहे थे, उनमें से कईयों का इंतजार बहुत ही लंबा होगा।


 


पहले ही भुखमरी के कगार पर आ चुके कामगारों के लिए यह इंतजार बहुत भारी पड़ने वाला है और अगर यह परिपाटी लंबे समय के लिए चली तो बहुत से लोग अपने जीवन यापन का साधन बदलने पर भी मजबूर हो जाएंगे।


 


लंबे समय तक काम ना मिलने की संभावना होने पर मनुष्य के सामने और कोई चारा रह भी नहीं जाता। बजट में कटौती और यूनिट के छोटे होने के कारण फिल्मो और सीरियल्स की गुणवत्ता पर भी असर पड़ेगा और यदि गुणवत्ता में कमी आई तो टेलीविजन उद्योग अपनी सबसे बड़ी पूंजी अपने दर्शकों को भी खो सकता है।


 


बहुत सारे दर्शक पहले से ही फल-फूल रहे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के शोज की तरफ जा सकते हैं जिनकी भव्यता और गुणवत्ता बड़े बजट की फिल्मों के बराबर हो चली है। छोटे-मोटे तकनीशियन से लेकर बड़े बड़े स्टारों तक की आमदनी पर असर पड़ेगा और सबको इस परिवर्तन के साथ जीने की आदत डालनी पड़ेगी।


 


अभिनेत्री हर्षदा पाटिल ने कहा कि बड़े बड़े स्टार्स और टेक्नीशियन जो एक शो शुरू होते ही महंगी गाड़ियां, महंगे फ्लैट और महंगे सामान किस्तों पर खरीद लेते थे, जरा सोचो उन्का क्या होगा। अब उन्हें यह आदत बदलनी पड़ेगी क्योंकि एक बार जब काम बंद हो जाता है तो इनकी भारी-भरकम किस्त चुकाना बहुत ही मुश्किल है। किराया से लेकर हमारी अपनी जरूरतो पर यह भारी पड़ने लगा है आगे क्या होगा राम जाने।


 


कुल मिलाकर जब तक कोरोना का इलाज या टीका नहीं मिल जाता, तब तक टेलीविजन व फिल्मी उद्योग के स्पॉटबॉय से लेकर बड़े-बड़े स्टार, प्रोड्यूसर यहां तक कि चैनल को भी अपनी कार्यशैली के साथ-साथ जीवनशैली में भी बदलाव लाना ही पड़ेगा। 


 


जिस तरह कहानी स्क्रीन पर दिखाई जाती रही है, अब तक, उसमें भी बदलाव लाना ही पड़ेगा। बस देखना यह है कि अपने दर्शकों को हर हाल में, विपरीत से विपरीत परिस्थिति में भी हौसला बनाए रखने का संदेश देने वाली ये इंडस्ट्री इन विपरीत परिस्थितियों में अपना हौसला कैसे बनाए रखती है।


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